चूरू। कभी चूल्हे-चौके और खेत-खलिहान तक सीमित रहने वाली चूरू जिले की ग्रामीण महिलाएं अब मोबाइल पर चैट जीपीटी और एआई का उपयोग सीख रही हैं। इसके अलावा वे सोशल मीडिया, इंटरनेट, डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग व बुकिंग, साइबर सुरक्षा आदि का ज्ञान ले रही हैं। यह जानकारी न केवल उनके घरेलू जीवन को बेहतर बना रही है अपितु राजीविका के जरिए की जा रही उनकी आयपरक गतिविधियों में भी उनका लाभ मिल रहा है। यह सब संभव हुआ है जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की पहल पर जिले में चल रहे डिजिटल सखी 2.0 कार्यक्रम से।
राजीविका डीपीएम दुर्गा देवी ढाका के मुताबिक, राजीविका द्वारा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं तथा अन्य इच्छुक महिलाओं को डिजिटल सखी 2.0 में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रथम चरण में चूरू ब्लॉक के 5 गांवों घण्टेल, थैलासर, जसरासर, डाबला, रिड़खला में महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया गया है। धीरे-धीरे संपूर्ण जिले की महिलाओं को इसमें कवर किया जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं में अनोखा आत्मविश्वास देखा जा रहा है। वे बताती हैं कि सामान्यतः ग्रामीण महिलाओं के पास मोबाइल तो है, लेकिन उसका कोई सार्थक उपयोग जानकारी के अभाव में महिलाएं नहीं कर पा रही हैं। इसी के मध्येनजर जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने यह सोचा कि यदि इन महिलाओं को मोबाइल के जरिए उपयोगी जानकारी दी जाए तो इनके जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।
घंटेल गांव में प्रशिक्षण दे रही बाला कहती हैं कि साइबर फ्रॉड के बारे में जानकारी महिलाओंं के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। फोन पे चलाना भी सिखाया है। फोन पर उपयोगी जानकारी सर्च करना महिलाओं के लिए काफी उपयोगी साबित हो भी रहा है। चैट जीपीटी जैसे अत्याधुनिक फीचर्स का उपयोग ये महिलाएं कर रही हैं, यह अपने आप में बड़ी बात है। राजीविका से जुड़ी अधिकांश महिलाएं पहले से ही किसी न किसी आयपरक गतिविधि से जुड़ी हैं। ऎसे में ऑनलाइन लेन-देन की जानकारी इनके लिए काफी उपयोगी साबित होगी। मोबाइल ट्रेनिंग के बाद इन महिलाओं का आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया है।
यह है सात दिनों का पाठ्यक्रम
ग्रामीण महिलाओं के लिए डिजायन किए गए सात दिनों के पाठ्यक्रम में बुनियादी मोबाईल उपयोग जैसे मोबाईल ऑन ऑफ करना से लेकर मोबाईल में नम्बर सेव करना, संदेश भेजना, फोटो खींचना, वीडियो बनाना सिखाया जा रहा है। साथ ही इन्टरनेट के उपयोग में न्यू एप्लीकेशन इन्स्टॉल करना, शिक्षा एवं ज्ञान को बढ़ावा देने वाले एप्स, गूगल सर्च की जानकारी दी जा रही है। सोशल मीडिया अंतर्गत यू-ट्यूब चलाना एवं उपयोगी वीडियो के बारे में जानकारी, व्हाट्सअप (फोटो, सम्पर्क नम्बर, पीडीएफ, वॉइस मैसेज, फाईल एवं लोकेशन भेजना, स्टेटस लगाना और देखना, ग्रुप बनाना), फोन पे, गूगल पे आदि से डिजीटल पेमेन्ट, ऑनलाईन शॉपिंग एवं बुकिंग के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही साइबर सुरक्षा, डिजिटल फ्रॉड के बारे में बताया जा रहा है। सरकारी विभागों एवं योजनाओं से सम्बन्धित सभी तरह के एप डाउनलोड करवाना एवं उनका उपयोग करना सिखाया जा रहा है। इसके अलावा आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस, विभिन्न एआई एप, ई-मेल आदि के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
ट्रेनिंग में मिली उपयोगी जानकारी
घंटेल के इंद्रभगवान सीएलएफ में हुए प्रशिक्षण में मोबाइल प्रशिक्षण लेने वाली ममता बताती हैं कि हमने इस ट्रेनिंग में मोबाइल में वीडियो बनाना, वीडियो कॉल करना, कॉन्फ्रेंस कॉल करना, फोटो व डॉक्यूमेंट सेंड करना, यूट्यूब पर बच्चे क्या देख रहे हैं यह निगरानी रखना, साइबर फ्रॉड से बचाव, चैट जीपीटी, डॉक्यूमेंड फाइल से पीडीएफ बनाना, लोकेशन सेंड करना, लोकेशन सर्च करना आदि के बारे में सीखा है।
डाबला की ममता प्रजापत कहती है कि पहले उनके पास मोबाइल था लेकिन जानकारी बहुत कम थी। ट्रेनिंग के बाद फोन पे, गूगल पे पर आराम से ट्रांजेक्शन कर लेती हैं। गांव घंटेल की ही सरोज का कहना है कि मोबाइल के माध्यम से उन्हें सारी स्कीमों की जानकारी मिल रही है। पहले उनके पास मोबाइल तो था, लेकिन वह इतना उपयोगी हो सकता है, यह इस ट्रेनिंग से पता चला। डाबला की सुमन बताती हैं कि प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करना, विभिन्न एप का उपयोग करना, उपयोगी जानकारी सर्च करना इस ट्रेनिंग से सीखा है। प्रशिक्षणार्थी रंजना कहती हैं कि ट्रेेनिंग के बाद वे फोन-पे, गूगल पे का इस्तेमाल कर रही हैं। कैम स्केनर से किस प्रकार डॉक्यूमेंट स्कैन का पीडीएफ बनाई जा सकती है, यह हमने सीखा। प्रशिक्षणार्थी मंजू ने बताया कि पैसे ट्रांसफर करना, ओटीपी नहीं बताना, रेल्वे टिकट बुक करवाना, मोबाइल लोकेशन भेजना आदि जानकारी इस प्रशिक्षण से मिली है जो काफी उपयोगी हैं।