क्यों पी.ओ.के. के लोग कारगिल के दरवाजे खोलने की मांग कर रहे है ?

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कंगाल पाकिस्तान से अपना देश नहीं संभल रहा है। जहां दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान के बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में पाकिस्तान विरोधी गतिविधियां बढ़ गई हैं। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले  पी.ओ.के.  में पाकिस्तान की हुकूमत और पाक आर्मी के खिलाफ बगावत तेज हो गई है। पाकिस्तान की सेना के जुल्म से परेशान गिलगित बालतिस्तान के अल्पसंख्यक शिया मुस्लिमों में आक्रोश है। ये आक्रोश लगातार तेज होता जा रहा है। यही कारण है कि इन दिनों पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्तिस्तान में इन दिनों घमासान मचा है। कट्‌टरपंथी सुन्नी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ अल्पसंख्यक शियाओं ने विद्रोह कर दिया है। पहली बार इस क्षेत्र के शिया संगठन फौज के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। अल्पसंख्यक शियाओं के तेवर इतने तीखे हैं कि पाकिस्तान की आर्मी भी घबरा गई है। भारत से करीब 90 किलोमीटर दूर स्कर्दू में शिया समुदाय के लोग भारत की ओर जाने वाले कारगिल हाइवे को खोलने की मांग पर अड़ गए हैं। उनका कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्तिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत जाना चाहते हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी करीब 20 लाख है। इनमें से 8 लाख के करीब शिया समुदाय के लोग हैं। इन शियाओं के बगावती तेवर देखकर पाकिस्तानी आर्मी घबरा गई है। बगावती तेवरों को देखते हुए पाकिस्तान आर्मी ने  अपने 20 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है।

बताया जाता है कि पाकिस्तान का गिलगित-बल्तिस्तान  लगातार उबाल मार रहा है। विरोध प्रदर्शन के नाम पर हज़ारों लोग सड़कों पर हैं। फिजा में चलो, चलो कारगिल चलो के नारे बुलंद हैं। विरोध के नाम पर जिस तरह लोग उग्र हैं, किसी भी क्षण वहां स्थिति गंभीर हो सकती है। सवाल  होगा कि आखिर पाकिस्तान जैसे मुल्क के एक हिस्से में ऐसा क्या हुआ, जो वहां के लोग भारत में विलय होने की बात कह रहे हैं। जवाब है एक शिया धर्मगुरु की गिरफ़्तारी और वो सजा जो उसे पाकिस्तान के प्रचलित ईशनिंदा कानूनों के तहत हुई है। गिलगित के स्थानीय लोग शिया मौलवी की गिरफ्तारी से बेहद नाराज हैं जिसके मद्देनजर स्थानीय नेताओं ने पाकिस्तानी प्रशासन को  गृहयुद्ध की चेतावनी दी है। वहीं कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जिन्होंने खुलकर भारत में विलय की मांग करनी शुरू कर दी है। ध्यान रहे, शिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मौलवी आगा बाकिर अल-हुसैनी पर एक धार्मिक सभा में उनकी टिप्पणियों को लेकर मामला दर्ज किया गया था। बाद में मौलवी को हिरासत में लिया गया जिसके बाद स्कर्दू के शिया समुदाय के लोग सड़कों पर आए और विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और नौबत हाई-वे जाम तक की आ गयी है।

अभी हालिया दिनों में पाकिस्तान की संसद में ईशनिंदा को लेकर एक बिल पास हुआ था। इस बिल के आने के बाद ही शिया मौलाना आगा बाकिर अल-हुसैनी पर एक एफआईआर होती है और कहा जाता है कि उन्होंने ईशनिंदा की है। इसके बाद गिलगित के पास स्थित जलास और द्यामर जो कि एक सुन्नी बाहुल्य क्षेत्र है वहां लोग शिया मौलव के विरोध में सड़कों पर आते हैं। वहीं पाकिस्तान के अपर कोहिस्तान के सुन्नी बहुल हिस्से में एक धरना प्रदर्शन होता है और मांग की जाती है कि शिया मौलाना  आगा बाकिर अल-हुसैनी को फ़ौरन ही गिरफ्तार किया जाए और उन्हें सख्त से सख्त सजा मिले। तब लोगों का ये भी कहना था कि यदि मौलाना गिरफ्तार नहीं होते हैं तो उग्र प्रदर्शन करते हुए सड़कों को बंद कर यातायात को बाधित किया जाएगा। सुन्नी समुदाय की ये मांग शिया समुदाय को नागवार गुजरी और उन्होंने मौलाना की गिरफ्तारी के विरोध में स्कर्दू और आस पास के इलाकों में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की और मुख्य हाई वे जाम कर दिया। बताया जा रहा है कि पूरे गिलगित-बल्तिस्तान के हालात बहुत जटिल हैं और ये विरोध प्रदर्शन किसी भी वक़्त एक बड़ी हिंसा का रूप ले सकता है, जिसका खामियाज़ा कई मासूम लोगों को भुगतना होगा।

शिया समुदाय पाकिस्तान के नए ईशनिंदा कानून के खिलाफ है और यही कह रहा है कि अगर इसे लागू करना ही है तो कारगिल के दरवाजे खोल दिए जाएं ताकि गिलगित-बल्तिस्तान के शिया भारत में पनाह ले सकें।जिक्र यदि यहां रहने वाले लोगों की जनसंख्या का हो तो यहां रहने वालों में 39 प्रतिशत शिया आबादी है, जबकि यहां 27 प्रतिशत सुन्नी और 18 प्रतिशत इस्माइली मुसलमान हैं।

मौलाना आगा बाकिर अल-हुसैनी का शुमार स्कर्दू और आस पास के बेहद प्रभावशाली लोगों में होता है। मौलाना ने गिलगित बल्तिस्तान के कई अहम आंदोलनों में न केवल हिस्सा लिया बल्कि उन्हें कामयाब बनाया। मौजूदा वक़्त में मौलाना आगा बाकिर अल-हुसैनी साफ़ पानी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। जिससे स्थानीय प्रशासन सकते में आ गया है। माना जा रहा है कि मौलाना को गिरफ्तार करने की वजह उनका राजनीतिक रूप से सक्रिय रहना है। अभी बीते दिनों ही एक धार्मिक सभा में मौलाना ने पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के हत्यारे यजीद की तीखी आलोचना की थी। यजीद जैसे व्यभिचारी पर जो रुख मौलाना का था उसने पाकिस्तान के सुन्नियों को आहत किया और उन्होंने मौलाना पर ईशनिंदा का आरोप लगाया जिसके बाद एफआईआर हुई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। गिलगित-बल्तिस्तान का के शिया समुदाय का कहना है कि पाकिस्तान की हुकूमत द्वारा एक बार फिर उनके खिलाफ गहरी साजिश की जा रही है। इस इलाके में शिया सुन्नी संघर्ष की शुरुआत कब हुई? अगर इस सवाल के जवाब तलाशने हैं तो हमें 1988 के उस दौर में जाना होगा जब पाकिस्तान में हुकूमत जियाउल हक़ के हाथ में थी। तब उस वक़्त जियाउल हक़ ने 400 शिया मुसलमानों का कत्लेआम करवाया था और फिर जब 2012 के आस पास हुकूमत के इशारों पर पाकिस्तान में शिया विरोधी सिपाह ए सहाबा जैसे संगठनों  का निर्माण हुआ जिन्होंने बाद में गिलगित-बल्तिस्तान को अपनी शरणस्थली बनाया। पाकिस्‍तान के हुक्‍मरान लंबे अरसे  से गिलगित-बल्तिस्तान में सुन्नी आबादी बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए शिया समुदाय पर जुल्‍म जारी है। ऐसे ऐसे हालात  पैदा किये गए हैं कि शिया अपनी जमीनें बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। अब ताजा ईशनिंदा कानून वो हथियार बन गया है, जिससे शिया दबाव महसूस कर हैं। फिलहाल, दोनों समुदायों के बीच संघर्ष जारी है।

पिछले महीने भी गिलगित बाल्तिस्तान के लोगों ने पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन किया था। स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान सरकार को गृहयुद्ध और भारत के साथ विलय की चेतावनी दी है। यहां के लोगों ने कहा कि अगर सरकार उनके खिलाफ दमन का रास्ता अख्तियार करेगी तो वो गृहयद्ध करेंगे। सरकार ने अगर उनके नेताओं को रिहा नहीं किया तो वो गिलगित बाल्तिस्तान का भारत में विलय कर देंगे।

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