श्रीगंगानगर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर द्वारा क्षेत्र में बढ़ रहे नशे पर संज्ञान लेने के पश्चात् सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने सम्बंधी निर्देश दिये गये हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्रीगंगानगर के सचिव गजेन्द्र िंसंह तेनगुरिया (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) द्वारा शुक्रवार को जिले के औषधि नियंत्रक विभाग व स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों के साथ नशे के बढ़ते प्रसार को रोकने हेतु बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक के दौरान तेनगुरिया ने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति व रोकथाम के लिये प्रभावी कार्यवाही के सम्ब्ंध में निर्देश प्राप्त हैं। किसी भी बालक/बालिका के शारीरिक एवं मानसिक विकास में शिक्षा की बड़ी महत्ता है। शिक्षा विभाग द्वारा जिले के प्रत्येक स्कूल में विशेषकर नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान की जाये। नशे के बारे में स्कूली स्तर पर ही जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाये जायें तथा कार्यालय समय के दौरान शराब निषेध के सम्बंध में जीरो टॉलरेंस की नीति लागू करवाई जावे।
तेनगुरिया ने स्वास्थ्य विभाग प्रतिनिधि को निर्देशित किया कि नशामुक्ति केन्द्रों के माध्यम से या सर्वे करवाकर नशे में संलिप्त व्यक्तियों की पहचान की जाये व उनके साथ मनोचिकित्सक के माध्यम से करते हुये उनका समुचित इलाज किया जावे। ऐसे व्यक्तियों की जानकारी संधारित की जाये ताकि उनका समुचित इलाज करवाया जा सके। चिकित्सा विभाग द्वारा नशीले पदार्थ बेचने वालों के खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाये।
बैठक में उपस्थित विभिन्न विभागों को निर्देशित किया कि वे नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को दूर करने, उनके निवारण एवं उपचारात्मक कार्यों के सम्बंध में अपने-अपने सुझाव इस प्राधिकरण को प्रेषित करें ताकि रूपरेखा तैयार कर प्रभावी कार्यवाही अमल में जाकर क्षेत्र में नशा मुक्त बनाया जा सके। बैठक के दौरान विष्णु खत्री, वृत्ताधिकारी, शहर श्रीगंगानगर, बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक राजीव जाखड़, जिला औषधि विभाग से अशोक मित्तल, शिक्षा विभाग से गिरजेश कान्त शर्मा व डॉ. बृजेश कुमार उपस्थित रहे।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव ने बैठक में दिये निर्देश
ram