बाल विवाह रोकथाम व बाल संरक्षण हेतु सरपंचो, पंचो व हितधारकों की ब्लॉक स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न

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बूंदी। बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम, बच्चों को सुरक्षित और बालमैत्री वातावरण प्रदान करने, बाल अधिकार के मुद्दों पर कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वयन के लिए समाज एवं पंचायत की भागीदारी सुनिश्चित करने समेत विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए गुरुवार को नैनवा पंचायत समिति सभागार में पंचायती राज प्रतिनिधियों, ग्राम विकास अधिकारियों एवं ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण समिति सदस्यों की कार्यशाला का आयोजन जिला प्रशासन, बाल अधिकारिता विभाग, एक्शन एड-यूनिसेफ़ व बाल कल्याण समिति बूंदी के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
बाल संदर्भ केंद्र, हरिश्चंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन जयपुर से पधारे कार्यक्रम अधिकारी राजकुमार पालीवाल ने बाल विवाह तथा इसके लिये जिम्मेदार कारकों को बताते हुए बाल विवाह रोकथाम के लिए विभिन्न कानूनी प्रावधानों तथा बाल संरक्षण तंत्र तथा बाल संरक्षण समितियों की भूमिका, बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायत निर्माण के लिए संभावित मार्गदर्शन बिन्दुओ तथा पंचायती राज प्रतिनिधियों की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि सरपंच, पंच व ग्राम सचिव अपनी ग्राम पंचायत में आने वाले समय में बाल विवाह न होने दे, यदि लापरवाही से बाल विवाह को रोकने में विफल रहते हैं और उनकी ग्राम पंचायत में बाल विवाह होगा, तो उन्हें बाल विवाह अधिनियम, 2006 की धारा 11 तहत ज़िम्मेदार ठहराया जायेगा।
नैनवा प्रधान पदम कुमार नागर ने पंचायत स्तर पर भी निरंतर बाल संरक्षण को लेकर बैठक आयोजित करने पर बल देते हुए कहा की जल्द ही क्लस्टर स्तर पर भी ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। अतिरिक्त विकास अधिकारी रामरेश मीणा ने कहा कि बाल विवाह रोकथाम के लिए सभी विभागों, कार्मिकों व जनप्रतिनिधियों को आगे आकर सहयोग करने की आवश्यकता है।
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बाल अपराधों की रोकथाम में ग्राम पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों की प्रभावी भूमिका होती है। ग्राम सभा में वंचित बच्चों को मुख्यधारा में लाने तथा बाल अधिकारिता से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए। वर्तमान समय में सोशल मीडिया एवं अन्य संचार माध्यमों के अत्यधिक प्रयोग से बच्चे कई प्रकार के साइबर अपराधों के शिकार हो रहे हैं।
एक्शन एड-यूनिसेफ़ जिला समन्वयक ज़हीर आलम ने कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बाल विवाह रोकने, बाल श्रम और बाल यौन हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए जनप्रतिनिधियों को तैयार करने तथा बाल संरक्षण और बाल अधिकारों से जुड़े काम करने वाली ग्राम स्तर की संस्थाओं के सदस्यों को सशक्त करने के उद्देश्य से इन कार्यशालाओं का पंचायत स्तर पर आयोजन किया जा रहा है।
संरक्षण अधिकारी बाल अधिकारिता विभाग गोविंद कुमार गौतम ने बताया कि बच्चों के मुद्दों पर संवेदनशीलता के साथ चर्चा होनी चाहिए। बच्चों को जीवन,पढ़ने,विकास तथा सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। इसलिए बच्चों को मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए तथा बच्चों को शोषण से बचाना चाहिए। इस दौरान विभिन्न ग्राम पंचायत के सरपंचों ने अपनी-अपनी पंचायत में बाल संरक्षण एवं बाल अधिकारिता से जुड़ी गतिविधियों के बारे में जानकारियां दी।
कार्यशाला में बाल अधिकारिता ओ.डब्लू दीपिका वशिष्ठ, चाइल्ड हेल्पलाइन से रवि कुमार प्रजापत, मुकेश कुमार गोस्वामी, पारिता शर्मा, शिक्षा विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायती राज विभाग के अधिकारी, कार्मिक, एवं विभिन्न पंचायतों के सरपंच एवं जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

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