गंभीर व कष्ट साध्य रोगों में वरदान सिद्ध होती पंचकर्म चिकित्सा पद्धति-डॉ. सुनिल कुशवाह

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आईए जानते हैं पंचकर्म चिकित्सा पद्धति क्या है तथा मानव जीवन मैं इसकी क्या उपयोगिता है
बूंदी। आयुर्वेद एक संपूर्ण चिकित्सा पद्धति होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण जीवन शैली भी है आयुर्वेद स्वास्थ्य की रक्षा और रोगों का निवारण इन दो देशों को 3000 वर्षों से पूरा करते हुए मानव की सेवा करता आ रहा है। इन उद्देश्यों को पूरा करने में आयुर्वेद की एक विशिष्ट चिकित्सा पद्धति पंचकर्म अत्यंत उपयोगी है जो रोगों का मुख्य कारण दोष और मलों को सुखपूर्वक शरीर से बाहर निकलकर शरीर को रोग मुक्त कर चिरकाल तक आरोग्य उत्तम स्वास्थ्य को प्रदान करता है। पंचकम चिकित्सा पूर्णतया विश्वसनीय एवं प्रभावी होते हुए स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य को अक्षुण्ण बनाए रखने एवं रोगी के विकार को खत्म करने में पूर्णतः समर्थ है।
पंचकर्म चिकित्सा पद्धति का मानव जीवन में क्या है उपयोग
पंचकर्म मुख्यतः तीन चरणों में किया जाता है। पूर्व कर्म प्रधान कर्म जिसके अंतर्गत वमन कर्म विरेचन कर्म आस्थापन बस्ति, अनुवासन बस्ती तथा तीसरा नस्य कर्म होता है। बूंदी जिले की बात करें तो बूंदी जिला आयुर्वेद चिकित्सालय बालचंद पाड़ा में पिछले 4 वर्षों से पांच कम चिकित्सा इकाई जो पहले पीपीपी मोड पर थी तथा आज आरोग्य समिति द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। आयुर्वेद उपनिदेशक डॉ रमेश चंद जैन के सुपरविजन में तथा आयुर्वेद चिकित्सालय बूंदी के पीएमओ एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुशवाहा के निर्देशन में यह इकाई दिन प्रतिदिन नए आयाम स्थापित कर रही है। डॉ सुनील कुशवाह ने बताया कि अब तक 11 राज्यों के 45 जिलों के 37000 से ज्यादा रोगी यहां औपचारिक हो चुके हैं। यही नहीं यहां देश की नहीं बल्कि 25 देश के 189 विदेशी पर्यटक भी स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं। डॉ. कुशवाह की माने तो संसाधनों के अभाव में भी बूंदी पंचकम चिकित्सा इकाई देश में अपना एक अलग स्थान रखती है। उन्होंने बताया कि यहां प्रतिदिन 27 उपक्रम से प्रशिक्षित चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मी रोगियों का इलाज कर रहे है।
उन्होंने बताया कि पंचकर्म चिकित्सा पद्धति द्वारा जटिल एवं कष्टसाध्य रोगों का उपचार होता है या यूं करने की जिस बीमारी का कहीं भी इलाज नहीं है उसका इलाज पंचकर्म द्वारा किया जाना संभव है। उन्होंने बताया कि यहां ऐसे ऐसे रोगी भी आए हैं जो सभी जगह से निराश होने के बाद यहां से स्वस्थ होकर लौटे हैं। उन्होंने बताया कि पंचकर्म चिकित्सा पद्धति द्वारा स्पोंडिलोसिस, सिएटिका वेरिकोस वैन,न्यूरोमस्कुलर डिजीज, ओस्टियोआर्थराइटिस, तंत्रिकाजन्य विकार, गठिया, माइग्रेन,जन्मजात विकृति जन्य बच्चों का एकांग सर्वांग अभ्यंग स्वेदन,पत्र पोटली सेक,शिरोधारा, जानुधारा, जानु-ग्रीवा- कटि बस्ति,रक्तमोक्षण,विरेचन, बस्ति कर्म आदि गंभीर रोगों का अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों से उपचार किया जाता है। जिसमें रोगियों को त्वरित लाभ भी मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पंचकर्म चिकित्सा इकाई में डॉ. अक्षय गौतम, मोहन वर्मा, कांता सेन ,कोमल ,रक्षित त्रिपाठी, अविनाश वैष्णव व ज्योति रात दिन रोगियों की सेवा में लगे हुए हैं।

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