सीकर। केंद्र सरकार ने चुनावी साल में मास्टर स्ट्रोक का पिटारा खोलना शुरु कर दिया है। राखी और ओनम के अवसर पर घरेलू गैस सिलेंडर की दर में अचानक से 200 रू कम कर के मंहगाई में राहत देने की कोशिश दूसरी तरफ अचानक से दर शाम हुई ये गिरावट एलपीजी वितरको के लिए कहर बन कर बरपी है। पिछले एक साल से केंद्र सरकार ने घरेलू सिलेंडर के दामों को आसमान पर ले जा कर टांग दिया थाए जिससे आम आदमी की जेब पर अच्छा खासा असर पडऩे लगा। बीते 5 सालों में 550 में आम जनता को मिलने वाला सिलेंडर करीब 1130 रू तक पहुंच कर एक साल से इसी दर पर फिक्स हो गया था। अब चुनावी साल है तो मतदाताओं को रिझाने के मकसद से अचानक से केंद्र सरकार ने 200 रू घटा कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। फैडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रिब्यूटर्स ऑफ राजस्थान के प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर कुमार गर्ग ने एक बैठक कर जानकारी दी कि एलपीजी प्राइस ट्रेड की मानें तो हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की दर में बढोतरी या कटौती का सेट सिस्टम प्रचलित है। ग्राहक और एलपीजी वितरक इसके अनुसार अपनी जरूरत को मैनेज़ कर के चलते है। ये पहली बार होगा जब सरकार ने अचानक से महीने के आखरी दिन 200 रू की रेट कम कर लागू कर दियाए लेकिन सरकार के इस फैसले से देश के वितरकों को अरबों रुपये का नुकसान भी झेलना पड़ा। गोदाम पर रखे सिलेंडर के स्टॉक की कीमत कम होने से अकेले सीकर के वितरकों को एक करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान अल सुबह नसीब हुआ। जबकि वितरकों की माने तो सरकार को क्ठज्स् के माध्यम से सीधे ग्राहक के बैंक खाते में ये 200 रू की सौगात हस्तांतरित होनी चाहिए थी। जिससे वास्तविक ग्राहकों को सीधा फायदा मिल पाता। श्री गर्ग ने कहा कि हालांकि हम कटौती की सराहना करते हैंए लेकिन एलपीजी विरतकों के सामने आने वाली चुनौतियों को स्पष्ट करना जरूरी है। इस अप्रत्याशित कटौती ने इसके तत्काल और प्रतिकूल वित्तीय प्रभावों के कारण वितरक समुदाय के भीतर महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा कर दी हैं। विश्व बाजार में बढ़ती गैस कीमतों के मध्यनजर तेल कम्पनीयों ने वितरकों को आगामी महीने के लिए एलपीजी की कीमतों में किसी भी संभावित कटौती नहीं होने का आश्वासन दिया था । इस आश्वासन ने वितरकों को अधिकतम आपूर्ति प्राप्त करने व स्टॉक रखने के लिए प्रेरित किया । गोदामों में पूरी तरह से स्टॉक भरा हुआ था और रास्ते में सिलैण्डर ट्रकों से भरे हुए थेए जिसके परिणामस्वरूप पर्याप्त वित्तीय नुकसान हुआ जिसकी उम्मीद नहीं थी । जिन वितरकों ने रास्ते में भरे सिलैण्डरो के साथ.साथ घरेलू सिलैण्डरों के पूर्ण गोदामों को बनाए रखने में निवेश किया अब महत्वपूर्ण वित्तीय हानि का सामना करना पड़ है। क्योंकि यह नुकसान कई महीनों की मेहनत के कमाए गए कमीशन के बराबर हो रहा है । छोटे वितरकों के लिएए जो पहले से ही अनिश्चित वित्तीय परिस्थितियों से गुजर रहे थे और दिवालिया होने की कगार पर थेए यह कटौती पीड़ादायक हैं। बैठक में फैडरेशन के महावीर चौधरी विजय कुमार निर्वाण रतनलाल लोरा सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थें ।
घरेलू सिलेंडर दर कटौती से एजेन्सीयों को लगा झटका
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