अंतरराष्ट्रीय वन दिवस प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। हर साल एक विषय को ध्यान
में रखकर यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 का विषय वन और नवाचार रखा गया
है। अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन सम्पदा का महत्व समझने तथा वनों और जंगलों
का संरक्षण करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। वनों से हमें एक नहीं अपितु
अनेकों लाभ है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिये वन को बहुत ही उपयोगी,
लाभकारी और जीवनदायी बताया गया हैं। वन और जीवन दोनों एक-दूसरे पर आश्रित हैं।
वनों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलता है और मनुष्य और अन्य किसी भी प्राणी का जीवन
ऑक्सीजन के बिना नहीं चल सकता। वृक्ष और वन भू-जल को भी संरक्षित करते हैं। जैव-
विविधता की रक्षा भी वनों की रक्षा से ही संभव है। विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए
बहुमूल्य वनौषधियां हमें जंगलों से ही मिलती हैं। दुनिया में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक
विकास और आधुनिक जीवन शैली की वजह से प्राकृतिक वनों पर मानव समाज का दबाव
बढ़ता जा रहा है। इसे ध्यान में रखकर मानव जीवन की आवश्यकताओं के हिसाब से वनों के
संतुलित दोहन तथा नये जंगल लगाने के लिए भी विशेष रूप से काम करने की जरूरत है।
मनुष्य के जीवन में वन महत्वपूर्ण रहे हैं। परन्तु जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे-वैसे
मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटना आरम्भ कर दिया।
वनों की लगातार कटाई होती गई और वातावरण पर भी इसका प्रभाव पड़ा। आज हमारी
स्थिति यह हो गई है की वृक्षों की छाव मिलनी भी दुर्लभ हो गई है।
वन और वनस्पतियां आक्सीजन देकर हमें जीवन प्रदान करती हैं। बिना आक्सीजन के हम
जीवित रह ही नहीं सकते और पेड़-पौधे यही जीवनदायिनी आक्सीजन छोड़ते हैं। एक स्वस्थ
पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु मिल
पाती है। वे हमारे द्वारा छोड़ी गई विषैली गैस कार्बन-डाइ-आक्साइड को ग्रहण करते हैं। कुछ
वन्य पौधे ऐसे भी होते हैं जो रात में भी आक्सीजन छोड़ते हैं। पीपल, नीम, तुलसी, एलोवेरा,
एक्समस कैक्टस, सर्पेन्टाइल (स्नेक प्लांट), आर्चिड्स, आरेंजग्रेवेरा आदि ऐसे पेड़-पौधें हैं जो
रात में भी आक्सीजन छोड़ते हैं। पेड़-पौधे न रहें तो जिन्दा रहने के लिए साँस और जीवन
की धड़कन ही बन्द हो जायेगी। अब भी समय है हम समझे और समझाए की पेड़ पौधे
हमारे जीवन के लिए कितने अहम् और प्राणदायक है।
स्वस्थ पर्यावरण एवं पारिस्थितिक संतुलन के लिए समस्त भू-भाग का एक तिहाई वनों से ढका रहना
चाहिए। एक क्षेत्र जहाँ पेड़ों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन कहते है। हमारे लिए खुशी की बात यह
है कि भारत में वन क्षेत्र में लगातार इजाफा हुआ है। वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के मुताबिक पिछले दो
वर्षों में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। इसमें से
वनावरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 721 वर्ग किमी की वृद्धि पाई गई है। अब भारत
में कुल वन क्षेत्र का फैलाव 8,09,537 वर्ग किलोमीटर में हो गया है, जो भारत के कुल भूभाग का 24.62
प्रतिशत है। वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि खुले जंगल में देखी गई है, उसके बाद यह बहुत घने
जंगल में देखी गई है।
जंगल हमारे जीवन की बुनियाद हैं जो हमारे पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति को
बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन पर्यावरण, लोगों और जंतुओं को कई प्रकार के लाभ
पहुंचाते हैं। वन कई प्रकार के उत्पाद प्रदान करते हैं जैसे फर्नीचर, घरों, रेलवे स्लीपर, प्लाईवुड, ईंधन या
फिर चारकोल एव कागज के लिए लकड़ी, सेलोफेन, प्लास्टिक, रेयान और नायलॉन आदि के लिए
प्रस्संकृत उत्पाद, रबर के पेड़ से रबर आदि। फल, सुपारी और मसाले भी वनों से एकत्र किए जाते हैं।
कर्पूर, सिनचोना जैसे कई औषधीय पौधे भी वनों में ही पाये जाते हैं। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को जकड़े
रखती है और इस प्रकार वह भारी बारिश के दिनों में मृदा का अपरदन और बाढ भी रोकती हैं। पेड़, कार्बन
डाइ आक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिसकी मानवजाति को सांस लेने के लिए
जरूरत पड़ती है। वनस्पति स्थानीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करती है। पेड़ पृथ्वी के लिए
सुरक्षा कवच का काम करते हैं और जंगली जंतुओं को आश्रय प्रदान करते हैं। वे सभी जीवों को सूर्य कीगर्मी से बचाते हैं और पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करते हैं।
– बाल मुकुन्द ओझा