जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई समीक्षा बैठक

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जयपुर। जिला स्तर पर चिन्हित पंच गौरव एक जिला एक उत्पाद- रत्नाभूषण, एक जिला एक वनस्पति प्रजाति- लिसोडा, एक जिला एक पर्यटन स्थल- आमेर दुर्ग, एक जिला एक खेल- कबड्डी तथा एक जिला एक उपज- आंवला के संवर्धन एवं विकास हेतु कार्ययोजना तैयार करने के संबंध में सोमवार को जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक आयोजित हुई। जिला कलक्टर ने सभी संबंधित विभागीय अधिकारियों को पंच गौरव के संवर्धन के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये। पंच गौरव जयपुर के संवर्धन के लिए आगामी एक वर्ष के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए, जिसमें सेमिनार, वेबिनार प्रशिक्षण आदि सम्मलित है, ताकि अधिक से अधिक आमजन लाभान्वित हो सकें।

अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रथम) श्रीमती विनीता सिंह ने बताया कि जयपुर विश्व की प्रसिद्ध रत्न राजधानी है। यह उत्पाद पीढ़ियों से तराशी गई बेजोड़ शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध है। कुंदन-मीना और थेवा आभूषणों की समृद्ध विरासत का यह केंद्र है। इस कला को बढावा देने व इस कला से जुड़े शिल्पकारों एवं युवाओं के लिए इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण, सेमिनार एवं वेबिनार करने हेतु कार्य योजना तैयार की जाये। इस संबंध में सूरत मुबंई सहित अन्तराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली ऐजेन्सियों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर इसका विकास व संवर्धन सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने बताया कि वनस्पति प्रजाति लिसोड़ा का साग और अचार भी बनाया जाता है। इसका फल, लकड़ी और गोंद विभिन्न औद्योगिक व घरेलू उपयोगों में आता है। लिसोड़ा वनस्पति प्रजाति के विकास एवं संवर्धन हेतु सभी ग्राम पंचायत ब्लॉक व जिला स्तर पर स्थापित नर्सरियों में लिसोड़ा की अधिक से अधिक नई पौध तैयार करवायी जाए इसका वितरण कृषकों के साथ-साथ आमजन को भी किया जाए। इसके अचार के गुणों, अचार बनाने की विधि का प्रशिक्षण राजविका की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को दिया जाए ताकि उनकी आय में अभिवृद्धि हो।

उन्होंने बताया कि पर्यटन स्थल जयपुर का गौरव आमेर दुर्ग अपनी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व से लाखों पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। आमेर दुर्ग के बारे में सभी होटलों एवं पर्यटन से जुड़े गाइडस एवं ट्रेवल ऐजेन्सियों के प्रतिनिधियों के माध्यम से अधिक से अधिक पर्यटकों को आमेर देखने हेतु प्रेरित किया जाए। इसके विडियों व फोटोज पर्यटन से जुड़ी साईट्स व सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाए।

उन्होंने बताया कि आंवला जयपुर का प्रमुख औषधीय उत्पाद है, जो स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इससे कैंडी, अचार, जेम्स जेली, औषधियां, तेल,, और कॉस्मेटिक्स बनाए जाते हैं। आंवला उत्पादन एवं आंवला की प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने हेतु उनके प्रशिक्षण, सेमिनार एवं वेबिनार आयोजित करने के साथ-साथ एफपीओ स्थापित किये जाए। इसके साथ-साथ आंवला के उत्पादों के औषधीय एवं खाद्य गुणों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

उन्होंने बताया कि जयपुर में जिले में संस्कृति, परंपराओं और विरासत के साथ-साथ खेलों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। जयपुर जिले ने पारंपरिक खेल कबड्डी में अपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाई है। इस पारंपरिक खेल को बढावा देने के लिए ग्राम पंचायत ब्लॉक व जिला स्तर पर जयपुर कबड्डी प्रीमियर लीग का आयोजन किया जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से सभी शारीरिक शिक्षकों के साथ बैठक आयोजित कर विद्यालयों में पढने वाले बच्चों को इस पांरपरिक खेल को खेलने हेतु प्रेरित किया जाए एवं इस खेल को खेलने हेतु सभी वि़द्यालयों में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत कब्बड़ी के खेल मैदान तैयार करवाये गये। अधिक से अधिक अन्तराष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर के खिलाडियों से सम्पर्क स्थापित कर इस खेल को बढावा देने हेतु एक वर्ष के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।

बैठक में जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिभा वर्मा, अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रथम) विनीता सिंह सहित पर्यटन विभाग, खेल विभाग, कृषि विभाग, उद्योग विभाग, उद्यानिकी विभाग एवं वन विभाग सहित अन्य विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।

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