सुंदरकांड रामायण का एक अहम और लोकप्रिय भाग है। माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और हनुमान जी की कृपा बरसती है। ज्योतिष और पौराणिक मान्यता के मुताबिक हनुमान जी से शनिदेव भी डरते हैं। शनिदेव की दशा के प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर आप शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करते हैं, तो हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और वह प्रसन्न होते हैं। साथ ही शनिदेव भी आपका बुरा नहीं कर पाएंगे। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको सुंदरकांड पाठ के महत्व, इसको करने की सही विधि और मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं। पूरी होती है इच्छा हिंदू धर्म में मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से भक्तों की मनोकामना जल्दी पूरी हो जाती हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से 5वां अध्याय सुंदरकांड है। हालांकि रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक है। महत्व पूर्ण रामचरितमानस में भगवान के गुणों को दर्शाया गया है। तो वहीं रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग और निराली है। इसमें भगवान श्रीराम के गुणों की नहीं बल्कि उनके भक्त हनुमान जी के भक्त और उनकी विजय के बारे में बताया गया है।
सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में आती है पॉजिटिविटी, जानिए महत्व और नियम
ram