गहलोत के वादों पर लोगों को नहीं है एतबार

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राजस्थान विधानसभा का चुनावी संग्राम अंतिम दौर में पहुंच चुका है। सभी राजनीतिक दलों के नेता अपनी-अपनी पार्टी के पक्ष में धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले दो वर्षों से कह रहे हैं कि हम राजस्थान में हर बार सत्ता बदलने का रिवाज तोडेंगे और लगातार दूसरी बार सरकार बनाकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित करेंगे। इसके लिए अशोक गहलोत साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपना रहे हैं। यहां तक की उन्होंने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट की तारीफ करने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।

सरकार की वापसी के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मतदाताओं को लुभाने के लिए पिछले काफी समय से तरह-तरह की योजनाएं चला रहे थे। अब उन्होंने चुनावी ब्रह्मास्त्र के रूप में अपनी सरकार की तरफ से लोगों को सात गारंटी देने की घोषणा की है। साथ ही यह भी कहा है की सरकार रिपीट होने पर इन सातों गारंटी को लागू कर आम जनता को इनका फायदा पहुंचाया जाएगा।

मगर गहलोत के साथ वही बात हो रही है कि बहुत देर कर दी हुजूर आते-आते। राजस्थान के मतदाताओं को गहलोत की गारंटी के ऊपर एतबार नहीं हो रहा है। लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब पूरे पांच साल लगातार सरकार चलाई तब इन सब बातों पर अमल क्यों नहीं किया। अब गारंटी देकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। गहलोत सरकार ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को घरेलू कनेक्शन पर 100 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त उपलब्ध करवा रही है। मगर दूसरी तरफ विद्युत कंपनियां पिछले 3 साल की ऑडिट के नाम पर बहुत से घरेलू उपभोक्ताओं से बकाया वसूली के रूप में पांच हजार से बीस हजार रूपये तक का बकाया निकाल कर वसूल रही है। इससे लोगों का गहलोत सरकार के प्रति विश्वास डगमगा गया है।

लोगों का कहना है कि जहां हरियाणा में वृद्धावस्था पेंशन 2500 प्रतिमाह है। वही राजस्थान में चुनाव के नजदीक आने पर सरकार ने उसे बढ़ाकर 1000 किया है। प्रदेश में आज ऐसे बहुत से वरिष्ठ नागरिक है जिनके जीवन बसर का कोई साधन नहीं हैं। ऐसे में यदि वरिष्ठ जनों की पेंशन में बढ़ोतरी होती तो उनको जीवन बसर करने में बहुत सुविधा होती। मगर सरकार ऐसा करने में फेल रही है।

गहलोत मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना की बहुत तारीफ करते घूमते हैं तथा चुनावी घोषणा पत्र में भी उसे बढ़ाकर 50 लख रुपए प्रति परिवार तक करने का वादा किया है। मगर प्रदेश के 95 फीसदी निजी अस्पतालों में यह योजना चल ही नहीं रही है। सिर्फ सरकारी अस्पतालों में चल रही है जहां की व्यवस्था का तो भगवान ही मालिक है। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चिरंजीवी योजना की राशि को पहले के तरह ही रखकर उसे सभी निजी अस्पतालों में हर बीमारी के उपचार के लिए लागू करवा देते तो प्रदेश की जनता को अधिक फायदा मिलता। मगर ऐसा हो नहीं पाया है।

चुनाव की घोषणा के कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ने उज्ज्वला योजना में महिलाओं को 500 रूपये में गैस सिलेंडर देने की घोषणा की और जब भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सरकार बनने पर साढ़े चार सो रुपए में सभी महिलाओं को हर माह एक गैस सिलेंडर देने की बात कही तो मुख्यमंत्री भी अब 400 में सिलेंडर देने की बात कहते घूम रहे हैं। मगर कांग्रेस सरकार ने उक्त योजना को सिर्फ उज्वला के लाभार्थियों तक ही सीमित रखा। जबकि ऐसे बहुत से परिवार है जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। मगर उनके पास उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन नहीं होने से वह लोग इस तरह के लाभ से वंचित रह गए हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पांच वर्ष का कार्यकाल पार्टी में व्याप्त आंतरिक गुटबाजी व कांग्रेस नेताओं की आपसी लड़ाई में ही बीत गया। एक साल का समय तो कोरोना की भेंट चढ़ गया और बाकी समय सरकार बचाने को लेकर की गई बाड़ेबंदी में ही गुजर गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आम जनों के लिए बहुत बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो की थी मगर वह धरातल पर नहीं उतर पाई। बजट के अभाव में बहुत सी सड़कों, जलदाय योजनाओं का काम अभी तक शुरू भी नहीं हो पाया है। जबकि उन्हें दो साल पूर्व के बजट में शामिल किया गया था। गांव में प्रारंभ किए गए महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालयों में भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से वहां पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई खराब हो रही है।

पिछले 5 साल में जन विरोधी कार्यो के लिए जितनी गहलोत सरकार बदनाम हुई है। उतनी आज तक कोई भी सरकार नहीं हुई। भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक होना तो जैसे सरकार का मुख्य काम ही हो गया है। भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक होकर बाजार में बिकने के कारण राजस्थान के हजारों नौजवानों के नौकरी लगने से वंचित रह जाने के कारण उनका भविष्य खराब हो गया। राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बाबूलाल कटारा रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के बावजूद सरकार ने उसको आज तक पद से नहीं हटाया है।

प्रदेश में जिस तरह से खनन माफिया हावी है और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया पर कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक भारत सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं उसके बावजूद भाया का मंत्री पद पर बना रहना गहलोत सरकार के प्रति लोगों के मन में शक पैदा करता है। महिलाओं के प्रति विधानसभा में गलत बयान करने वाले शांति धारीवाल आज भी सरकार में मंत्री हैं तथा फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा शिक्षा राज्य मंत्री रहते जिस तरह से अपने रिश्तेदारों को सरकारी सेवा में अनधिकृत तरीके से भर्ती करवाने को लेकर बदनाम हुए हैं। उनकी बदनामी के दाग शायद ही कभी धूल पाए।

राजस्थान में हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात की तुलना में 12 रूपये प्रति लीटर डीजल, पेट्रोल के महंगा बिकने के मुद्दे को जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में उठाया है और वायदा किया है कि भाजपा की सरकार बनने पर तुरंत डीजल, पेट्रोल की कीमतों की समीक्षा कर उन्हें काम किया जाएगा। इसका प्रदेश के मतदाताओं पर गहरा असर हुआ है। गहलोत सरकार ने कई बार वायदा कर डीजल-पेट्रोल के दामों में कमी नहीं की। राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अधिक होने से प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में करीबन 400 पेट्रोल पंप बंद हो चुके हैं। पेट्रोल डीजल की कीमतों से आम आदमी का सीधा संबंध रहता है। इसलिए यह मुद्दा गहलोत सरकार के गले की घंटी बन गया है।

पिछले पांच सालों में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने समर्थक सभी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र का मिनी मुख्यमंत्री बना दिया था। जिसके चलते क्षेत्र में विधायकों ने मनमानी की और जमकर भ्रष्टाचार किया। जिससे आम मतदाता जिन्होंने बड़ी आशा के साथ कांग्रेस को वोट देकर सरकार बनवाई थी। उनके मन में कांग्रेस के प्रति नकारात्मक धारणा व्याप्त हो गई है। जिसे शायद ही कभी दूर किया जा सके। मुख्यमंत्री गहलोत सहित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी राजस्थान में लगातार चुनावी दौरे कर कांग्रेस को जिताने की अपील कर रहे हैं। मगर प्रदेश की जनता के रुझान से लगता है कि उन्होंने इस बार कांग्रेस को सबक सिखाने का दृढ़ संकल्प कर लिया है।

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