कोटा। जिले में प्री-मानसून वर्षा के बाद किसानों द्वारा सोयाबीन की बुआई कर दी जाती है जिसमें कम अंकुरण एवं धीमी फसल बढ़वार की समस्या प्राथमिकता से देखने को मिलती है। जिले में लगभग 20 से 30 मिली मीटर वर्षा हुई है, जबकि खरीफ फसलों में बुआई से पहले लगभग 100 से 150 मिली मीटर वर्षा का होना आवश्यक है। संयुक्त निदेशक कृषि (वि.) अतीश कुमार शर्मा ने बताया कि प्री-मानसून में हुई वर्षा मृदा को संतृप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है। साथ ही, वर्तमान में औसत तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक है जो सोयाबीन के अंकुरण एवं वृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं है।संयुक्त निदेशक ने किसानों को हिदायत दी है कि वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन फसल की बुआई करें। किसान सोयाबीन फसल की बुआई में जल्दी नहीं करें, क्योंकि सोयाबीन की बुआई 10 जुलाई तक बिना उत्पादन प्रभावित हुए की जा सकती है। सोयाबीन में बीज अंकुरण एक प्रमुख समस्या है। किसान बुआई के लिए प्रमाणित बीज का उपयोग करें एवं वे किसान जो स्वयं का बीज बुआई के लिए काम में ले रहे हैं वे जूट की बौरी में बीजों को उगाकर देख लें एवं अंकुरण लगभग 70 प्रतिशत होने पर ही बुआई करें। किसान स्वयं के बीज के अंकुरण की जांच बीज परीक्षण प्रयोगशाला में नि:शुल्क करवा सकते हैं। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की फसल में अंकुरण से 4-5 पत्ती की अवस्था तक करीब 10 से 15 प्रतिशत पौधे बीज एवं मृदा जनित रोगों के कारण मर जाते हैं। बुवाई से पहले प्रति किलो बीज को 3 ग्राम थाइरम या 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 6 से 8 ग्राम ट्राईकोडर्मा कल्चर से उपचारित करें।
कोटा: प्री-मानसून वर्षा के बाद सोयबीन की बुआई नहीं करें किसान
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