जिला की नई कार्यकारिणी गठन व पावटा ईकाई को भंग कर निष्पक्ष चुनाव करवाने की मांग, प्रदेश उपाध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन

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पावटा। देशभर में हो रहे कुठाराघात एवं शोषण की खबरों से आहत अपने हक अधिकारों को सुरक्षित बचाये रखने के लिए करीब दस माह पूर्व पावटा तहसील के अधिन आ रही समस्त ग्राम पंचायतों के आदिवासी मीणा समुदाय के लोगों ने एक जाजीम पर बैठकर कस्बा स्थित सिद्धी विनायक गार्डन में चुनाव पर्यवेक्षक रामचंद्र चीथवाड़ी व लादूराम रिसानी के नेतृत्व में राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ की कार्यकारिणी का गठन हुआ।
ईकाई पावटा में अध्यक्ष शंकर लाल मीणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष लालचंद मीणा पांचूडाला एवं पूर्व सरपंच पाथरेड़ी निवासी शिम्भूदयाल मीणा को महामंत्री नियुक्त कर कार्यकारिणी में विस्तार का निर्देश दिया गया लेकिन वर्तमान में कार्यकारिणी में चल रही उठा पटक व मतभेद को लेकर समाज दो भागों में बटता दिखाई दे रहा है। संगठन ईकाई में अधिकांश लोगों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष लालचंद मीणा ने बताया की पावटा ईकाई गठन करने से पूर्व एक सोची समझी साजिस व रणनीति बनाकर कोटपुतली अध्यक्ष दिनेश कुमार मीणा व हरचंद मीणा ने अपनी संख्या बल से चुनाव पर्यवेक्षक के विरुद्ध जाकर एक व्यक्ति का नाम उजागर कर उसे जबरन अध्यक्ष नियुक्त करवाने का कार्य किया।
कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल मीणा ने इन बिते 9 से 10 माह के अंतराल में तहसील ईकाई मुख्यालय पावटा में एक भी मिटिंग का आयोजन न कर समस्त क्रिया कलाप कोटपुतली में किया जिसकी सूचना संगठन के पदाधिकारियों समेत क्षेत्रवासियों को भी नहीं दि जाती है।
आदिवासी मीणा सेवा संघ से जुड़े लोगों व समाज के वरिष्ठ गणमान्य लोगों में वर्तमान कार्यकारिणी के प्रति नाराजगी है। वहीं कार्यकारिणी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद पर बने लालचंद मीणा ने प्रदेश अध्यक्ष रामकेश मीणा व प्रदेश उपाध्यक्ष कन्हैया लाल मीणा को वर्तमान संगठन की कार्यशैली से रुष्ठ होकर स्वेच्छा से अपना त्याग पत्र दिया है।
प्रदेश उपाध्यक्ष कैन्हया लाल को ज्ञापन सौंपते हुए लालचंद मीणा ने कहा कि वर्तमान में शंकर लाल मीणा अध्यक्ष पद को अपनी बपौती समझ संगठन को डुबाने जैसा अनुचित कृत्य कर रहा है। इस संगठन कि कार्यशैली से नाराजगी जाहिर कर समाज का एक भाग अपने आप से पावटा ईकाई से दूरी बना चुका है।
मीणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पावटा मुख्यालय पर आज तक एक भी मिटिंग नहीं हुई बल्कि कोटपुतली – पावटा के संयुक्त नाम पर मिटिंग दिखाकर बिना किसी सूचना के कोटपुतली में मिटिंग करवाई जाती है, इन मिटिंग में पावटा पंचायत के लोग न होकर अन्य तहसील व उनके रिस्तेदारो को हि बुलाकर सामूहिक फोटो खिंचवाकर समाचार पत्रों में मिटिंग का आयोजन दिखाकर समाज विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन कर वाहवाही लूटी जाती है। जिसके साक्ष्य समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर व सोशल मिडीया में डाली जाने वाली फोटो शामिल है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने बताया की पावटा अध्यक्ष एक कठपुतली की भांति कार्य कर अपने रिस्तेदारों व कुछ दलगत मानसिकता से ग्रसित तत्वों के दवाब में कार्य करने का जीता जागता सबूत है। सोसाइटी विधान के विपरीत मनमर्जी मुताबिक जाकर फर्जी तरीके से पुरुषोत्तमपुरा निवासी हरचंद मीणा को भी संगठन में वरिष्ठ उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया जबकि हरचंद मीणा कोटपूतली संगठन ईकाई में महामंत्री के पद पर बना है फिर पावटा ईकाई में वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पहले से होने के बावझूद गैर संवैधानिक तरीके अपने आपको उपाध्यक्ष कैसे नियुक्त करवा सकता है।
मीणा ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह समाज व विधान व संगठनों के बनाए रुल क्या इनकी जागीर है। उनका कहना है कि ये लोग समाज की आंखों में धूल झोंकने का कृत्य कर रहे है जबकि हरचंद मीणा का परिक्षेत्र भी कोटपुतली न होकर पावटा है उसे संवैधानिक तरीके से वहां से स्वेच्छा से पद का त्याग करना चाहिये।
ईकाई पावटा के अन्य सदस्यों ने बताया कि शंकर लाल अपने विवेक से कोई भी फैसला न लेकर कोटपुतली ईकाई अध्यक्ष दिनेश कुमार व महामंत्री हरचंद मीणा की बिना इजाज्जत कुछ भी कर पाने में असमर्थ है। अध्यक्ष से जब कोई व्यक्ति किसी तरह की राय मसुरा करने व समझाइस करने का प्रयास करता है तो वो उन पर भी गुस्सा जाहिर कर नाराजगी प्रकृट करता है।
राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ एक सामाजिक व गैर राजनैतिक संगठन है ऐसे पद पर गैर जिमेदार व अयोग्य व्यक्ति का बना रहना समाज को गर्त में धकेलने समान है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष लालचंद मीणा ने पावटा ईकाई में चल रहे कुठाराघात से आहात होकर इस संगठन से त्याग पत्र देते हुए प्रदेश अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपकर पुन: पावटा ईकाई का निष्पक्ष चुनाव करवा कर अन्य किसी योग्य व्यक्ति को अध्यक्ष चुने जाने व कोटपुतली बहरोड़ नया जिला बनने पर अब पुरानी कार्यकारिणी भंग कर संगठन में नवनियुक्त कार्यकारिणी का गठन करने कि मांग की है।

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