ये बात आप जयराम जी को भी बताइए : जगदीप धनखड़

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संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के बीच राज्यसभा की कार्यवाही के लगातार स्थगित होने के बाद, उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को हंगामा करने और “सार्थक बातचीत का अवसर” चूकने पर सांसदों को समझाया। विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सांसदों के हंगामे के बाद गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। शुक्रवार को सुबह 11 बजे सदन की बैठक दोबारा होगी। शीतकालीन सत्र के चौथे दिन सदन के अंदर हुए हंगामे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदन उस रचनात्मक भागीदारी से चूक गया जो लोगों की सामूहिक आकांक्षा को प्रतिध्वनित करती।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के एक सवाल पर “हम आसन को कैसे मना सकते हैं?” इसके जवाब में जगदीप धनखड़ ने ने कहा कि हम ऐतिहासिक रूप से नियमों के अनुपालन के उच्चतम मानक का प्रदर्शन करके ही अध्यक्ष को राजी करते हैं। और जैसा कि मैंने कल संकेत दिया था, अध्यक्ष के फैसले से सम्मान पैदा होना चाहिए न कि चुनौती। सदन के महत्व और राष्ट्र निर्माण में इसकी भूमिका पर जोर देते हुए सभापति ने कहा, “यह सदन सिर्फ बहस के सदन से कहीं अधिक है। हमारी राष्ट्रीय भावना यहीं से गूंजनी है। संसदीय व्यवधान कोई उपाय नहीं है, यह एक राग है, यह हमारी नींव को कमजोर करता है… हमें आपकी प्रासंगिकता बरकरार रखनी चाहिए।’

उन्होंने सांसदों से राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए अर्थ संवाद में शामिल होने का भी आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि माननीय सदस्यों, जब हम इस प्रकार के आचरण में संलग्न होते हैं, तो हम संवैधानिक नियमों से भटक जाते हैं। हम अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ते हैं। राष्ट्रवाद को पोषित करना हमारा कर्तव्य है।’ मैं आप सभी से सार्थक संवाद की भावना को अपनाने का आग्रह करता हूं। उन्होंने कहा कि हमें संविधान की भावना का अपमान नहीं करना चाहिए।

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