घर घर मंडराया डायबिटीज का खतरा

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दुनिया भर में डायबिटीज का खतरा घर घर मंडरा रहा है। खानपान और लाइफ स्टाइल में आये बदलाव के
कारण यह रोग बच्चे से बुजुर्ग तक को अपना शिकार बना रहा है। खराब जीवनशैली से आज भारत में लोग
बड़ी संख्या में बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, जिनमें डायबिटीज, हाईपरटैंशन, मोटापा तथा हाई कोलैस्ट्रोल
मुख्य हैं। इनमें डायबिटीज के रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी। साइंस पत्रिका लेसेन्ट के एक ताज़ा
शोध के मुताबिक दुनिया में जितने मरीज हैं, उसमें से 17 प्रतिशत से ज्यादा अकेले भारत में हैं. ताजा
आंकड़ों के मुताबिक भारत में अभी करीब 101 मिलियन (10 करोड़) से अधिक लोग डायबिटीज की चपेट में
हैं। यूके मेडिकल जर्नल 'लैंसेट' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 70 मिलियन लोगों की तुलना
में भारत में अब 101 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज के साथ जी रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, कम से
कम 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटीज है। देश में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत की 11.4
फीसदी आबादी डायबिटीज की चपेट में है। आने वाले दिनों में यह संख्या और तेजी से बढ़ सकती है। ऐसे में
इसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। देश के कई राज्यों में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। डायबिटीज
के मरीज लाइफस्टाइल और खानपान का ख्याल रखकर इससे छुटकारा पा सकते हैं
भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या हर रोज बढ़ रही हैं। लगभग हर 5 भारतियों में से 2 भारतीय को
डायबिटीज की समस्या हैं। डायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल हाई होने के कारण त्वचा शुष्क होती है
जिससे शरीर में सूजन, लाल धब्बे, खुजली, चकत्ते जैसी चीजें हो जाती हैं। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है
जिसे हम साइलेंट किलर के तौर पर जानते थे मगर अब वह मेन किलर हो गई है। बच्चे से
बुजुर्ग तक हर आयु का व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो रहा है। अस्पतालों और जाँच केंद्रों पर
डायबिटीज के रोगी बड़ी संख्या में देखे जा रहे है। भारत में हर पांचवें व्यक्ति को इस बीमारी ने
घेर रखा है। स्वस्थ व्यक्ति में खाने के पहले ब्लड में ग्लूकोस का लेवल 70 से 100 एमजी
डीएल रहता है। खाने के बाद यह लेवल 120-140 एमजी डीएल हो जाता है और फिर धीरे-धीरे
कम होता चला जाता है। मधुमेह हो जाने पर यह लेवल सामन्य नहीं हो पाता और बढ़ता जाता
है।

डायबिटीज पहले अमीरों की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन आज इसने हर उम्र और आय वर्ग
को अपनी चपेट में ले लिया है। एक दशक पहले भारत में डायबिटीज होने की औसत उम्र 40
साल थी, जो अब 25-30 साल हो चुकी है। भारत में डायबिटीज रोगियों की स्थिति पर नजर
डाले तो आकड़े बेहद भयानक और चौकाने वाले हैं। 1991 में भारत में डायबिटीज रोगियों की
संख्या 2 करोड़ के आस-पास थी जो 2006 में बढ़कर 4 करोड़ 20 लाख हो गईं। भारत में
2015 में लगभग 7 करोड़ लोग इससे पीडित थे। 2019 में यह संख्या 9 करोड़ होगई।
अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में डायबिटीज रोगियों
की संख्या 2030 तक 55 करोड़ पार कर जाएगी।
भारत को डायबिटीज की खान कहा जाता है। डायबिटीज रोग वैश्विक और गैर.संचारी महामारी
का रूप धारण कर चुका है। भारत में व्यस्त एवं भागमभाग वाली जिंदगी, खानपान की खराबी
तनावपूर्ण जीवन, स्थूल जीवन शैली, शीतल पेय का सेवन, धूम्रपान, व्यायाम कम करने की
आदत और जंक फुड का अधिक सेवन, मोटापा के कारण डायबिटीज का प्रकोप बढ़ रहा है।
बच्चों का अब खेलकूद के प्रति रूझान घटना और मोबाइल कंप्यूटर खेलों की तरफ बढ़ना टीवी
से चिपके रहना और जंक फूड खाने से बच्चे भी इस रोग के शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज को
खत्म तो नहीं किया जा सकता है पर उसे नियंत्रित अवश्य किया जा सकता है। इसके लिए कई
इलाज है पर प्राकृतिक इलाज सबसे बेहतर है, जिसमे योग की बड़ी महत्ता है। रोज सुबह उठकर
प्राणायाम, व्यायाम व आसन करने से इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।

– बाल मुकुन्द ओझा

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