बारां । न्यायालय विशिष्ठ न्यायाधीश लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 तथा बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 संख्या-1 के विशेष न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने बुधवार को नाबालिग छात्रा से घर में घुसकर ज्यादति के डेढ़ वर्ष पुराने मामले का निस्तारण करते हुए आरोपी को आजीवन कठोर कारावास एवं 26 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
विशिष्ट लोक अभियोजक पोक्सो क्रम नं. 1 घांसीलाल वर्मा ने बताया कि 28 जनवरी 2022 को शाहाबाद पुलिस थाने में 16 वर्षीय छात्रा ने अपनी मां के साथ आकर एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें उसने उल्लेख किया था कि वह कक्षा 11वीं में पढ़ती है। करीब 7-8 महिने पहले उसके माता-पिता शाहाबाद होस्टल में खाना बनाने जाते थे। उसका बड़ा भाई काम करने तथा छोटा भाई पढ़ने चला गया। वह घर पर अकेली थी। दोपहर के समय उसका पड़ौसी देवा सहरिया उर्फ शनिदेव 20 वर्ष पुत्र हरिचरण निवासी बिच्छी थाना शाहाबाद आया। वह अंदर काम कर रही थी। तब उसने फरियादी को पकड़कर जमीन पर पटक दिया और ज्यादति की। इस दौरान उसका मुंह बंद कर दिया तथा किसी से कहने पर बदनाम करने की धमकी दी।
इसके बाद वह चला गया। लेकिन पीड़िता ने डर गई और उसने किसी से भी नहीं कहा। पीड़िता ने रिपोर्ट में बताया कि इस घटना के बाद आरोपी 2 बार और आया तथा उसे अकेली देखकर उसके साथ घर में ही खोटा काम किया। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 376 (2)(एन), 452, 506 व 3/4, 5 (जे)(आईआई)(एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में मामला दर्ज कर अनुसंधान किया एवं आरोप प्रमाणित पाए जाने पर कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया। जिला न्यायाधीश हनुमान प्रसाद ने आरोप सिद्ध होने पर आरोपी देवा सहरिया उर्फ शनिदेव को धारा 452 में 5 वर्ष का कठोर कारावास व 5 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अदम अदायगी अर्थदंड पर आरोपी को 3 माह का साधारण कारावास पृथक से भुगतना होगा। इसी तरह धारा 506 में एक वर्ष का कठोर कारावास व एक हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। अदम अदायगी अर्थदंड पर एक माह का साधारण कारावास अलग से भुगतेगा। वहीं धारा 5 (जे)(आईआई)(एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं 20 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अदम अदायगी अर्थदंड पर 6 माह का साधारण कारावास पृथक से भुगतेगा। सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। साथ ही इस अपराध से पीड़िता गर्भवति हुई, इससे उसे जो शारीरिक व मानसिक क्षति हुई है। ऐसे में पीड़िता को अंतरिम सहायता प्रतिकर स्वरूप दिलाई जाएगी। इस प्रकरण में आरोपी द्वारा पूर्व पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बिताई गई अवधि नियमानुसार दी गई मूल सजा में से समायोजित कर दी जाएगी।