‘डॉ. बी.आर.अंबेडकर और भारतीय संविधान @ 75 वर्ष’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई आयोजित

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सामाजिक क्रांति के अग्रदूत और वंचित वर्गों के अधिकारों के सजग प्रहरी थे बाबा साहेब : संसदीय कार्य मंत्री
जयपुर। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ,जोधपुर के अम्बेडकर अध्ययन केंद्र एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति एवं शिकायत प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में बृहस्पति भवन में रविवार को ‘डॉ. बी.आर.अंबेडकर और भारतीय संविधान @ 75 वर्ष’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी, संसदीय कार्य विधि एवं विधिक कार्य मंत्री श्री जोगाराम पटेल, राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो कांता कटारिया, आईपीएए के महासचिव प्रो वाई पार्दसारधी, पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. केएल रैगर के मुख्य आतिथ्य में आयोजित हुई। श्री पटेल ने कहा डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत के संविधान निर्माता, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत और वंचित वर्गों के अधिकारों के सजग प्रहरी के रूप में सदियों तक याद रखे जाएंगे। उन्होंने कहा डॉ. अंबेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं, बल्कि महान विचारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और मानवाधिकारों के संवाहक भी थे।

संविधान को प्रगतिशील और लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान किया—
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा डॉ अंबेडकर ने संविधान को समावेशी, प्रगतिशील और लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार मिले, चाहे उसकी जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति कोई भी हो।

महिला अधिकारों एवं श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान—
श्री पटेल ने कहा कि महिला अधिकारों और श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में डॉ अंबेडकर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा डॉ अंबेडकर ने 8 घंटे के कार्य दिवस, महिला श्रमिकों की सुरक्षा, सवेतन अवकाश और भविष्य निधि जैसे ऐतिहासिक निर्णयों से देश के श्रमिकों को सशक्त बनाया।

समतामूलक समाज के निर्माण में सहभागी बनें—
संसदीय कार्य मंत्री ने प्रतिभागियों से आह्वान करते हुए कहा हम अपने जीवन में संवैधानिक मूल्यों जैसे – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को आत्मसात करें और एक समतामूलक समाज के निर्माण में सहभागी बनें।

बाबा साहेब के विचारों को करें आत्मसात—
श्री पटेल ने कहा बाबा साहेब का जीवन आज भी हमारी प्रेरणा है। हमें न केवल उनके विचारों को समझना है, बल्कि उन्हें आत्मसात करना है ताकि हम उनके सपनों का भारत बना सकें। जिसमें सामाजिक एवं आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना सुनिश्चित हो।

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