कोतवाली में दलाली प्रथा को समाप्त किया कोतवाल जितेन्द्र सिंह ने

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टोंक । पुलिस थाना कोतवाली प्रभारी जितेंद्र सिंह द्वारा की जा रही बेहतरीन पुलिसिंग को लेकर आजकल शहर में आम नागरिकों सहित व्यापारी हो या राजनीतिक व सामाजिक वर्ग के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। वही वृत्ताधिकारी टोंक सलेह मोहम्मद की अपराधियों के प्रति सख्ती व आम नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता की बात करते लोग थक नहीं रहे हैं। शहर में कानून व्यवस्था की बात हो या अपराधों पर नियंत्रण के लिये अपराधियों पर की जा रही सख्त कार्यवाही की चर्चा खूब हो रही है। दोनों पुलिस अधिकारियों पर पुलिस का स्लोगन ‘‘आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय’’ सटीक बैठ रहा है ।

टोंक शहर के हर बाशिंदे को भली-भांति मालूम है कि टोंक शहर में पदस्थापित कोई भी अधिकारी हो विशेषत पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली की चर्चाएं बाजार काफला की चाय पान की दुकानों पर सार्वजनिक रूप से कही व सुनी जा सकती है। यहां लोगों द्वारा पुलिस अधिकारियों की आलोचना समालोचना बिना किसी डर या भय के चटखारे लेकर कही व सुनी जा सकती है । कोतवाल जितेंद्र सिंह के कोतवाली में पदस्थापन से पहले इस कोतवाली में पुलिस के दलालों का ऐसा साम्राज्य था कि कोतवाली में किसी को कोई काम कराना हो तो उसे दलालों के पास जाना ही पड़ता था। एक कोतवाल तो ऐसा था जो खुद कहता था कि फलां आदमी से जाकर मिल लो। रिश्वत लेने का अंदाज भी एक दम निराला था। रिश्वत की राशि का कोड वर्ड एक किलो घी, आधा व पाव किलो घी के नाम से प्रचलित था, एक किलो का मतलब हुआ करता था, एक लाख रुपये। कोतवाली के दलाल उस समय बाजार काफला की चाय दुकानों पर चाय की चुस्की लेते हुए बड़े चटखारे ले लेकर बड़े गर्व के साथ बयां करते थे कि आज तो कोतवाल ने खुद अपने हाथों से चाय बनाकर पिलाई है।

हालांकि की उस समय कोतवाली में तैनात ईमानदार पुलिसकर्मी इन दलालों से परेशान दिखाई देते थे। इसके बाद और भी कोतवाल आए, लेकिन दलालों पर कुछ खास प्रतिबन्ध नहीं लगा सके, लेकिन जब से कोतवाली का चार्ज कोतवाल जितेंद्र सिंह ने लिया था, तभी शायद उन्हें फीडबैक मिल गया होगा, कोतवाली में व्याप्त दलाल प्रथा का, इसलिए उन्होंने उसी समय से ठान लिया होगा कि कोतवाली से दलाल प्रथा को नेस्तनाबूद करना है और यह उन्होंने बखूबी करके दिखा दिया। आज बाजार काफला में पुलिस के दलाल मायूस बैठे नजर आते हैं, जिनकी रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं । कई भाई लोग इन पूर्व पुलिस के दलालों की दुखती रग पर हाथ रख देते हैं, तो मायूस से कहने लगते हैं कि यह कोतवाल कोतवाली से कब जाएगा, कमबख्त ने हमारा सारा धंधा ही चौपट कर दिया। कोतवाल जितेंद्र सिंह ने इन दलालों की नाक में नकेल तो डाली ही है, इसके अतिरिक्त अपराधियों पर इनके द्वारा की जा रही कार्यवाही की भी शहर में व्यापक चर्चा है।

अक्सर देखा गया है कि पुलिस अफसरों द्वारा किए जाने वाले अच्छे कामों की तारीफ कोई नहीं करता, हां कोई काम बिगड़ जाए तो आलोचना करने वालों का अंबार लग जाता है। कुल मिलाकर बात यहां समाप्त हो जाती है कि कोतवाल जितेंद्र सिंह ने कोतवाली को दलालों से आजाद करा दिया है तथा इस समय तो अपराधी व पुलिस के दलाल सीओ टोंक सलेह मोहम्मद व कोतवाल जितेन्द्र सिंह के ट्रांसफर की दुआएं मांगने में लगे है। यहां यह भी बता दें कि अभी हाल ही में टोंक आये पुलिस कप्तान राजर्षि राज द्वारा विगत दिनों जिले में अपराधियों पर एक साथ की गई कार्रवाई से अपराधियों में घबराहट तो पैदा कर ही दी है, वही कबाड़ी का व्यापार करने वाले जो स्वच्छंद नजर आते थे, उनके खिलाफ भी विगत दिनों हुई कार्यवाही से वह भी घबराहट में आ गए हैं, जिसके चलते धन्ना तलाई क्षेत्र में अपना साम्राज्य जमा कर बैठे कबाडिय़ों ने अपना कबाड़ी का सामान समेट कर व्यवस्थित कर लिया है, जिसके चलते धन्ना तलाई का रोड़ चौड़ा दिखाई देने लगा है । बहरहाल नौजवान पुलिस कप्तान से टोंक जिले की जनता काफी उम्मीद लगाए बैठी है, साथ ही यह भी आशंका जता रही है कि बीसलपुर बांध व बनास नदी से आने वाली ठंडी हवाऐं नौजवान पुलिस कप्तान के जोश को कहीं ठंडा न कर दें। अंत में यहां वृत्ताधिकारी टोंक रहे चंद्रसिंह रावत का जिक्र इस अवसर पर न किया जाए तो बात अधूरी रह जाएगी, जिनकी अपराधियों पर उस समय ऐसी दहशत थी कि रावत के डर से कई बदमाश प्रवृत्ति के लोग टोंक से भागकर जयपुर में रिक्शा चलाने पर मजबूर हो गए थे।

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