खरगे  की नई टीम से  कांग्रेस को आगामी चुनाओं में  कितना फायदा होगा ?

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कांग्रेस अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के करीब 10 महीने बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी टीम की घोषणा कर दी है। कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण करने वाली बॉडी कांग्रेस कार्य समिति में 39 सदस्यों को जगह दी गई है, जिसमे कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्षों सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को शामिल किया गया है। कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी अब कांग्रेस कार्य समिति की रेगुलर मेंबर हो गई हैं, पहले उन्हें महासचिव की हैसियत से सीडब्ल्यूसी में जगह दी गई थी।

 चुनावी रणनीति को लेकर तमाम तरह के फैसले लेने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी ( सीडब्ल्यूसी  ) में हर तरह के समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है। जहां पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं को कमेटी में शामिल किया गया है, वहीं गांधी परिवार के करीबियों का भी खास खयाल रखा गया है। वर्किंग कमेटी में युवा नेताओं की हिस्सेदारी से लेकर जातीय समीकरण को भी साफ तौर पर देखा जा सकता है।

कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में जो बदलाव हुए हैं, उनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, पार्टी के युवा नेता और जमीनी तौर पर काम करने वाले नेताओं को साधा गया है। पार्टी अपनी इस नई और तमाम कॉम्बिनेशन वाली टीम के साथ 2024 के चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रही है। इसे कांग्रेस की नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का अहम रोल है।

कांग्रेस ने इसी साल छत्तीसगढ़ के रायपुर में अपना 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था, जिसमें पार्टी की स्टीयरिंग कमेटी के तमाम नेता पहुंचे थे। 24 से 26 फरवरी तक होने वाले इस अधिवेशन में तमाम विषयों पर चर्चा हुई। अधिवेशन के बाद बताया गया कि पार्टी में हर जाति और वर्ग के नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। जिसकी तस्वीर अब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में नजर आई है। इससे पहले पिछले साल उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में भी यही बात कही गई थी।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी में मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को जगह देकर ये मैसेज दिया गया कि पार्टी में लोकतंत्र जिंदा है, साथ ही किसी भी बड़े नेता को नाराजगी दिखाने का मौका नहीं दिया गया। अब जातीय समीकरण की बात करें तो छ: ओबीसी, नौ एससी और महेंद्रजीत मालवीय जैसे आदिवासी चेहरे को नई टीम में जगह दी गई है। पार्टी ने उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में दिए गए सुझावों पर मुहर लगाई, जिसमें कहा गया था कि कमेटी में 50 फीसदी नेता 50 साल की उम्र से कम और एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक होंगे।

कांग्रेस की इस नई टीम में 39 परमानेंट मेंबर, 32 परमानेंट इनवाइटी और 13 स्पेशल इनवाइटी शामिल हैं। कुल 84 नेताओं को मिलाकर कांग्रेस ने अपनी ये नई टीम तैयार की है। हालांकि 39 सदस्यीय परमानेंट मेंबर्स में से सिर्फ तीन ही 50 साल की उम्र से कम हैं। जिनमें सचिन पायलट, गौरव गोगोई और कमलेश्वर पटेल शामिल हैं।

, सीडब्ल्यूसी मेंबर के ऐलान के बाद पायलट को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर भी विराम लग गया है। जिसमें उनके कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस महासचिव बनाए जाने की चर्चा चल रही थी। वहीं बाकी युवा नेताओं में गौरव गोगोई, जितेंद्र सिंह, अलका लांबा, नासिर हुसैन, सुप्रिया श्रीनेत, यशोमति ठाकुर और प्रणिति शिदें जैसे नाम शामिल हैं।

कांग्रेस नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठाने वाले नाराज गुट को जी-23 ग्रुप के नाम से जाना जाता है, हालांकि पिछले कुछ महीनों से इसके तमाम नेताओं ने किसी भी तरह के बगावती सुर नहीं दिखाए हैं। कांग्रेस ने इस गुट के तमाम बड़े नेताओं को वर्किंग कमेटी में शामिल किया है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि पार्टी पिछले तमाम गिले-शिकवे मिटाकर नई शुरुआत करने की कोशिश कर रही है। इन नेताओं में आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक, शशि थरूर और वीरप्पा मोइली जैसे नाम शामिल हैं।

सीडब्ल्यूसी   में पंजाब के प्रभारी के तौर पर राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतु से आने वाले कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी को शामिल किया है। इसी तरह राजस्थान में आदिवासी क्षेत्र से आने वाले प्रदेश के जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर एक टीम में शामिल किया है। राजस्थान के प्रदेश चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन गौरव गोगोई को भी राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर  सीडब्ल्यूसी   में जगह दी गई है। राजस्थान के पूर्व प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे  भी महासचिव के तौर पर शामिल किए गए हैं। अजय माकन भी  सीडब्ल्यूसी  मेंबर बनाए गए हैं, जिन्हें मौजूदा प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से पहले विवादों के चलते राजस्थान से इस्तीफा देना पड़ा था। परमानेंट इनवाइटीज में राजस्थान धौलपुर से आने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोहन प्रकाश को जगह दी गई है।

सचिन पायलट के पास पिछले तीन साल कोई पद नहीं होने पर प्रदेश के गुर्जर समाज में नाराजगी की बातें सामने आ रही हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में पहुंचने से पहले पहले गुर्जर समाज से आने वाले नेताओं ने पायलट को सीएम बनाने की बात कही थी। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव से पहले पायलट को सीडब्ल्यूसी में जगह मिलने का फायदा कांग्रेस को चुनाव में मिल सकता है।

मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर केंद्रीय टीम में शामिल किया गया है। बांसवाड़ा के बागीदौरा से विधायक महेंद्रजीत की आदिवासी क्षेत्र से आते हैं। ऐसे में उनकी आदिवासी वोटरों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। कांग्रेस ने महेंद्रजीत को केंद्रीय टीम में जगह देकर चुनाव से पहले आदिवासियों को अपने पाले में खीचने की कोशिश की है।

सीडब्ल्यूसी में शामिल होने के बाद पायलट और गहलोत के बीच का गतिरोध खत्म माना जा रहा है। क्योंकि पार्टी के इस फैसले ने संकेत दे दिया है कि पायलट दिल्ली की राजनीति करेंगे, वहीं गहलोत राजस्थान संभालेंगे। बतादें कि 2018 के चुनाव के बाद से दोनों नेताओं के बीच में टेंशन देखने को मिल रही थी। जिसे समय-समय पर कांग्रेस आलाकमना ने खत्म कराया था। फिलहाल दोनों नेता शांत हैं और पार्टी को चुनाव जिताने के लिए काम कर रहे हैं।

उन्होंने ट्विटर यानी एक्स पर पोस्ट किया, “कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य बनाए जाने पर मैं आदरणीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी जी एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी का आभार व्यक्त करता हूं। हम सभी कांग्रेस की रीति-नीति व विचारधारा को सशक्त करते हुए उसे और अधिक मजबूती से जन-जन तक पहुंचाएंगे।”

सचिन पायलट को यह जिम्मेदारी राजस्थान में इस साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दी गई है। पायलट ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मतभेदों को भुलाकर आगे बढ़ने का गत 8 जुलाई को स्पष्ट संकेत दिया था और कहा था कि सामूहिक नेतृत्व ही चुनाव में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है और पार्टी के सभी नेता एकजुट होकर लड़ेंगे। सीडब्ल्यूसी मेंबर के ऐलान के बाद पायलट को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर भी विराम लग गया है। जिसमें उनके कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस महासचिव बनाए जाने की चर्चा चल रही थी।

पायलट ने एक इंटरव्यू में यह भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे कहा है, ‘भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो’ और खरगे की यह बात उनके लिए एक सुझाव होने के साथ ही पार्टी अध्यक्ष का निर्देश भी है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी उस वक्त की थी, जब इससे कुछ दिनों पहले खरगे और राहुल गांधी ने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक की थी, जिसमें एकजुट होकर आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला हुआ था। इस बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने यह संकेत दिया था कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करेगी।

स्पष्ट है कि पूरी टीम आगामी चुनाओं को ध्यान में रख कर बनाई गई हैं  ।रूठे लोगों को उचित स्थान देकर कांग्रेस ने विरोधियों के सामने एक चुनौती ही खड़ी कर दी है परन्तु अब नई सीडब्ल्यूसी के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं  ।  एक, यह सुनिश्चित करना कि टीम करगे राज्य चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करें और परिणामों को अपने पक्ष में बदल सकें ।  दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि विपक्षी एकता के शोर में कांग्रेस की पहचान न खो जाए, खासकर जब आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ अविश्वास और प्रतिस्पर्धा जारी है ।

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