छात्र संघों के चुनाव : छात्रों ने आंदोलन का बिगुल बजाया

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राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पूर्व छात्रों ने सरकार के विरोध में आंदोलन का बिगुल बजा दिया है।
छात्रों ने सरकार द्वारा छात्र संघों के चुनाव नहीं कराने के फैसले के विरोध में उग्र आंदोलन शुरू किया है।
छात्र संघ चुनावों को लेकर समूचे राज्य में छात्र आंदोलित है। जगह जगह उग्र प्रदर्शन, धरना, भूख हड़ताल
और आंदोलन में छात्र कूद पड़े है। कई स्थानों पर छात्र पुलिस भिड़न्त के समाचार मिले है। छात्रों के सिर
फुटौव्वल भी हुए है। राजस्थान सरकार ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में होने वाले छात्रसंघ चुनावों पर
रोक लगा दी है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले किसी तरह की कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। छात्र
संघ के चुनाव में अगर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को हार मिलती है तो उसका सियासी प्रभाव
विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। भाजपा इसे चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के तौर पर गहलोत
सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है। सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया है कि छात्रसंघ चुनावों के
कारण दिग्गज प्रशासनिक कार्यों में तकनीकी समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना है। सरकार ने लिंगदोह
कमेटी की शर्तों की पालना नहीं होना भी एक कारण बताया गया है। अगर लिंगदोह कमेटी की शर्तों के
उलंघन के आधार पर चुनाव रद्द किए गए हैं तो आगामी वर्षों में भी शर्तों की पालना होने की कोई गारंटी
नहीं है। इससे 400 सरकारी और 500 से ज्यादा प्राइवेट कॉलेज प्रभावित हुए है।
यह भी कहा जा रहा है कि राजस्थान में जब-जब छात्रसंघ चुनाव हुए तब-तब उसका असर विधानसभा
चुनाव पर पड़ा है। जबकि छात्रों का कहना है आगामी विधानसभा चुनावों के मधे नज़र सरकार ने चुनावों
को टाल दिया है। सरकार को भय है इन चुनावों में विरोधी छात्रों की जीत हो सकती है जिसका विधानसभा
चुनावों में बुरा असर पड़ सकता है। छात्र संघ चुनावों को लेकर पक्ष विपक्ष सभी छात्रों में घमासान मचा है।
विभिन्न छात्र संगठनों ने चुनाव करवाने को लेकर गहलोत सरकार में मंत्री और पूर्व अध्यक्ष महेश जोशी,
प्रताप सिंह खाचरियावास, हरीश चौधरी और हनुमान बेनीवाल सहित कई नेताओं से मिलकर चुनाव करने
का अनुरोध किया है। इन नेताओं ने विश्वास दिलाया है की वे गहलोत से मिलकर समस्या का समाधान
निकालेंगे। सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि यदि सरकार छात्र संघ चुनाव को बहाल नहीं करती तो आने
वाले दिनों में जयपुर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। और सरकार की ईट से ईट बजा देंगे। उन्होंने कांग्रेस
पार्टी को चेतावनी दी कि यदि अपना फैसला वापस नहीं लिया। तो आने वाले विधानसभा चुनाव में बूथों पर
कांग्रेस को एजेंट भी नहीं मिलेंगे।

बताया जाता है पिछले कुछ वर्षों में छात्र संघों के चुनावों में कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन का सफाया हो
गया था। कुल 17 विश्वविद्यालयों में से 6 में बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी के प्रत्याशी जीते थे। 9
विश्वविद्यालयों में निर्दलीय प्रत्याशी अध्यक्ष बने थे जबकि एनएसयूआई के प्रत्यशी सिर्फ 2
विश्वविद्यालयों में ही अध्यक्ष बने थे। अगर इस बार भी एनएसयूआई का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो
सरकार के खिलाफ माहौल बनता। सरकार के खिलाफ बनने वाले माहौल के चलते भी छात्रसंघ चुनावों को
रद्द किया जाना माना जा रहा है।

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