केंद्र AFSPA को हटाने पर विचार करेगा, जम्मू-कश्मीर से सेना वापस बुलाने की योजना : Amit Shah

ram

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा)को वापस लेने पर विचार करेगी। शाह ने जेके मीडिया ग्रुप के साथ एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।’’
विवादास्पद अफस्पा पर गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हम अफस्पा हटाने के बारे में भी सोचेंगे।’’ अफस्पा अशांत क्षेत्रों में सक्रिय सशस्त्र बलों के कर्मियों को ‘‘लोक व्यवस्था कायम’’ रखने के लिए आवश्यकता होने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने अफस्पा हटाने की मांग की है। शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और लोगों का लोकतंत्र होगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने केंद्रशासित प्रदेश में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है। अनुसूचित जाति (एससी),अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा कि पहली बार, जम्मू-कश्मीर के ओबीसी को मोदी सरकार ने आरक्षण दिया है और महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण दिया गया। हमने एससी और एसटी के लिए जगह बनाई है। गुज्जर और बकरवालों की हिस्सेदारी कम किए बिना, पहाड़ियों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित लोगों को समायोजित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि ये लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे।

शाह ने दावा किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता फारूक अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरक्षण के इन प्रावधानों को लेकर कटुता पैदा करने की पूरी कोशिश की लेकिन लोग अब उनके इरादों को समझ गए हैं। उन्होंने पूछा कि नेकां ने पिछले 75 वर्षों में इन लोगों को आरक्षण क्यों नहीं दिया। गृह मंत्री ने दावा किया कि जब आतंकवाद चरम पर था तो अब्दुल्ला इंग्लैंड चले गए थे। उन्होंने कहा, अब्दुल्ला और महबूबा दोनों को इस मुद्दे पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *