वीर गाथाओं से होता है गर्व का एहसास

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प्रोफ़ेसर मोनिका ओझा खत्री
इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग का मानना था कि दुनिया में अगर कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां
मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान है। यह हमारे इतिहास की सच्चाई है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर
करने की परम्परा आज भी राजस्थान में कायम है। 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और
बीकानेर रियासतों का विलय होकर वृहत्तर राजस्थान संघ बना था। इसी तिथि को राजस्थान की स्थापना का
दिन माना जाता है। प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को राजस्थान की अमर गाथा का अपनी सुनहरी यादों में समरण कर
इसे राजस्थान दिवस के रूप में मानते है, हालांकि नव वर्ष समारोह समिति, जयपुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री
भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर मांग की है कि राजस्थान दिवस 30 मार्च के स्थान पर नव संवत् (चैत्र
शुक्ल प्रतिपदा) पर मनाया जाए। समिति के प्रवक्ता महेंद्र सिंघल ने बताया संयुक्त राजस्थान का उद्घाटन
चैत्र शुक्ला एकमा प्रतिपदा संवत 2006 तदनुसार 30 मार्च 1949 को प्रातः 10:40 बजे रोहिणी नक्षत्र
इंद्रयोग में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था। सरदार पटेल ने संयुक्त
राजस्थान का उद्घाटन करते समय दिए गए अपने भाषण में कहा था कि "राजपूताना में आज नए साल का
प्रारंभ है। यहां आज के दिवस साल बदलता है। शक बदलता है। यह नया वर्ष है। तो आज के दिन हमें नए
महा- राजस्थान के महत्व को पूर्ण रीति से समझ लेना चाहिए। आज अपना हृदय साफ कर ईश्वर से हमें
प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें राजस्थान के लिए योग्य राजस्थानी बनाये। राजस्थान को उठाने के लिए,
राजपूतानी प्रजा की सेवा के लिए, ईश्वर हमको शक्ति और बुद्धि दे। आज इस शुभ दिन हमें ईश्वर का
आशीर्वाद मांगना है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सब मेरे साथ राजस्थान की सेवा की इस प्रतिज्ञा में, इस
प्रार्थना में, शरीक होंगे।''
राजस्थान अपनी आन, बान,शान, शौर्य, साहस, कुर्बानी, त्याग, बलिदान तथा वीरता के लिए सम्पूर्ण विश्व में
ख्यात है। राजस्थान के लोग अपनी कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते हैं। भौगोलिक विषमताओं और प्राकृतिक
चुनौतियों के बावजूद यहां के नागरिकों की दृढ़ इच्छा शक्ति और आपसी सहयोग से प्रदेश का चहुंमुखी विकास
हो सका है। राजस्थान में गरीब लोगों के सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सुधार, संसाधनों में वृद्धि और
राजनीति, व्यवसाय आदि सभी क्षेत्रों में विकास, हमारी खुशहाली के प्रतीक हैं। राजपूताना कहे जाने वाले
राजस्थान का इतिहास गौरवशाली रहा है जिस पर हर प्रदेशवासी को गर्व है। मातृ भूमि की रक्षा एवं
परम्पराओं तथा संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने में यहां के लोगों ने सदैव पहल की है। राजस्थान की कला,
साहित्य और सांस्कृतिक पृष्ठ भूमि विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है। राजस्थान इस वर्ष अपना 75 वां

स्थापना दिवस मना रहा है। कला-संस्कृति, पर्यटन व्यापार, खेल और खेती सभी क्षेत्रों में सबसे आगे हैं
राजस्थानी।
राज्य की अर्थ व्यवस्था कृषि एवं ग्रामीण आधारित है । कृषि और पशु पालन यहां के निवासियों के मुख्य
रोजगार है । आजादी के बाद इस प्रदेश ने निश्चय ही प्रगति और विकास की ऊंचाईयों को छुआ है। वर्षा की
अनियमितता के कारण यह प्रदेश अनेकों बार सूखे और अकाल का शिकार हुआ। मगर प्रदेश- वासियों ने
विपरीत स्थितियो में भी जीना सीखा और अपने बुलन्द हौसले को बनाये रखा । यह सही है कि हमने हर क्षेत्र
में प्रगति हासिल की है। स्कूलों की संख्या बढ़ी है। छात्रों का नामांकन भी दुगुना-चौगुना हुआ है। राशन सस्ता
हुआ है। विद्युत के क्षेत्र में भी हम आगे बढ़े हैं। विद्युत क्षमता में भी बढ़ोतरी हुई है। गांव-गांव और घर-घर
बिजली की रोशनी प्रज्जवलित हुई है। सड़कों का जाल भी चहुंओर देखने को मिल रहा है। गांवों को मुख्य
सड़कों से जोड़ा गया है। पेयजल के क्षेत्र में अच्छी खासी प्रगति हुई है। गांव-गांव और शहर-शहर में पानी
पहुंचाया गया है। दूर दराज के क्षेत्रों में पानी पहुंच रहा है। जो गांव पेयजल के लिए सिर्फ वर्षा पर आधारित थे
वहाँ जल विभाग की योजनाओं के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्रों में बड़ी कामयाबी
हासिल की गई है। गांव-गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया गया है। आज लगभग सभी ग्रामों में स्वास्थ्य
की सुविधा पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। मैट्रो सिटी में बड़े अस्पताल बनाये गये हैं और जटिल से जटिल
रोगों का ईलाज किया जा रहा है। औद्योगिक विकास की दृष्टि से भी हम आगे बढ़े हैं। रेगिस्तानी क्षेत्र
राजस्थान में पहले लोग उद्योग धंधे स्थापित करने से डरते थे। आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने और
लालफीताशाही के कारण उद्योगपति राजस्थान आने से डरते थे। यहाँ तक कि प्रवासी उद्योगपति भी अपने
क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने में हिचकिचाते थे। मगर आज आधारभूत सुविधाएँ सुलभ होने के कारण
राजस्थान में बड़ी तेजी से बड़े और वृहद् उद्योग स्थापित हुए हैं। औद्योगिक विकास के क्षेत्र में राजस्थान का
काया कल्प हुआ हे। हमारे लाखों नौजवानों को रोजगार मिला है। राजस्थान पर्यटन के क्षेत्र में काफी
समृद्धशाली राज्य है। यहाँ के किले, हवेलियाँ, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर मेले, महल, झीलें, पर्यटकों
को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रही है। राजस्थान का पर्यटन के क्षेत्र में विश्व में प्रमुख स्थान है। पर्यटन राज्य
के रूप में प्रदेश ने विश्व मानचित्र में अपनी अनूठी पहचान बनाई है।

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