क्या Rajya Sabha में दिल्ली अध्यादेश बिल को पास होने से रोक पाएंगे विपक्षी दल? जानें क्या हैं आकड़ें

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केंद्रीय मंत्री अमित शाह आज राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल पेश कर सकते हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि बिल को रोकने के लिए राज्यसभा में हर संभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने अपने बयान में कहा कि AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा, ‘AAP और I.N.D.I.A ब्लॉक दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हम इस बिल को विधायी प्रक्रिया के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया के जरिए भी रोकेंगे।’ इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के 2 करोड़ लोगों को गुलाम बनाने वाला बिल है, यह 2 करोड़ लोगों के मतदान के अधिकार को खत्म कर देता है। क्या राज्यसभा में रोका जा सकता है बिल?
भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास भारत की संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है। हालाँकि, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ अन्य छोटे दलों का समर्थन सरकार के बिलों के लिए पर्याप्त समर्थन प्रदान करता प्रतीत होता है। राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं, वर्तमान में 7 सीटें खाली हैं। किसी विधेयक को पारित करने के लिए, यदि सभी 238 मौजूदा सदस्य मतदान करते हैं, तो आधे रास्ते का निशान 120 वोट है। भाजपा ने एनडीए में सहयोगियों सहित 127 सदस्यों के समर्थन का दावा किया है, और उसे नामांकित और स्वतंत्र सांसदों के समर्थन का भी भरोसा है। इसके अतिरिक्त, कुछ रिपोर्टों के अनुसार, तेलुगु देशम पार्टी और बीएसपी द्वारा बिल का समर्थन करने की संभावना है। राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों की संख्या लगभग 109 है। ऐसे में विपक्ष के लिए बहुत ज्यादा कुछ नहीं बचा है।
लोकसभा में पास हो चुका है बिल
लोकसभा ने बृहस्पतिवार को विवादास्पद ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दे दी थी। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा। निचले सदन में करीब चार घंटे तक चली चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। गृह मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन ने इस संबंध में पहले लागू अध्यादेश को अस्वीकार करने के कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के सांविधिक संकल्प को नामंजूर कर दिया और विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ पिछले कुछ दिनों में सदन में नौ विधेयक पारित हुए लेकिन विपक्षी दल इन पर चर्चा में शामिल नहीं हुए। वे सभी विधेयक भी महत्वपूर्ण थे। लेकिन आज के विधेयक (दिल्ली सेवा विधेयक) पर सभी (विपक्षी दल) मौजूद हैं क्योंकि सवाल गठबंधन बचाने का है।’’

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