ड्रैगन के खिलाफ बलूचों ने क्यों उठा रखा है हथियार

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खैबर पख्तूनख्वा: पाकिस्तान हमेशा चीन को अपना सबसे जिगरी दोस्त बताता है। उसके इशारों पर कुछ भी करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। चीन और पाकिस्तान की करीबी दुनिया से छिपी भी नहीं है। लेकिन इस दोस्ती की कीमत कुछ चीनी नागरिकों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों ने की गाड़ी पर आत्मघाती हमला कर दिया। चायनीज इंजीनियर की गाड़ी पर हमला उस समय किया गया जब, चायनीज इंजीनियर इस्लामाबाद से दासू के लिए जा रहे थे।

चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC पर बढ़ते हमलों ने पाकिस्तानी सुरक्षा की पोल खोल दी है। चीन ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ को दो टूक कहा है कि सुरक्षा मुहैया कराने में पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा एजेंसियां फेल रही हैं। चीन CPEC वाले बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपनी रेड आर्मी तैनात करेगा।

चीन के राजदूत जियांग जायडोंग ने शहबाज को राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ये मैसेज बता दिया। पिछले सात दिन में बलोच हमलों में ग्वादर पोर्ट पर तीन चीनी अफसर घायल हो गए जबकि खैबर में कबाइली हमले में पांच चीनी इंजीनियर मारे गए। चीन इस बात से नाराज है कि पाकिस्तान ने पहले भी चीनी नागरिकों को सुरक्षा देने का भरोसा दिया था, लेकिन हमले नहीं रुके।दरअसल, CPEC में चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने 15 हजार जवानों की स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन बनाई। लेकिन, दो साल में 30 चीनी नागरिक मारे जा चुके हैं।

मंगलवार को विस्फोटकों से भरे वाहन से टक्कर के बाद चीनी इंजीनियरों की गाड़ी खाई में गिर गई। आतंकियों ने चीनी नागरिकों पर हमला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में किया। आतंकियों ने बेशम शहर के पास आत्मघाती हमले को अंजाम दिया। विस्फोटक से भरी एक कार चायनीज इंजीनियर की गाड़ी से टकराई। हमले में पांच चीनी इंजीनियर और एक पाकिस्तानी की मौत हो गई। चीनी इंजीनियर D. H. प्रोजेक्ट के सिलसिले में पाकिस्तान में थे। आतंकियों की विस्फोटक से भरी कार जब चायनीज इंजीनियर की गाड़ी से टकराई, तो जोरदार धमाका हुआ और कार खाई में जा गिरी। ये पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान में चीन के नागरिकों को निशाना बनाकर मारा गया है।

चीन के करीब साढ़े सात हज़ार नागरिक पाकिस्तान में अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इनमें CPEC प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी नागरिकों को पाकिस्तान में अक्सर निशाना बनाया जाता है। चीनी नागरिकों पर आतंकी हमले किये जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई चायनीज इंजीनियर और नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है। जब चीन ने इन हमलों को लेकर पाकिस्तान को आंख दिखाई, तब वर्ष 2014 में पाकिस्तान सरकार ने चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई इसमें में 4 हज़ार से ज्यादा सिक्युरिटी ऑफिसर शामिल हैं, ज्यादातर पाकिस्तान आर्मी से ताल्लुक रखते हैं।

ऐसी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में ना सिर्फ हमले हो रहे हैं, बल्कि उनकी जान पर खतरा भी बना हुआ है। जबकि पाकिस्तान ऐसा देश है जो चीन के सैंकड़ों अहसान के तले दबा हुआ है। ऐसे में अगर चीन के नागरिकों को पाकिस्तान में निशाना बनाकर मारा जायेगा, तो चीन का नाराज होना लाजमी है।पाकिस्तान में आतंकी हमला होना कोई नई बात नहीं है और पाकिस्तान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकी हमले में उसके कितने नागरिक मारे गए। हमला क्यों हुआ, किसने किया। क्योंकि, भारत से नफरत में पाकिस्तान आतंकवाद और आतंकियों का समर्थन करता आया है।

पाकिस्तान में सत्ता चाहे किसी की रहे, देश की अवाम उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। लेकिन अगर आतंकी हमला चीनी नागरिकों पर हो जाये, और वो भी एक साथ 5-5 चीनी नागरिक आतंकी हमले में मारे जायें। तो पाकिस्तान के हुक्मरानों के हाथ पैर फूल जाते हैं। उन्हें दिन में तारे दिखाई देने लगते हैं। और मंगलवार को हुए चीनी नागरिकों पर हमले के बाद भी ऐसा ही हुआ।

पांच चीनी नागरिकों के आतंकी हमले में मारे जाने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इस कदर घबरा गए, कि हमले के कुछ ही घंटे बाद अपनी पूरी कैबिनेट के साथ इस्लामाबाद स्थित चीन के दूतावास पहुंच गए। शहबाज शरीफ को डर था, कि चीन डांट फटकार लगाए उससे पहले किसी तरह उसे मना लिया जाये। पाकिस्तान, चीन के साथ अपनी दोस्ती को हिमालय से ऊंचा और समुद्र से गहरा बताता है, चीन को आयरन ब्रदर कहता है। लेकिन इस आतंकी हमले के बाद जो सामने आया वो चौंकाने वाला है। आमतौर पर ऐसी घटनाओं के बाद दूतावास मंत्री जाते हैं या राजदूत को प्रधानमंत्री आवास बुलाया जाता है। लेकिन डर की वजह से शहबाज शरीफ खुद ही चीनी दूतावास पहुंच गए।

शहबाज शरीफ की इतनी हिम्मत नहीं हुई, कि चीन के राजदूत से आंख से आंख मिलाकर बात तक कर सकें। पूरी बातचीत के दौरान शहबाज शरीफ चुपचाप नज़रें झुकाकर बैठे रहे। चीन का पाकिस्तान से नाराज होना और पाकिस्तान सरकार का डर दोनों जायज है। क्योंकि, पिछले कुछ वर्षों में बार-बार चीन के नागरिकों को आतंकियों ने निशाना बनाया है। कई चीनी नागरिकों की जान भी गई है। लेकिन इस तरह के हमलों को रोकने में पाकिस्तान हमेशा नाकाम रहा है।

सुरक्षा जानकारों के मुताबिक बलूचिस्तान और खैबर में चीन के CPEC प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा है। बलूच लिबरेशन आर्मी और खैबर में कबाइली हमलों के खिलाफ चीन हथियारबंद फौजियों की तैनाती के साथ-साथ जासूसी नेटवर्क भी तैयार करेगा।इसमें स्थानीय लोगों से मुखबिरी कराई जाएगी। चीन सरकार ने अलग से फंड देने का ऐलान किया है। चीन का मानना है कि खैबर में पाकिस्तान की सेना ने रोड ओपनिंग टीम नहीं भेजी थी, इसके कारण कबाइली घात लगाकर हमला करने में कामयाब रहे।

जानकारों का कहना है कि तंगहाल पाकिस्तान को छह लाख करोड़ के सीपैक प्रोजेक्ट के हाथ से जाने का खतरा है। इसलिए वह चीन द्वारा सेना को तैनात किए जाने से इनकार करने की स्थिति में नहीं है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जल्द चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। पाकिस्तान को सीधी आर्थिक सहायता के लिए चीन पर निर्भरता जरूरी है। साथ ही पाकिस्तान एयरफोर्स के लिए 50 फाइटर जेट की डील भी होनी है।

जापान के अखबार ‘निक्केई एशिया’ ने पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों और उनके कारोबार पर खतरे को लेकर एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन किया था। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के तमाम आतंकी संगठन चीनी नागरिकों और उनके कारोबार या कंपनियों को ही निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं। इसकी वजह यह है कि बीते 5 साल में यहां उनकी ताकत और रसूख बहुत तेजी से बढ़ा है।

कई जगहों पर तो वो स्थानीय लोगों से भी ज्यादा ताकतवर हैं। आतंकी संगठनों को लगता है कि चीनी नागरिकों की वजह से उनकी कम्युनिटी या इलाकों को नुकसान हो रहा है और वो उनके कारोबार छीन रहे हैं। शुरुआती तौर पर कराची और लाहौर जैसे इलाकों में चीनी नागरिकों के कारोबार और ऑफिसों पर हमले हुए। इसके बाद उनकी कंपनियों को टारगेट किया गया।

विदेश मामलों के जानकार क़मर आगा के अनुसार बलूच लोग चीन की दखल से त्रस्त हैं। इन्हें लगता है इनके हर संसाधन पर चीन का कब्जा होता जा रहा है और इसके खिलाफ ही लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस लड़ाई में सेक्यूलर लिबरल ग्रुप्स भी है, कुछ ग्रुप्स ऐसे हैं जिन्होंने हथियार उठा रखे हैं। कुछ धार्मिक समूह हैं जो इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। इनकी लड़ाई चीन और पाकिस्तान के साथ चल रही है।” क़मर आगा कहते हैं, “पाकिस्तान को चीन के प्रोजेक्ट्स से कोई फायदा नहीं हो रहा है, जैसे पाकिस्तान में चीन ने पावर प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं लेकिन इससे पाकिस्तानियों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। अगर पाकिस्तान में पाकिस्तान को चीनी निवेश से किसी को फायदा हो भी रहा है तो वे पंजाब प्रांत के लोग हैं और व्यवसायी लोग हैं। इससे बलूचिस्तान के लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है और यहीं वजह है कि अब पाकिस्तान में आजादी की लड़ाई छिड़ चुकी है।

– अशोक भाटिया,

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