एसडीएम व थानाधिकारी को ज्ञापन सौपने सैकड़ो ग्रामीण पहुंचे उपखंड कार्यालय,आसपास के गांवों के ग्रामीण रहे मौजूद…….
मागलियावास :-पीसागन उपखंड कार्यालय पर रामपुरा-डाबला व आसपास के गांवों के ग्रामीण लामबंद होकर पहुंचे। जहां उपखंड अधिकारी प्रियंका बड़गूजर व थानाधिकारी नरपतराम बाना को सरपंच सीमा चौधरी के नेतृत्व में बजरी खनन लीज को लेकर विरोध दर्ज कराते हुए। ग्राम पंचायत क्षेत्र में बजरी खनन लीज निरस्त करने व प्रास्थितिकी पर्यावरण को बरकरार रखने की मांग की। ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत मुख्यालय से गुजरती सागरमती नदी के केचमेंट एरिया में हमें आधी अधूरी जानकारी मिली कि बजरी खनन की लीज हो गई है।
इसको लेकर 1 दिन पूर्व ठेकेदार के कारिंदो को ग्रामीणो ने विधि विरुद्ध खनन करने की कोशिश करने पर ठेकेदार के कारिंदों से लीगल लीज से सम्बंधित दस्तावेज दिखाने के लिए कहा था। लेकिन ठेकेदार के कारिंदे लीगल दस्तावेज पेश नहीं कर सके और ना ही ठेकेदार के कारिंदे ग्रामीणों को कोई संतोषजनक जवाब दे सके। ज्ञापन में बताया गया की राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त 2004 में अब्दुल रहमान बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान मामले में आदेश दिए कि प्रदेश में जल स्रोतों जैसे नदी,नाला,गौचर,ओरण के कैचमेंट एरिया व बहाव क्षेत्र की स्थिति 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि से पूर्व की तरहा पूर्व की स्थित बहाल की जाये। पारिस्थितिक पुनर्स्थापन के लिए उपरोक्त क्षेत्रो से 45 मीटर की दूरी छोड़कर ही किसी प्रकार की कोई अनुमति देने का प्रावधान है। पंचायत क्षेत्र के आमजन में पनपते जनाक्रोश के साथ ही जनहित,लोकहित व गड़बड़ाते पर्यावरणीय संतुलन के मध्यनजर खनन लीज दिया जाना कतई न्यायोचित नहीं है।
खनन लीज निरस्त किए जाने से राज्य सरकार को राजस्व हानि होने पर राजकोषीय घाटे को ग्राम स्तर पर चंदा इकट्ठा कर भरपाई करने के लिए भी वह लोग तैयार हैं। ज्ञापन में कहा गया कि खनिन से हमारा पारिस्थितिकी पर्यावरण भी गड़बड़ा जाएगा जिसके चलते गांव का ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो जाएगा। क्योंकि गांव का मुख्य रोजी रोजगार व जीवनयापन का मुख्य जरिया कृषि व पशुपालन है। खनन लीज देने पर अजमेर के आनासागर एस्केप चैनल से बहकर आने वाला दूषित पानी सीधा ही कुंओ के माध्यम से बजरी नही होने पर बगैर छने कृषि के काम आएगा। जिससे कृषि तो दूषित होंगी। साथ दूषित पानी से जनित कई बीमारियां भी पनपेगी जिसका खामियाजा वर्तमान के साथ साथ भविष्य को भी भुगतना पड़ेंगा।
जिसका मुद्रा में मूल्यांकन करना संभव नहीं होंगा। खनन लीज देने से पूर्व विभाग व ठेकेदार के मध्य पारिस्थितिक पुनर्स्थापन को लेकर इकरारनामा होता है। उसके मुताबिक ठेकेदार को एनजीटी के द्वारा जारी पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र से पूर्व खनन लीज से सम्बंधित किसी भी गतिविधि को लागू करने की अनुमति विधि विरुद्ध होती हैं। बावजूद इसके अपने आप को ठेकेदार के आदमी बताने वाले लोग विधि की अवहेलना कर रहे है। जबकि तय शर्तो व नियमों की पालना करना जनहित,लोकहित,राजहित,पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से अनिवार्य है।
ताकि वैश्विक मंच पर देश के द्वारा विश्व को ग्लोबल वार्मिंग को काबू करने में सहयोग के लिए दिए गए भरोसे को बरकरार रखा जा सके। ग्रामीणों ने ज्ञापन में कहा कि नदी के बहाव क्षेत्र में गांव का पशुधन चराई के लिए जाता है। गांव की लाइफ लाइन कृषि के साथ ही पशुपालन हैं और मवेशियों व पशुपालन को जीवित रखने के लिए नदी को जिंदा रखना अनिवार्य है। यहां वैध अवैध खनन होने से जसवंत सागर बांध के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरायेगा। ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखित भरोसा देते हुए कहा कि हम हमारे हक की लड़ाई विधि सम्मत कानूनी दायरे में रहकर लड़ेंगे। लेकिन हमारे हितों पर कुठाराघात हुआ ओर ठेकेदार आदि के द्वारा विधि विरुद्ध पहल करते हुए विधि संमत तय कानून कायदे तोड़े गए तो हम लोग भी किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे हालातों में कानून व्यवस्था प्रभावित होती है तो वे समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
खनन लीज निरस्त नहीं होने पर ग्रामीण आगामी 27 व 28 जून को पंचायत मुख्यालय पर आहूत होने वाले महंगाई राहत एवं प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत लगने वाले शिविर का संपूर्ण बहिष्कार करेंगे। इससे पूर्व रामपुरा डाबला स्थित चारभुजा नाथ मंदिर प्रांगण में बीती रात्रि को साढ़े 8 बजे से लेकर रात 11 बजे तक ग्रामीणों ने बजरी खनन लीज को लेकर लामबंद होते हुए। गांव का साथ नही देने वाले स्थानीय ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने के साथ ही जरूरत पड़ने पर आरपार की लड़ाई लड़ने की बात कही
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