जयपुर। जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि जल जीवन मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार योजना की पूंजीगत लागत का सामान्य क्षेत्रों के लिए 10 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति-जनजाति तथा रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए 5 प्रतिशत जन भागीदारी के अंशदान को वर्ष 2023-24 की बजट घोषणा के क्रम में राज्य सरकार द्वारा 1 अप्रेल 2023 से वहन किया जा रहा है। बजट घोषणा के बाद अब जनभागीदारी अंशदान नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 1 अप्रेल, 2023 से पूर्व लिए गए अंशदान को लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
जलदाय मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नागौर जिले में पेयजल की औसत मांग 300 एमएलडी प्रतिदिन की है। जिसके विरूद्ध विभिन्न स्रोतों से 306 एमएलडी प्रतिदिन की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र परबतसर के 161 ग्रामों में से 110 ग्रामों को जल जीवन मिशन के प्रारंभ होने से पूर्व ही जल कनेक्शनों से आपूर्ति से जोड़ दिया गया था। शेष 51 गांवों में मिशन के तहत 10 योजनाओं के माध्यम से घर-घर जल कनेक्शन से जोड़ा जाना है। इनमें से 6 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं तथा शेष 4 योजनाएं अक्टूबर माह तक पूरी किए जाने का लक्ष्य है।
इससे पहले विधायकरामनिवास गावडिया के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जलदाय मंत्री ने बताया कि जल जीवन मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार योजना की पूंजीगत लागत का सामान्य क्षेत्रों के लिए 10 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जन जाति तथा डीडीपी क्षेत्रों के लिए 5 प्रतिशत जनभागिता अंशदान लिया जाना प्रावधित है। उन्होंने बताया कि शेष राशि का आधा-आधा हिस्सा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन योजना अन्तर्गत केन्द्र सरकार से राज्य सरकार को 30 जून 2023 तक 10109.10 करोड़ रूपए की राशि प्राप्त हुई है। उन्होंने इसका वर्षवार विवरण सदन के पटल पर रखा।
जलदाय मंत्री ने बताया कि विधान सभा क्षेत्र परबतसर में वर्तमान में अवस्थित कुल 161 ग्रामों में से 110 ग्रामों को जल जीवन मिशन के प्रारम्भ होने से पूर्व ही घर-घर जल संबंधों द्वारा लाभान्वित किया जा चुका था। शेष 51 ग्रामों को जल जीवन मिशन अन्तर्गत घर-घर जल संबंधों द्वारा लाभान्वित करने हेतु वृहद पेयजल परियोजनाओं/अन्य योजनाओं की स्वीकृतियां राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एस.एल.एस.एस.सी.) की विभिन्न बैठकों द्वारा जारी की जा चुकी है। उन्होंने इन योजनाओं की स्वीकृति एवं प्रगति का विवरण भी सदन के पटल पर रखा।