चराई, कटाई और निर्माण से संकट में है जंगल

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एक वैश्विक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक चराई, कटाई और निर्माण से दुनियाभर के जंगल
संकट में है। इस पर शीघ्र काबू नहीं पाया गया तो मानव जीवन की खुशहाली के साथ विकास
की गति धीमी होने का खतरा उत्पन्न हो जायेगा। जंगल हमारे जीवन की बुनियाद हैं जो हमारे
पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाते हैं। स्वस्थ पर्यावरण एवं पारिस्थितिक संतुलन के लिए समस्त भू-भाग का एक तिहाई वनों से
ढका रहना चाहिए। एक क्षेत्र जहाँ पेड़ों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन कहते है। वन और
वनस्पतियां आक्सीजन देकर हमें जीवन प्रदान करती है। पिछले कुछ वर्षों में वनों की कटाई
और वनों का क्षरण दुनिया भर में वनों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वार्षिक वन घोषणा
आकलन की एक ताज़ा रिपोर्ट से पता चला है कि 2021 की तुलना में 2022 में दुनिया भर में
वनों की कटाई में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें लगभग 66,000 वर्ग किलोमीटर नष्ट हो
गए हैं। पर्यावरण संगठनों के गठबंधन द्वारा हाल ही जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक
वनों की कटाई को समाप्त करने की वैश्विक प्रतिज्ञाओं के बावजूद, दुनिया इन प्रतिबद्धताओं
को पूरा करने के लिए बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है। 2022 में 4.1 मिलियन हेक्टेयर
भूमि नष्ट हो गई है। रिपोर्ट में कटाई, पशुधन चराई और सड़क निर्माण जैसी गतिविधियों के
कारण होने वाले वन क्षरण की भी जांच की गई। यह अनुमान लगाया गया कि नष्ट हुए वनों
का क्षेत्र वैश्विक वनों की कटाई के क्षेत्र से कहीं अधिक बड़ा है।
भारत की बात करें तो पिछले 30 वर्षों में वनों की कटाई में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है,
जिसमें 2015 और 2020 के बीच भारी वृद्धि दर्ज की गई है। यूनाइटेड किंगडम स्थित तुलना
साइट यूटिलिटी बिडर की इस वर्ष जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन वर्षों के दौरान,
668,400 हेक्टेयर के औसत वनों की कटाई के साथ भारत ब्राजील के बाद दूसरे स्थान पर था।
वनों से हमें एक नहीं अपितु अनेकों लाभ है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिये
वन को बहुत ही उपयोगी, लाभकारी और जीवनदायी बताया गया हैं। वन और जीवन दोनों एक-
दूसरे पर आश्रित हैं। वनों से हमें शुद्ध ऑक्सीजन मिलता है और मनुष्य और अन्य किसी भी
प्राणी का जीवन ऑक्सीजन के बिना नहीं चल सकता। वृक्ष और वन भू-जल को भी संरक्षित
करते हैं। जैव-विविधता की रक्षा भी वनों की रक्षा से ही संभव है। विभिन्न बीमारियों के इलाज
के लिए बहुमूल्य वनौषधियां हमें जंगलों से ही मिलती हैं। दुनिया में जनसंख्या वृद्धि,

औद्योगिक विकास और आधुनिक जीवन शैली की वजह से प्राकृतिक वनों पर मानव समाज का
दबाव बढ़ता जा रहा है। इसे ध्यान में रखकर मानव जीवन की आवश्यकताओं के हिसाब से वनों
के संतुलित दोहन तथा नये जंगल लगाने के लिए भी विशेष रूप से काम करने की जरूरत है।
मनुष्य के जीवन में वन महत्वपूर्ण रहे हैं। परन्तु जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे-वैसे
मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वृक्षों को काटना आरम्भ कर दिया। वनों
की लगातार कटाई होती गई और वातावरण पर भी इसका प्रभाव पड़ा। आज हमारी स्थिति यह
हो गई है की वृक्षों की छाव मिलनी भी दुर्लभ हो गई है।
जंगल हमारे जीवन की बुनियाद हैं जो हमारे पर्यावरण के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति को
बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन पर्यावरण, लोगों और जंतुओं को कई प्रकार के लाभ
पहुंचाते हैं। वन कई प्रकार के उत्पाद प्रदान करते हैं जैसे फर्नीचर, घरों, रेलवे स्लीपर, प्लाईवुड, ईंधन या
फिर चारकोल एव कागज के लिए लकड़ी, सेलोफेन, प्लास्टिक, रेयान और नायलॉन आदि के लिए प्रस्संकृत
उत्पाद, रबर के पेड़ से रबर आदि। फल, सुपारी और मसाले भी वनों से एकत्र किए जाते हैं। कर्पूर, सिनचोना
जैसे कई औषधीय पौधे भी वनों में ही पाये जाते हैं। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रखती है और इस प्रकार
वह भारी बारिश के दिनों में मृदा का अपरदन और बाढ भी रोकती हैं। पेड़, कार्बन डाइ आक्साइड अवशोषित
करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिसकी मानवजाति को सांस लेने के लिए जरूरत पड़ती है। वनस्पति
स्थानीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करती है। पेड़ पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं और
जंगली जंतुओं को आश्रय प्रदान करते हैं। वे सभी जीवों को सूर्य की गर्मी से बचाते हैं और पृथ्वी के तापमान
को नियंत्रित करते हैं।

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