छात्र आंदोलन के आगे राजस्थान सरकार झुकी, स्कूल स्थानांतरित वापस

ram


झालावाड़ . छात्र आंदोलन के आगे आख़िरकार राजस्थान सरकार को झुकना पड़ा. जिसमें विधान सभा चुनाव भी बहुत बड़ा फेक्टर भी हैं. आख़िरकार निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर ने आदेश जारी कर दिए. आदेश में बताया गया कि
इंग्लिश मीडियम महात्मा गांधी स्कूल की जगह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की एवं राबाउमावि की चलेगी कक्षाऐं कचहरी में कक्षाऐं संचालित होंगी. नवीन बस स्टैण्ड पर इंग्लिश मीडियम महात्मा गांधी स्कूल की कक्षाऐं संचालित होंगी.
जबकि सुनेल कस्बें समेत कई कांग्रेस जनप्रतिनिधि इस आदेश की झुठी वाही वाही बटोरन में सोशल मीडिया में झुठा बयान जारी कर रहे हैं. यदि उन्हें छात्रों की इतनी चिंताए होती तो आंदोलन से पहले ही या फिर सत्र शुरू होने से पुर्व ही आदेश जारी करावा लेते हैं. इस आदेश का श्रेय छात्रों एवं सुनेल नागरिकों को जाता हैं जिन्होंने आंदोलन किया गया. जिला एवं उपखण्ड प्रशासन को भी जाता हैँ जिन्होंने
छात्रों को बड़े आंदोलन का अंदेशा को देखते हुए जिला कलक्टर अलोक रंजन एवं उपखण्ड अधिकारी अभिषेक चारण ने भी छात्रों को एक माह का आश्वासन दिया था. उनके आश्वासन के बाद छात्रों ने आंदोलन स्थगित कर दिया था. इन्ही अधिकारीयों की मेहनत का परिणाम है.
क्यों हुआ आंदोलन:-जिले के सुनेल कस्बे में
कांग्रेस सरकार द्वारा झुठी झुठी वाही वाही लुटने की मंशा से राजस्थान में जल्दबाजी में इंग्लिश मीडियम महात्मा गांधी स्कूल खोल दिए गए. नए भवनों का निर्माण नही किए गए.
अध्यापकों की भी नियुक्तियां नहीं की गई.
ऐसे ही जिले के कस्बें सुनेल का मामला सामने आया है. जिसमें इंग्लिश मीडियम महात्मा गांधी स्कूल खोलने के बाद
जिससें 11 वीं -12 वीं की हिंदी मीडियम की कक्षाऐ बंद हो गई.जिससें कक्षा 11 वीं के लगभग 300 छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा.इसके आक्रोश में छात्रों ने कई आंदोलन किए गए. फिर छात्रों ने दिनांक को एबीवीपी के बैनर तले सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया और सड़क पर उतर गए. इसके बाद इंग्लिश मीडियम माध्यमिक विद्यालय के सामने की सड़क पर धरने पर बैठ गए. जिसके चलते जाम लग गया.इसके बाद एबीवीपी के बैनर तले सैकड़ों छात्र तहसील कार्यालय के सामने सुनेल भवानीमंडी रोड़ पर धरने पर बैठ गए. लगभग एक घंटे तक सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया.जिसके चलते सुनेल भवानीमंडी रोड़ पर जाम लग गया. वाहनों की लम्बी लम्बी लाइनें लग गई.
छात्रों को बड़े आंदोलन का अंदेशा को देखते हुए जिला कलक्टर अलोक रंजन एवं उपखण्ड अधिकारी अभिषेक चारण ने भी छात्रों को एक माह का आश्वासन दिया था. उनके आश्वासन के बाद छात्रों ने आंदोलन स्थगित कर दिया था.
छात्र आंदोलन के आगे कब कब झुकी सरकार बदला फैसला
जानिए
जब बिहार में छात्र आंदोलन से CM-मंत्री तक हारे:आंदोलन की धरती से देश की सत्ता तक हिली, जानिए, कब-कब जला प्रदेश
छात्र आंदोलन की बात आते ही बिहार के बड़े आंदोलन जेहन में आ जाते हैं। कई ऐसे बड़े आंदोलन हुए जिसकी आग में राज्य से लेकर देश की सत्ता तक हिल गई। आजाद भारत के पहले छात्र आंदोलन से लेकर जेपी आंदोलन में बिहार का अपना इतिहास रहा है।
आइए जानते हैं बिहार के ऐसे आंदोलन जिसने बनाया इतिहास…
बिहार का ऐसा छात्र आंदोलन जिसे नेहरु भी नहीं करा पाए शांत :——-
वर्ष 1955 में बिहार में हुआ छात्र आंदोलन आजाद भारत का पहला प्रोटेस्ट माना जाता है। देश के आजाद होने के बाद 1955 में हुआ छात्रों का आंदोलन मामूली बात पर हुआ था, लेकिन देश के लिए इतिहास बन गया। विवाद राज्य में ट्रांसपोर्ट टिकट काटने के विवाद को लेकर हुआ था।
आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में दीनानाथ नाम के एक छात्र की मौत हुई थी। इसके बाद आंदोलन इतना उग्र हो गया कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को पटना आना पड़ा था। इसके बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ और ट्रांसपोर्ट मंत्री महेश सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। आंदोलन का साइड इफेक्ट ऐसा रहा कि मंत्री महेश सिंह चुनाव तक हार गए।
छात्राें के आंदोलन के इफेक्ट से सीएम चुनाव हारे
बिहार के आंदोलन में 1967 का छात्र आंदोलन काफी प्रमुख रहा है। यह आंदोलन भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आग ऐसी थी कि इसने तत्कालीन सीएम केबी सहाय तक को चुनाव में हरा दिया। छात्रों के आंदोलन को महामाया सिन्हा का साथ मिला था और इसका फायदा भी महामाया सिन्हा को मिला। आंदोलन की आग में सत्ता से बाहर हुए के बी सहाय की जगह महामाया सिन्हा की सीएम की गद्दी पर ताजपोशी हुई। छात्रों को जिगर का टुकड़ा बताने वाले महामाया सिन्हा को एक आंदोलन ने बिहार का हीरो बना दिया।
देश का सबसे बड़ा आंदोलन :—-
देश में आंदोलन के इतिहास के पन्नों को पलटे तो सबसे बड़ा आंदोलन बिहार में हुआ। वर्ष 1974 में आपातकाल के विरोध में हुए इस आंदोलन की कमान जेपी यानी जय प्रकाश नारायण ने संभाली और संपूर्ण क्रांति से राजनीति का इतिहास-भूगोल बदल दिया। माना जाता है कि जेपी के कारण ही 1974 में देश में आंदोलन का इतिहास बना था।
आपातकाल के विरोध में छात्रों के आंदोलन में पुलिस का बड़ा अत्याचार हुआ था। छात्रों की बेरहमी से पिटाई के साथ जेल तक ठूंसने की घटना ने पूरे देश में आग लगा दी। आंदोलन की लगाम छात्रों ने जेपी के हाथ में थमा दी। इसके बाद यह आंदोलन संपूर्ण क्रांति में बदल गया। पटना के गांधी मैदान से हुई आंदोलन की शुरुआत ने देश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा इतिहास बना दिया।
मंडल आयोग के विरोध में आंदोलन से जला था बिहार
प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने वर्ष 1990 में मंडल आयोग लाया। यह आयोग भी देश में आंदोलन का बड़ा कारण बना। इस आंदोलन से पूरा बिहार जला। आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा के साथ बिहार सवर्ण छात्रों के आंदोलन की आग से जल गया। जाति के आधार पर आरक्षण को हटाने और आर्थिक आरक्षण की मांग को लेकर बिहार में जमकर बवाल मचा। सड़क से लेकर विधानसभा तक छात्रों ने आक्रामक आंदोलन किए। इस आंदोलन में भी सरकारी संपत्तियों को बड़ा नुकसान पहुंचा।
बिहार ने सिखाया देश को आंदोलन का तरीका
बिहार को आंदोलन की जननी कहा जाता है। बिहार ने ही देश में आंदोलन का ट्रेड बताया है। जब भी बड़े आंदोलन की बात होती है, बिहार चर्चा के केंद्र में होता है। गांधी से लेकर आज के छात्र आंदोलन तक इतिहास बनते हैं। बापू के चंपारण सत्याग्रह की बात करें या फिर जेपी के आंदोलन की, देश में बिहार को आंदोलन के लिए अलग पहचान दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *