जन-जन के प्रिय अशोक गहलोत

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चुनावों में उतरने वाली प्रमुख पार्टियां अपना घोषणा पत्र जारी करती हैं, भावी नीति व प्रतिबद्धता का खुलासा किया जाता है परन्तु इस राजनीतिक दस्तावेज को भुला दिया जाता है। परन्तु सत्ता में आने के बाद गहलोत ने कथनी व करनी का भेद मिटाने के लिए घोषणा पत्र पर तुरन्त समयबद्ध कार्य करने के लिए मुख्य सचिव को सौंप दिया तथा स्पष्ट किया कि सभी वायदों को सरकार पूरा करना चाहती है। घोषणा पत्र सरकार की बाईबिल है। सरकार उन वायदों को पूरा करने हेतु अथक प्रयास करेगी।
ग्रामीण विकास, कृषि व किसान को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने कार्यभार संभालने के साथ ही घोषणा कि ‘‘चाहे सरकार को कितना भी घाटा उइाना पड़े, अगले पांच साल तक किसानों के लिए बजली की दरें नहीं बढ़ाई जायेगी’’ यह कोई मामूली निर्णय नहीं था। लोकहित कार्य निर्णयों के साथ अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े व अन्य सामान्य वर्ग, महिलायें, बाल, वृद्ध, पेंशनर्स, विकलांग, बी.पी.एल. परिवारों के कल्याण को ध्यान में रखकर योजनायें, परियोजनायें निर्मित कर संचालित की गई। इन योजनाओं की आलोचनाओं पर विपक्ष को जबाब देते हुए स्पष्ट कहा था ‘‘खजाना भरा है, खर्च की सलाह दो, पैसा उड़ाना अलग बात है, अपने आराम व सौन्दर्यकरण पर व्यय करना अलग बात है, उसे योजना बनाकर विकास में जनकल्याण के लिए खर्च करना अलग बात है।’’
मैंने राजस्थान के पांच बड़ों को निकट से देखा है, उनके साथ काम किया है, अनेक स्वतंत्रता सेनानियों, देश के लिए सर्वग्य न्यौछावर करने वाले समाजसेवियों को जनसेवा में दिलोजान से जुटे देखा है जिनका कथन था ‘‘राजनीति धन्धा नहीं है, सेवा है।’’ सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं, देश को आजाद करवाकर आम आदमी की उन्नति व विकास के लिए संघर्ष किया है। मामूली से आरोप व बदनामी पर वे तिलमिला जाते थे, आरोप व लांछनों को कड़ी से कड़ी सजा मानते थे।
अशोक गहलोत ने भी विद्यार्थी जीवन से ऐसे लोगों से प्रेरणा प्राप्त की है, सेवा मार्ग पर चलकर ऊंचाई प्राप्त की है। उनका कोई गॉड फादर नहीं था और न ही जातिबल व धनबल। वे जातियों को लड़ाकर आगे नहीं छत्तीसों कौमों को साथ लेकर चले। जाति, धर्म, साम्प्रदायिकता, निजी हित, वंश व परिवार ने कभी उनके कार्यो व फैसलों को प्रभावित नहीं किया। उन्होंने एक स्वच्छ राजनीतिज्ञ की अपनी छवि को हर कीमत पर कायम रखा हैं।
गांधी के बताये रास्ते पर चलने वाले छोटी उम्र में बड़े से बड़े पद पर पहुंचने वाले, मेहनती, ईमानदार, संवेदनशील, राजनीति के टेडे मेड़े रास्ते से अलग, गरीबों के प्रति हमदर्द व्यक्ति पर विपक्ष के अनर्गल झूंठें व बे-बुनियाद प्रहारों पर घृणित राजनीति की बू आती है। मैंने तो उनमें मारवाड़ व राजस्थान के शेरे राजस्थान लोकनायक व्यास की छवि देखी है जिनके संग मैंने काम किया था,
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जिन्होंने कुर्सी त्याग दी परन्तु व्यक्तिगत, सामंती व व्यापारिक राजनीति से समझौता नहीं किया। व्यापारिक घरानों को लाभान्वित नहीं किया।
मैंने राजस्थान निर्माण के साथ ही देश की राजनीति व राजनीतिज्ञों को निकट से देखा है, पहचाना है, उनके कार्य व्यवहार, शिष्टाचार व एक दूसरे का सम्मान समन्वय देखा है। गहलोत की सोच व व्यवहार स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत के स्वर्गवास के समय देखा गया। कार्यभार संभालते ही उन्होंने कहा था कि बदले की भावना से कार्य नहीं करूंगा। विपक्ष की सरकार में प्रभावशाली महकमों में बैठे योग्य अफसर आज भी उनके आदर व विश्वास के पात्र बने रहकर कार्य कर रहे हैं।
निष्काम भाव से जनसेवा में लगे गहलोत ने प्रत्येक राजनैतिक कार्यकर्ता को प्रेरणा मिलती है। वे निसंदेह सराहना के हकदार है। वे अपनी उपलब्धियों, नीतियों, जनहित कार्य, फैसलों और कीर्तिमानों के लिए जनमानस के चहेते हैं। मैं राजकीय सेवाओं में रहते हुए अकाल राहत कार्यो से जुड़ा रहा हूं परन्तु जिस प्रकार का अकाल प्रबंधन कार्य गहलोत ने किया, एक भी पशु दूरस्थ स्थित ग्रामीण की भूख या प्यास से मृत्यु नहीं हुई है, उनके उच्च कोटि के प्रशासक व जन नेता होने का प्रमाण है।
अत्यन्त विनम्र, संवेदनशील, सेवा भावना से ओतप्रोत, जिनकी करनी व कथनी में कोई अन्तर नहीं है, सदे कदमों से राज्य को चहुंमुखी विकास की ओर चलने हेतु जी-जान से तत्पर रहे अशोक गहलोत जाति, धर्म, सम्प्रदाय के बंधनों से दूर है, महिलाओं, बाल, वृद्ध, निःशक्त, दलित व पिछड़ों की पीड़ाओ ंको कम करने के सदैव इच्छुक व प्रयत्नशील रहे हैं। आमजन में एक जबाबदेह, पारदर्शी, संवेदनशील छबी बनाये रखने में सफल रहे हैं।
राज्य में रेलों का जाल बिछाने का एकमात्र श्रेय उनको जाता है। पश्चिमी राजस्थान व मारवाड को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने का श्रेय उनको जाता है। वे राज्य में रिफाइनरी प्लांट चाहते थे, अब उनका सपना पूरा हो रहा है। नर्मदा का पानी लाने को जी-जान से प्रयासरत थे। उन्होंने पेयजल की कमी के आधार पर राज्य को विशेष पैकेज दिलाने का पूरा प्रयत्न किया। विदेशों से निवेश प्राप्त कर एकल खिडकी खोलकर, प्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में आगे ले जाने में सफल रहे। वे पूर्वी व दक्षिणी अविकसित क्षेत्र के विकास हेतु जी-जान से प्रयत्नशील रहे।
यह कोई कम बात नहीं है कि उन्होंने ज्वलंत मुद्दों को वार्तालाप, सहनशीलता व सद्भाव से निपटाने का प्रयास किया। चाहे वे गुर्जर आंदोलन हो, चाहे अन्य कोई आंदोलन। उनके शासन में एक बार भी गोली नहीं चली व गोली से किसी की मृत्यु नहीं हुई। हर दुर्घटना का निष्पक्ष आंकलन कर वे सुचारू व्यवस्था करते है, पीड़ित को तुरन्त मुआवजा देते हैे। भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए उन्होंने विवेकाधीन कोटा समाप्त किया। गांव और गरीब के लिए विकेन्द्रीकरण व महत्वपूर्ण विषयों को स्थानान्तरण कर पंचायतों का सशक्तिकरण किया। राजस्थान ग्रामीण विकास राज्य सेवा का गठन किया। श्रम कल्याण के लिये राज्य में सर्वप्रथम सैस लगाया जिससे उनके कल्याण कार्यो के लिए करोड़ों रूपया एकत्रित हुआ। प्रत्येक क्षेत्र में हजारों नियमित नियुक्तियों की प्रक्रिया प्रारम्भ की, न्याय
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व्यवस्था को दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाने हेतु ग्रामीण न्यायालयों की स्थापना की। शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में उच्च स्तर के संसाधन राज्य के प्रत्येक संभाग में खोलने के कदम उठाये। सरकारी भूमि खुर्द-बुर्द नहीं की गई। एक निश्चित नीति व प्रक्रिया के अनुसार ही उपयुक्त संस्थाओं व व्यक्तियों को आवंटन हुआ। उनकी फ्लेगशिप योजनाओं ने आम आदमी को लाभान्वित किया है और देशभर में उनकी सर्वत्र प्रशंसा हुई।
गत वर्ष कोविड-19 के दुष्प्रभाव व फैलाव को रोकने के लिए उन्होंने सर्वप्रथम लाकडाउन कर आवश्यक व्यवस्था की। बैड, टीकाकरण, दवा, वेंटीलेटर, स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबन्धन से देशभर में उदाहरण प्रस्तुत किया। स्वयं प्रधानमंत्री ने उसकी प्रशंसा की। कोविड-19 की दूसरी भयंकर लहर का मुकाबला करने में वे चौईसों घंटे जुटे है, उनकी प्रबंधकीय व्यवस्था प्रशंसनीय है। आक्सीजन, इंजेक्शन, बैड, वैक्सीन की व्यवस्था करने व स्वास्थ्य सेवाओं को श्रेष्ठतर करने में उन्होंने अपना सब कुछ झौंक दिया है। पूरी कांग्रेस की टीम, एनजीओ, धार्मिक संगठन, युवा संगठन, विपक्ष सभी को साथ लिया है। वित्तीय स्थिति कमजोर होने के बावजूद निःशुल्क वैक्सीन की घोषणा कर उन्होंने जननेता का परिचय दिया है। इस पर 3000 करोड़ रूपया व्यय होगा, परन्तु उन्होंने साहसिक निर्णय लेकर वैक्सीन हेतु आर्डर पेश कर दिया है। गरीबों को सस्ता भोजन मुहैया कराने हेतु इन्द्रा रसोई नगरपालिका क्षेत्रों में भी प्रारम्भ की गई। राज्यकर्मचारियों, पेन्शनर्स व जनसेवकों के लिए बीमा योजना प्रारम्भ की। मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना को सफल बनाने हेतु उन्होंने पूरी मशीनरी को लगा दिया है।
इन परिस्थितियों के बावजूद श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ने राज्य को निरन्तर विकास के पथ पर आगे बढ़ाने हेतु, कठोर परिश्रम व हर संभव प्रयास करते हुए, राज्य में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार करने, स्वास्थ्य सेवाओं को श्रेष्ठतर बनाने, कृषि एवं उद्योग के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने, पानी, बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा, सिंचाई, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, नगरीय विकास, पर्यटन, सूचना प्रोद्योगिकी, ई-गर्वनेंस और श्रमिक कल्याण के क्षेत्रों में प्रदेश को आगे बढ़ाने हेतु पूरी प्रतिबद्धता से कार्य किया जा रहा है। भ्रष्टाचार रोकने हेतु जो व्यवस्था गहलोत सरकार ने की है वह पूरे प्रदेश के लिए उदाहरण है। अपराधों को रोकने हेतु एफआईआर को हर हालत में दर्ज करने की व्यवस्था कारगर साबित हो रही है।
विधानसभा में उन्होंने कहा था ‘‘एक सिपाही आगे बढ़ते हुए यह विवाद नहीं करता कि सफलता कैसे मिलेगी? वह मात्र दृढ़ विश्वास रखकर चलता है कि उसे सफलता मिलेगी’’ और उन्हें सफलता मिली। वृद्धों के लिए पेन्शन योजना, निःशुल्क जांच व दवा योजना, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, विद्यार्थियों व किसानों के लिए आरम्भ की गई योजनाओं ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया।

-डा.सत्यनारायण सिंह

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