जंक फ़ूड ने पाचनतंत्र पर कब्जा कर जीवन तंत्र को बिगाड़ा

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देश और दुनिया में तेजी से बढ़ते जंक फ़ूड ने हमारे पाचन तंत्र पर पूरी तरह कब्ज़ा जमा लिया
है। एक ताज़ा अध्ययन रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। यह रिपोर्ट 36 देशों में प्रकाशित
281 अध्ययनों के विश्लेषण पर आधारित है। मेडिकल पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित यह रिपोर्ट
डरावने वाली है। रिपोर्ट में बताया गया है दुनियाभर के 14 प्रतिशत वयस्क और 12 प्रतिशत
बच्चे तेजी से बढ़ते जंक फ़ूड के चलन से विभिन्न घातक बीमारियों की चपेट में आ गए है।
मोटापे के साथ उच्च रक्त चाप, शुगर,ह्रदय रोग,कैंसर जैसी बीमारियों ने जकड़ना शुरू कर दिया
है।
आजकल बच्चों, युवाओं और बड़ी उम्र के लोगों में जंक फ़ूड यानि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों
के प्रति तेजी से लगाव बढ़ रहा है। भारत की बात करे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही
चेता दिया है की स्वास्थ्य के प्रति इस गंभीर खतरें को समय रहते सख्ती से नहीं रोका तो यह
देश में नशे से भी अधिक भयावह स्थिति उत्पन्न कर देगा और इसके जिम्मेदार केवल केवल
हम ही होंगे। देश में दबे पांव प्रवेश करने वाले जंक फूड जिसे फास्ट फूड भी कहते है ने हमारे
सम्पूर्ण पाचनतंत्र पर कब्जा कर स्वास्थ्य के जीवन तंत्र को बिगाड़ कर रख दिया है। जंक
अथवा फास्ट फूड आज घर घर में अल्पाहार के रूप में प्रयोग में लिए जा रहे है। जंक फूड
चिप्स, कैंडी, शीतल पेय, नूडल्स, सैंडविच, फ्रेंच फ्राइज, पास्ता, क्रिस्प्स, चॉकलेट, मिठाइयाँ, हॉट
डॉग जैसे पदार्थों को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट फूड भी जंक फूड की श्रेणी
में आती है। जाइरो, तको, फिश और चिप्स जैसे शास्त्रीय भोजनों को भी जंक फूड मानते हैं।
जंक फूड में कार्बोहाइड्रेट, वसा और शर्करा होती है। इसमें अधिकतर तलकर बनाए जाने वाले
व्यंजनों में पिज्जा, बर्गर, फ्रैंकी, चिप्स, चॉकलेट, पेटीज मुख्य रूप से शामिल हैं। एक आहार
विशेषज्ञ अनुसार बर्गर में 150-200, पिज्जा में 300, शीतल पेय में 200 और पेस्ट्री, केक में
करीब 120 किलो कैलोरी होती है जो आजकल लोगों पर मोटापे के रूप में हावी हो रहा है। यह
देखा जाता है इस प्रकार के खाध पदार्थों ने घर घर में अपने पांव पसार लिए है। विशेषकर
महानगरों के स्कूल, कालेजों और नौकरी करने वाले अधिकतर युवा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स अथवा
फास्ट फूड पर चलते हैं, बल्कि यह कहना ज्यादा उचित होगा कि उन्हें इनका चस्का लगा हुआ
है। नतीजा बड़ा ही खौफनाक है। इस फूड खाने के आदी युवा ऐसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं

जो बुढ़ापे की बीमारियाँ समझी जाती हैं। बाजार में फूड के नाम पर जो चीजें सहज उपलब्ध हैं,
उनमें शर्करा और चर्बी तो होती है, लेकिन प्रोटीन लगभग नदारद होती है। यही नहीं, उनमें पड़ने
वाले कृत्रिम नमक और प्रिजर्वेटिव्स स्वास्थ्य के लिए जहर जैसे होते हैं। प्रोटीन की कमी उनमें
कितनी ही स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करती हैं। इसमें पोषण की कमी होती है और शरीर के तंत्र
के लिए हानिकारक होता है। ज्यादातर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड उच्च स्तर पर वसा, शुगर, लवणता,
और बुरे कोलेस्ट्रॉल से परिपूर्ण होते हैं, जो स्वास्थ के लिए जहर होते हैं। इनमें पोषक तत्वों की
कमी होती है इसलिए आसानी से कब्ज और अन्य पाचन संबंधी बीमारियों का कारण बनते हैं।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के खाद्य उत्पादों ने एक दशक में ही भारतीय बाजारों पर अपना कब्जा
जमा लिया है। बड़े होटलों, रेस्ट्रां से लेकर जनरल स्टोर, किराने की दुकानों, थड़ियों और
चायपान की दुकानों पर ये उत्पाद आपको आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे। इनमें फास्ट फूड ऐसा
उत्पाद है जो कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है। मैगी इसका जीवन्त उदाहरण है। मैगी का
उपयोग घर-घर में हो रहा है और बच्चे विशेष रूप से इसे बड़े चाव से खा रहे हैं। जंक फूड
आमतौर पर चिप्स, कैंडी, बर्गर, पिज्जा, फ्रेंकी, चाऊमीन, चाकलेट, पेटीज जैसे तले-भुने फास्ट
फूड को कहा जाता है। इसके अलावा दुकानों पर लटकने वाली चमकीली थैलियों में लेज, कुरकुरे,
चिप्स आदि का सेवन भी घर-घर में धड़ल्ले से हो रहा है। ठण्डे पेय का बाजार अलग से गर्म
है। भांति-भांति के ठण्डे पेय की बोतलें बाजारों में उपलब्ध हैं। इन उत्पादों ने न केवल महानगरों
अपितु छोटे-छोटे नगरों, कस्बों और गांवों तक में अपनी पहुंच बनाली है।

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