हम सभी भारतीय हैं और भारतीयों का सोने के प्रति अतिरिक्त मोह अभी अभी पैदा नहीं हुआ है। यह सदियों सदियों से भारतीयों में रहा है और रहेगा। जी हां, हम सोने की (गोल्ड) बात कर रहे हैं, नींद वाले ‘सोने’ की नहीं। हाल ही में अप्रैल में ही गोल्ड साढ़े तिहत्तर हज़ार प्रति तौला के हिसाब से आलटाइम हाई रेट पर बिका। खैर जो भी हो, अलग-अलग लोगों के लिए सोने का मतलब भी अलग-अलग है। मसलन महिलाओं के लिए ‘सोने’ का मतलब गोल्ड से है। लोहे का काम करने वालों के लिए लोहा ही सोना है। सब्जी वाले के लिए सब्जियां, कपड़े का व्यापार करने वालों के लिए कपड़ा, किसानों के लिए खेतों में पैदा होने वाली सारी फसलें, मजदूर के लिए मजदूरी, विद्यार्थी के लिए परीक्षा परिणाम और नेताओं के लिए वोटर्स ही सोना हैं। हमारे जैसे लेखकों के लिए लिखना ही सोना है और सोने(नींद लेने वालों) वालों के लिए सोना(नींद लेना) ही सोना है। कुल मिलाकर सोने की कहानी बड़ी अजब-गजब है। अब कोई कच्चे तेल को काला सोना कहते हैं तो किसान कोटन को सफेद सोना कहते हैं। वैसे चाय हरा सोना कहलाती है तो केसर लाल सोना। सोयाबीन पीला सोना कहलाती है तो पानी नीला सोना कहलाता है। शैवाल की खेती को हरा सोना कहा जाता है तो नीलगिरी और देवदार के पेड़ों को ब्राऊन सोना कहा जाता है। वैसे तंबाकू को भी ब्राऊन सोना कहा जाता है। अब आप ही बताइए कोई बालीवुड में हीरोइनों के बालों को ‘सोना’ कहता है तो कभी आशा भौंसले और मोहम्मद रफी जी इस सोना को लेकर गुनगुनाते हैं -‘ओ मेरे सोना रे सोना रे…। अब कोई सिगरेट के नाम के आगे ‘गोल्ड’ लगाता है तो कोई मेडल के आगे। कोई सोने को ‘खरा’ कहते हैं तो कोई ‘खोटा’। बहरहाल, सच बात तो यह है कि सोना आदमीजात को हमेशा हमेशा से कंफ्यूज करता आया है। और आपको तो पता ही है कि कन्फ्यूज़्ड आदमी को कभी भी नींद नहीं आती है। मतलब कि उसे ‘सोना’ नसीब नहीं हो सकता है।
वैसे गोल्ड वाला सोना आदमी की नींद उड़ाता है तो सोने वाला (नींद वाला) सोना आदमी को सुकून देता है। एक सोने(गोल्ड) को लोकर में रखना पड़ता है तो दूसरा ‘सोना’ (नींद) जब आदमी के पास होता है तो घोड़े बेचकर सोता है। एक तरफ सोने(नींद) में सुकून है तो दूसरी तरफ सोने (गोल्ड) में सुकून छिन जाता है। सोने(गोल्ड) की रखवाली के लिए आदमी को दिन-रात जागना पड़ता है। इसलिए हम तो कहते हैं कि अजी ! कोई सा भी सोना हो, सोने का मोह बिल्कुल भी मत कीजिए। सोने (गोल्ड) में भी मादकता है और सोने (नींद) में भी मादकता है और आपको तो पता ही है कि मादकता ठीक चीज नहीं होती है। इसलिए आप किसी भी सोने के चक्कर में मत पड़िए। आप तो सोते सोते हमारा सोने पर यह व्यंग्य पढ़िए और इसे ही सोना मानकर मस्त -मलंग रहिए। जय राम जी की। गुस्ताख़ी माफ़।
-सुनील कुमार महला