लक्ष्मणगढ़ ।गंगा मैया के धरतीलोक पर आने का पर्व इस साल 30 मई ,मंगलवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों में इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना का विधान है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा नदी में या घर पर ही नहाने के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
योग शिक्षा पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि वराह पुराण के अनुसार गंगा दशहरा पर मां गंगा में स्नान और पूजा-अर्चना करने से प्राणी के दस प्रकार के पापों का नाश होता है।
हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व का खास महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के दिन ही मां गंगा धरती पर उतरी थीं। विष्णुपदी गंगा मैया के धरतीलोक पर आने का पर्व 30 मई ,मंगलवार को मनाया जाएगा। ब्रह्मपुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि दस पापों का हरण करने वाली है।नदियों में सर्वोत्तम गंगा को माना गया है।
वराह पुराण के अनुसार इस दिन मां गंगा में स्नान और पूजा-अर्चना करने से प्राणी के दस प्रकार के पापों का नाश होता है। अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार इस दिन गंगा पूजन,शिवजलाभिषेक और शिवलिंग पूजन से दस पापों से मुक्ति बताई गई है। एवं पुण्य बहुगुणित हो जाते हैं। मान्यता है निष्कपट भाव से गंगाजी के दर्शन मात्र से जीवों को कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पाठ,यज्ञ,मंत्र,होम और देवार्चन आदि समस्त शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती,जो गंगाजल के सेवन से प्राप्त होती है।
कलियुग मे काम,क्रोध,मद,लोभ,मत्सर,ईर्ष्या आदि अनेकों विकारों का समूल नाश करने में गंगा के समान और कोई नहीं है। गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। एवं गंगा स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है। विधिविधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है।