विपक्ष को फिर सताया ईवीएम का डर

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ईवीएम से छेड़छाड़ का मामला एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत में पहुँच गया है। सर्वोच्च न्यायलय ने चुनावों में ईवीएम के डाटा से वीवीपीएटी पर्चियों के मिलान की मांग पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायालय ने कहा कि आप हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ईवीएम की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई है। चुनाव आयोग की तरफ से वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की आशंका से साफ इनकार किया जाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि उस आरोप की जांच की जाए जिसमें बताया गया है कि केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट मिले थे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच के सामने ईवीएम और वीवीपएटी के पर्ची के मिलान से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान यह मामला उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में सुनवाई के दौरान मौखिक आदेश में चुनाव आयोग से कहा कि वह इस मामले में जो रिपोर्ट आई है उसे चेक करे। इसी बीच लोकसभा की 102 सीटों पर शुक्रवार को मतदान संपन्न हो गया। शेष सीटों पर चरणबद्ध मतदान संपन्न होगा। इसी के साथ ईवीएम को लेकर सियासत गर्माने लगी है। विशेषकर जब से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए 400 पार का नारा दिया है तब से विपक्ष की सिट्टी पिट्टी गुम हो रही है। कांग्रेस के नेता ऊलजलूल बयान भी देने लगे है। कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे कह रहे है मोदी जीता तो यह अंतिम चुनाव होगा। इंडिया गठबंधन के नाम से एकजुट हुआ विपक्ष लोकसभा चुनाव आते ही बिखरने लगा है। उसके घटक दल एक एक कर उसका साथ छोड़ने लगे है। मोदी के 400 पार के नारे को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियां ईवीएम को लेकर संदेह व्यक्त करने लगी है। ऐसा लगता है विपक्ष को लोकसभा चुनाव में संभावित हार का डर सताने लगा है। इसलिए अभी से ईवीएम पर अंगुली उठाई जाने लगी है। यह स्थिति तो तब है जब भारत निर्वाचन आयोग सहित देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा ईवीएम को विधिमान्य ठहराया जा चुका है। विपक्षी नेताओं ने कहा है कि इंडिया गठबंधन की पार्टियां का मानना है कि ईवीएम की अखंडता पर कई संदेह है। हम मतपत्र प्रणाली के दोबारा इस्तेमाल की मांग करते हैं। इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होगा। लोगों में विश्वास बढ़ेगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल बैलट से चुनाव कराने की मांग कर रहे है। दिग्विजय सिंह सरीखे नेता तो खुलमखुला ईवीएम का विरोध करते है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पांच राज्यों के आए नतीजों के बाद एक बार फिर से विपक्ष ने अपनी हार ठीकरा ईवीएम पर फोड़ाहै। सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए बैलेट से चुनाव कराने की मांग की है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश में ईवीएम के जरिए अलग- अलग राज्यों के 140 से ज्यादा विधानसभा चुनाव कराए जा चुके है। इनमें से करीब 33 चुनावों में अब तक कांग्रेस जीती है जबकि करीब 29 चुनाव भाजपा ने जीते है। भारत में पहली बार ईवीएम का प्रयोग 1982 में केरल से शुरू हुआ था। फिर 1999 में लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ स्थानों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। यानी 2004 के पहले तक ईवीएम और बैलेट दोनों से चुनाव कराया जाने लगा, लेकिन 2004 लोकसभा चुनाव का ईवीएम से कराया था। अब पूरे देश में ईवीएम के जरिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं। 2004 से 2019 तक 4 लोकसभा चुनाव ईवीएम से हुए हैं। इसमें 2 बार कांग्रेस और 2 बार बीजेपी जीती है। भारत में अब प्रत्येक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा ही संपन्न होती है। पुराने कागजी मतपत्र प्रणाली की तुलना में ईवीएम के द्वारा वोट डालने और परिणामों की घोषणा करने में कम समय लगता है। भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) मतों को दर्ज करने का एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो इकाइयों से बनी होती हैं – एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट – जो पाँच-मीटर केबल से जुड़ी होती हैं। नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है और बैलेट यूनिट को मतदान कम्पार्टमेंट के अंदर रखा जाता है। मतपत्र जारी करने के बजाय, कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर मतपत्र बटन दबाकर एक मतपत्र जारी करेंगे। इससे मतदाता अपनी पसंद के अभ्यर्थी और प्रतीक के सामने बैलेट यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपना वोट डाल सकेगा।

-बाल मुकुन्द ओझा

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