पंचायत-निकाय सीमाओं को लेकर पूर्व सीएम गहलोत ने साधा निशाना : जनसुनवाई नहीं, नियम ताक पर, कलेक्टर भी बोले रहे- हम कुछ नहीं कर सकते

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जयपुर। राज्य में चल रही पंचायतीराज और नगरीय निकायों के पुनर्गठन प्रक्रिया को लेकर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अपने एक्स हैंडल पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार बिना तय मापदंडों और नियमों के मनमाने तरीके से सीमाएं बदल रही है, जिससे न केवल ग्रामीण और शहरी जनसंख्या प्रभावित हो रही है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।गहलोत ने इस मुद्दे पर लिखा कि, “मैं पहली बार देख रहा हूं कि सभी नियम-कानूनों की अनदेखी की जा रही है। जिला कलेक्टरों ने जनता की आपत्तियां दर्ज करने के बाद भी आगे कोई कार्रवाई नहीं की है। वे खुद कह रहे हैं कि यह सारा काम राज्य सरकार के स्तर पर हो रहा है और उनके हाथ बंधे हैं।”उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और संघ मिलकर आगामी निकाय और पंचायत चुनावों को प्रभावित करने के लिए पुनर्गठन प्रक्रिया का उपयोग कर रहे हैं।
पहले उपचुनाव नहीं करवाए गए, फिर एक राज्य-एक चुनाव के नाम पर कार्यकाल पूरा होने के बावजूद चुनाव टाल दिए गए। अब पुनर्गठन की आड़ में वोट बैंक साधने का प्रयास हो रहा है।।आरोपों के अनुसार, पुनर्गठन में न तो न्यूनतम और अधिकतम जनसंख्या के मापदंडों का ध्यान रखा गया है और न ही मुख्यालय से दूरी जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को देखा गया है। उदाहरणस्वरूप, कई स्थानों पर गांवों को ऐसे निकायों में शामिल किया जा रहा है जो 10 किलोमीटर दूर हैं, वहीं कुछ ग्रामीण पंचायत मुख्यालयों की दूरी भी 5 से 10 किलोमीटर तक बढ़ गई है।बयान में राज्य सरकार से पुनर्गठन प्रक्रिया को पारदर्शी, नियमबद्ध और जनसुविधा के अनुरूप करने की अपील की गई। साथ ही जिला प्रशासन से भी आग्रह किया गया है कि वे राजनीतिक दबाव में आए बिना नियमानुसार कार्य करें और जनता के हितों को प्राथमिकता दें।

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