घांघू के शहीद सैनिक हवलदार लखुसिंह राबाउमावि में भामाशाह की ओर से स्थापित पुस्तकालय का लोकार्पण

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चूरू। गांव घांघू के शहीद सैनिक हवलदार लखुसिंह राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक (पशुपालन) प्रभुदयाल बरवड़ की ओर से अपनी माता स्व. जड़िया देवी एवं पिता स्व. खेमाराम की स्मृति बनवाए गए पुस्तकालय कक्ष का लोकार्पण शनिवार को सरपंच विमला देवी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में विधायक हरलाल सहारण ने किया। इस दौरान शिक्षिका मधु फगेड़िया के निर्देशन में बालिकाओं ने प्रभावी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी।

इस मौके पर सहारण ने भामाशाह की सराहना करते हुए कहा बाबा साहेब अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो भी इसे पीएगा, वह दहाड़ेगा। उन्होंने कहा कि भामाशाह प्रभुदयाल बरवड़ ने जिन परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए पढ़-लिखकर एक उच्च मुकाम हासिल किया, उन परिस्थितियों को उन्होंने ध्यान में रखते हुए बालिका शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अपनी मेहनत की कमाई दान की है, यह अपने आप में एक मिसाल है। ग्रामीणों को बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बालिका शिक्षा के बिना कोई समाज पूरी गति से आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने पुस्तकालय के लिए दो लाख रुपए देने तथा विद्यालय में एक हाॅल बनवाने की घोषणा इस अवसर पर करते हुए कहा कि राज्य सरकार गांवों के विकास के लिए संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है। चूरू के विकास में आगे भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

अध्यक्षता करते हुए सरपंच विमला देवी ने ग्राम पंचायत के विकास कार्यों की जानकारी दी और विभिन्न आवश्यकताओं की ओर विधायक हरलाल सहारण का ध्यान आकर्षित किया।

विशिष्ट अतिथि के जिला शिक्षा अधिकारी गोविंद सिंह राठौड़ ने कहा कि पुस्तकालय निर्माणकर डाॅ प्रभु दयाल ने बहुत ही ने कार्य किया गया है। मंचस्थ डाॅ मुमताज अली ने कहा कि पुस्तकालय एवं विद्यालय के लिए जो भी कमी महसूस होगी, उसे मैं पूरी करूंगा। शिक्षाविद ओमप्रकाश तंवर ने कहा कि पुस्तक से बड़ा कोई गिफ्ट नहीं होता, एक पुस्तक आदमी का संपूर्ण जीवन बदल सकती है। विद्यालय के प्रधानाचार्य जगदीश खेड़ीवाल ने अतिथियों, ग्रामीणों एवं भामाशाह का आभार जताया। इस दौरान पूर्व सरपंच जयप्रकाश शर्मा, पूर्व जीएसएस अध्यक्ष परमेश्वर लाल दर्जी, राजकुमार फगेड़िया, शिक्षाविद तनुराम माहिच, बीरबल नोखवाल, अब्दुल हबीब, अजीत सिंह, प्रताप सिंह कुमावत, शफी मोहम्मद गांधी, मधु फगेड़िया, रामचंद्र प्रजापत, डाॅक्टर ओमप्रकाश गुडेसर, डाॅ. ओमप्रकाश महला, खेमाराम गुरी, बरकत खां, बन्ने खां, जय सिंह, रणजीत सिंह, पन्नाराम बरवड़, सुनील ढाका, हुकुम चंद यादव, नारायण मेघवाल, बनवारी लाल गुरी, अशोक मेघवाल, आमीन मनियार, हनुमान प्रसाद, प्रकाश चंद्र शर्मा, मुस्ताक अहमद, विजयलक्ष्मी, कमला कस्वां, सरिता महला, विकास शर्मा, श्रीचंद, अमित कुल्हरी, राजेश जांगिड़ आदि उपस्थित थे। संचालन बाबूलाल शर्मा एवं चिमनलाल शर्मा ने किया।

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