घर-घर को जन्नत बनाती है बेटियां… नगर में मासिक साहित्य गोष्ठी आयोजित

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चूरूः रविवार शाम स्थानीय लोक संस्कृति शोध संस्थान नगर में साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। सचिव श्यामसुन्दर शर्मा ने बताया कि पं. कुंज विहारी शर्मा की स्मृति में होने वाली मासिक साहित्य गोष्ठी की 156वीं कड़ी विजयकांत शर्मा की अध्यक्षता व बाबू खां ‘नूर’ के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुई। काव्य कलश कार्यक्रम के अन्तर्गत स्थानीय कवियों ने भागीदारी की। युवा नवोदित कवयित्री विनीता स्वामी ‘विनोद’ की राजस्थानी कविता-काल खिल्या बै फूळता आज डाखळ होग्या…से कार्यक्रम का आगाज हुआ। इस्लाम फैज की कविता घर-घर को जन्नत बनाती है बेटियां…, गजल-एक हलचल सी मची है चूरू के जरदारो में…, गीता रावत की कविता-तुम उसके कंधों पर सिर रखो…,प्रेम में पड़ी स्त्रियां हरगिज न दे अग्नि परीक्षा…, संदीप जांगिड़ की रचना-आंखों में आंखे डाल कर बातें करेंगे…, मनीष सरिता कुमार की कविता-अक्सर शाम ढ़ल जाती है…, अनिल रजनीकुमार की कविता- भादुड़ै रा दिन घुळग्या…. आज धरा के इस आंगन पर बीज खुशी का बोया है…., रिमझिम रिमझिम बरसे मेघा… को खूब सराहा गया। दीपक चांदोलिया ‘कामिल’ की गजल- जंगलों का, साहिलों का, वादियों का क्या करें… व दोहों को खूब दाद मिली। अब्दुल मन्नान ‘मजहर’ ने उर्दू पर अपना कलाम-जमीन लोगों की जान उर्दू… चूरू यह मेरा शहर जमाने से जुदा है… मनमीत सोनी के गीत- मेरी खुशबू फैल रही है…, मैंने रोडवेज बस स्टैण्ड पर ब्रेस्ट फीडिंग रूम देखा…, बाबू खां ‘नूर’ की गजल- सितारे वो चमके कमल मुस्कराया…, सितारे देखते हो तुम मेरी चाहत के टुकड़े हैं… ने खूब रंग जमाया। मोहम्मद इदरीस खत्री ‘राज’ की गजल-ऐसा नहीं कि आपसे बढ़ कर नहीं कोई… कब से मेरे चमन का यह दस्तूर हो गया…. प्रो. कमल सिंह कोठारी की कविता-बांध नदी पर पाळ भायला की कर रूकसी खेळ भायला.. डॉ. श्यामसुन्दर शर्मा के गीत-सुहानी शाम का लेकर खुमार आ जाओ…. ने खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजयकांत शर्मा ने अपनी कविता सुनाई। कार्यक्रम का संचालन प्रो. कमल सिंह कोठारी ने किया।

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