क्या मध्य प्रदेश के नव निर्वाचित  मुख्यमंत्री मोहन यादव योगी के पदचिन्हों पर चलेंगे ?

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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कार्यभार संभालते ही अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं। पहले धार्मिक स्थलों पर लाउड स्पीकर और खुले में मांस की बिक्री पर बैन लगाकर और अब भाजपा  कार्यकर्ता पर हमला करने वाले आरोपी के घर बुलडोजर चलाकर मुख्यमंत्री  मोहन यादव ने संकेत दे दिए हैं। मोहन यादव कहीं न कहीं उत्तरप्रदेश  के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ के पदचिन्हों पर चलते दिख रहे हैं।

राजधानी भोपाल में आरोपी फारूक राइन के घर पर ये बुलडोजर चलाया गया है। मोहन यादव ने बीते दिन ही मध्यप्रदेश के 19वे मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और एक दिन बाद ही मुख्यमंत्री  मोहन यादव एक्शन में आ गए और भाजपा  कार्यकर्ता पर ये जानलेवा हमला करने वाले आरोपी फारुखी राईन के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। आरोपी का निवास अतिक्रमण कर तैयार किया गया था और उसने नगर निगम के नियमों का उल्लंघन कर ये घर तैयार कराया था। आरोपी फारुखी राइन का घर भोपाल के 11 नंबर स्थित जनता कॉलोनी में बना था । वहां पर बुलडोजर के जरिए अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई चली । मुख्यमंत्री  मोहन यादव इस कार्रवाई के जरिए संदेश दे रहे हैं कि अब राजधानी भोपाल हो या मध्यप्रदेश का कोई अन्य शहर गुंडागर्दी नहीं चलेगी। इसी के साथ मीट की ग़ैरकानूनी दुकानों या खुले में मीट या अंडे बेचने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है और इसके खिलाफ़ नई सरकार ‘कड़ा कैंपेन’ चला रही है। “आदेश के मुताबिक बिना अनुमति के मांस-मछली की बिक्री नहीं की जा सकेगी।नगझर क्षेत्र में खुले में मांस बेचने वाली 10 दुकानों पर कार्रवाई की गई है व उन्हें तोड़ भी दिया गया है ।

मोहन यादव जिस तरह से फैसले ले रहे हैं, उसे लेकर लोग उन पर कट्‌टर हिंदुत्ववादी एजेंडे पर चलने का अंदेशा जता रहे हैं। लोग मुख्यमंत्री  मोहन यादव के हर एक फैसले को उत्तरप्रदेश  के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ से प्रभावित होना बता रहे हैं।

इस बात का एक उदहारण यह भी   है कि बुधवार को जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उसके बाद  सबसे पहले सीधे उज्जैन पहुंचे और बाबा महाकाल के दरबार में विधिवत पूजा-अर्चना की। बाद में मुख्यमंत्री  यादव वापस भोपाल लौटे और सचिवालय में  अपने दफ्तर में प्रवेश से पहले पूजा की। उसके बाद कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले लेकर अपने इरादे भी साफ कर दिए हैं। मोहन  यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक में ही सनातन की तरफ आगे बढ़ने के संकेत दे दिए हैं।

उल्लेखनीय है  कि मंत्रालय में काम संभालने के तत्काल बाद उन्होंने धार्मिक स्थलों तथा अन्य स्थलों में अनियमित अथवा अनियंत्रित ध्वनि विस्तारक यंत्रों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने संबंधी दिशा-निर्देश जारी किया। सरकारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, लाउडस्पीकर एवं अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के नियम विरुद्ध तेज आवाज में बिना अनुमति के उपयोग को पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। राज्य शासन द्वारा प्रदूषण तथा लाउडस्पीकर आदि के अवैधानिक उपयोग की जांच के लिए सभी जिलों में उड़न दस्तों के गठन का निर्णय लिया गया है। बता दें कि उड़नदस्ते धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों में अचानक निरीक्षण करेंगे। दिशा-निर्देश के मुताबिक, नियमों के उल्लंघन की स्थिति में उड़नदस्ते अधिकतम तीन दिवस में समुचित जांच कर प्रतिवेदन संबंधित प्राधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, धर्मगुरुओं से संवाद व समन्वय के आधार पर लाउडस्पीकरों को हटाने की कोशिश की जाएगी। साथ ही ऐसे धार्मिक स्थलों की सूची तैयार की जाएगी, जहां पर सरकारी नियमों की अवहेलना हो रही है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में ये फैसले पहले ही लागू कर चुके हैं।

बुधवार को मुख्यमंत्री मोहन द्वारा लिए गए फैसलों में एक निर्णय उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में जाने वाले श्रद्धालुओं को लेकर भी था। मध्य प्रदेश सरकार राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अयोध्या जाने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत करेगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुधवार को राजधानी भोपाल में यह घोषणा की ।अयोध्या  में बन रहे राम मंदिर को लेकर योगी सरकार  जमकर तैयारियां कर रही है। अगले महीने यानी 22 जनवरी 2024 को अयोध्या स्थित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देशभर की शख्सियतें पहुंचेंगी। कई श्रद्धालू भी इस अवसर पर अयोध्या पहुंचेंगे। ऐसे में मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि इस अवसर पर मध्य प्रदेश से कई श्रद्धालु अयोध्या आएंगे और वहां जाने वाले श्रद्धालुओं का माथे पर तिलक लगाकर स्वागत किया जाएगा।

बता दें कि मोहन यादव को 41 वर्ष की मेहनत के बाद मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है। मोहन यादव 2013 में पहली बार विधायक बनें। इस बाद साल 2018 में एक बार फिर भाजपा ने उनपर भरोसा जताया और उन्होंने इस भरोसे को सही साबित करते हुए एक बार फिर से जीत हासिल की। उज्जैन दक्षिण से विधायक रहे मोहन यादव को साल 2020 में भी मंत्री पद मिला। मोहन यादव एक ऐसे नेता हैं जिनकी गिनती मध्य प्रदेश के अमीर नेताओं में की जाती है।

इसके आलावा जहां तक अवैध मदरसे बंद करने की बात है तो यह संघ और भाजपा का एजेंडा है। सरकार इन्हें हर हाल में बंद करके रहेगी, क्योंकि भाजपा जानती है कि मुस्लिम समाज का वोट उन्हें नहीं मिलने वाला है। इसलिए अपने कोर वोट बैंक को एकजुट रखने के लिए वह इस तरह की कार्रवाई समय समय पर करती रहेगी। ताकि उसका वोटबैंक एकजुट रहे। 2018 के चुनाव में जो भटकाव आया था और कांग्रेस पार्टी को जो बढ़त हासिल हुई थी। वह 2023 के चुनाव में नहीं मिले।

उत्तरप्रदेश  में योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद राज्य में मदरसों को लेकर सख्त फैसले लिए गए थे। जिसके चलते फर्जी और अवैध रूप से चलने वाले मदरसों को बंद करने की कार्रवाई भी शामिल थी। अब मध्य प्रदेश सरकार राज्य में गलत तरीके या अवैध रूप से चलने वाले मदरसों पर कार्रवाई शुरू करने कर सकती  है।  बताया जाता है कि सरकार  है  जो मदरसे नियमों से हिसाब से ठीक नहीं हैं। उन्हें बंद करवा सकती है । प्रदेश के कई ऐसे मदरसे हैं जो सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं। साथ ही कुछ ऐसे भी हैं जिनमें एक कमरे में टेबल और बोर्ड लगाकर संचालन किया जा रहा है। सरकार ने गैर मान्यता प्राप्त और कागजों पर चलने वाले फर्जी मदरसों को जल्द बंद कराने का मन बना लिया है और इसमें दोषी पाए जाने वाले लोगों पर कार्रवाई भी हो सकती है ।

एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में अभी लगभग 7700 से ज्यादा रजिस्टर्ड मदरसे हैं, लेकिन बाल आयोग द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद दर्जनों मदरसे ऐसे थे। जहां नियमों का उल्लंघन किया जा रहा था। कई मदरसे नियम के मुताबिक संचालित होते हुए नहीं पाए गए। मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड के अधीन मदरसों की संख्या हजारों में है और इसके साथ ही सरकार द्वारा मदरसों में शिक्षकों को नियुक्ति के आधार पर अनुदान राशि मिलने का भी प्रावधान है। कांग्रेस का  कहना है कि मदरसे अवैध नहीं हैं। जानबूझकर मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। जनता का ध्यान भटकाया जा रहा है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट गलत है। वो जानबूझ मदरसों को टारगेट कर रहे हैं।

व्यक्तिगत जीवन में  मोहन यादव , योगी से अलग है । योगीबाबा है और कुछ ही सम्पति के मालिक है ।एमएलसी चुने जाने के समय उनकी संपत्ति 95.98 लाख रुपए थी जो अब बढ़कर 1.54 करोड़ हो गई है। पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में सांसद रहते हुए योगी की संपत्ति 72.17 लाख रुपए थी। शुक्रवार को दाखिल पर्चे के साथ दिए गए शप‌थ पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री के पास दो असलहे भी हैं। परन्तु  साल 2018 में भी टॉप-3 अमीर नेताओं में दूसरे नंबर पर थे।चुनाव से पहले मोहन यादव की तरफ से दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक उनके पूरे परिवार के पास कुल 42 करोड़ रुपये की चल और अचल दोनों तरह की संपत्ति है। बता दें कि करीब 10 करोड़ की संपत्ति की बढ़ोतरी पिछले 5 सालों में ही हुआ है। तो वहीं उनके पास 9 करोड़ की देनदारी भी है। हलफनामे के मुताबिक मोहन यादव के पास 1.41 लाख रुपये कैश के रूप में मौजूद है। तो वहीं उनकी पत्नी के पास 3.38 लाख रुपये कैश मौजूद है। मोहन यादव की पत्नी  के अलग-अलग बैंकों में खाते हैं। उन सभी खातों में मौजूद पैसों की बात करें तो उनके पास 28,68,044 रुपये हैं। आपको बता दें कि मोहन यादव की कुल आय 19,85,200 रुपये है। वहीं उनकी पत्नी सीमा यादव की कुल आय 13,07,000 रुपये है।मोहन यादव ने अपने हलफनामे में खुद और परिवार के पास मौजूद सोने की भी जानकारी दी है। इसके मुताबिक उनके पास करीब 8 लाख रुपये का सोना है। इसके साथ ही उनकी पत्नी के पास 15.78 लाख रुपये की ज्वेलरी है।मोहन यादव द्वारा चुनाव से पहले दायर हलफनामे के मुताबिक उनके पास करीब 15 करोड़ रुपये की ऐसी जमीन है जिनपर खेती की जाती है। वहीं उनके पास उज्जैन में एक करीब 1 करोड़ रुपये का एक प्लॉट भी है। अगर हम उनकी पत्नी के पास मौजूद जमीन की बात करें तो उनके पास 6 करोड़ को दो लैंड हैं और साथ ही साथ 6 करोड़ से अधिक के घर और फ्लैट है।

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