क्या चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी से एनडीए की  परेशानी बढ़ जाएगी ?

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अभी हाल के उपचुनावों के रिजल्ट से एनडीए अभी उभर भी न पाई  थी  कि तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी की खबर आ गई  ।जगनमोहन भले ही भाजपा के करीबियों में हैं, मगर तेलगु राज्यों में पैर जमाने के लिए भाजपा को एक पार्टनर की जरूरत है। पिछले दिनों चंद्रबाबू नायडू ने संकेत दिए थे कि वह एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं। उन्होंने 2018 में एनडीए से एक्गिट होने पर भी खेद जताया था। आंध्र को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। मगर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद नायडू दोबारा एनडीए में वापसी की तैयारी कर रहे थे। हाल में ही उन्होंने नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की थी। चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि देश के हित के लिए छोटी मांगों को नजरअंदाज किया जा सकता है। विपक्षी दलों को गठबंधन इंडिया  बनने के बाद भाजपा ने टीडीपी के लिए एनडीए का रास्ता खोलने का मन बना लिया था। सूत्रों के अनुसार, भाजपा और तेलगुदेशम सीट शेयरिंग फार्मूले पर बात चल रही थी । अब करप्शन के मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी से भाजपा असमंजस में फंस गई है। तेलंगाना में केसीआर के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रही भारतीय जनता पार्टी आंध्र प्रदेश में करप्शन के घिरे नायडू से कैसे तालमेल करेगी? जगन मोहन रेड्डी ने भाजपा के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। हालांकि भाजपा आंध्र में एक्टर पवन कल्याण की पार्टी जनकल्याण सेना सेना से गठबंधन कर चुकी है, मगर वह राज्य में मजबूत स्थिति में नहीं है।

ज्ञात हो कि चंद्रबाबू नायडू को को स्टेट सीआईडी ने स्किल डेवलपमेंट घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया है। अगले साल की शुरुआत में देश में आम चुनाव और आंध्रप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में नायडू की गिरफ्तारी ने सबकों  चौंका दिया है। साथ ही इस गिरफ्तारी ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में नायडू और रेड्डी परिवार के बीच की पॉलिटिकल द्वेष को भी फिर  चर्चा में ला दिया है। जगनमोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक दुश्मनी 2012 में एक रिपोर्ट से शुरू हुई। जगन के पिता वाई चंद्रशेखर रेड्डी के निधन के बाद कांग्रेस ने के रोसैया को चीफ मिनिस्टर बना दिया। जगन के दावे की अनदेखी कर बाद में एन.किरन रेड्डी की ताजपोशी कर दी। जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस से बगावत शुरू कर दी। तब कांग्रेस की सरकार ने वाईएसआर के कार्यकाल में रहे मंत्रियों की रिपोर्ट बनाई। इस रिपोर्ट में जगन की संपत्ति के बारे में छानबीन की गई। बताया जाता है कि कांग्रेस सरकार ने यह रिपोर्ट लीक कर दी और तेलगुदेशम ने जगन मोहन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाते हुए अभियान शुरू कर दिया। विवाद इतना बढ़ा कि जगन की संपत्ति की जांच का जिम्मा सीबीआई और ईडी को सौंप दिया गया। इस मामले में जगन मोहन रेड्डी की गिरफ्तारी भी हुई। जगन 16 महीने जेल में रहे और सितंबर 2013 में बाहर निकले। 2019 में सत्ता में आने के बाद चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ भी जांच शुरू कराई। सबसे पहले नायडू की करोड़ों की इमारत प्रजा वेदिका पर बुलडोजर चलवाया। सरकार का दावा था कि चंद्रबाबू नायडू का अमरावती में बना प्रजा वेदिका गैर कानूनी तरीके से बनाई गई है। फिलहाल चंद्रबाबू की गिरफ्तारी भी राजनीति रंग ले रही है।

चंद्रबाबू नायडू के राजनीतिक करियर भी काफी दिलचस्प है। एक वक्त था उनकी मर्जी से केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार बड़े फैसले किया करती थी। चंद्रबाबू नायडू तेलुगू सिनेमा के सुपरस्टार और आंध्र प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव के दामाद हैं। साल 1995 में उन्होंने अपने ससुर के खिलाफ बगावत करके उनकी बनाई पार्टी तेलुगु देशम पर कब्जा कर लिया और मुख्यमंत्री रहते हुए भी एनटीआर बस हाथ मलते ही रह गए।आंध्र प्रदेश की राजनीति में  एक चमकदार सितारे की तरह उभरते हुए नायडू ने 1999 से विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी तो की। साथ ही वो केंद्र की एनडीए सरकार का एक मजबूत स्तंभ भी बने और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के पूरा होने की बड़ी वजह भी बने।

कहा जाता है कि नायडू की सलाह पर ही वाजपेयी सरकार ने साल 2004 के वक्त से पहले ही लोकसभा चुनाव कराने का फैसला किया था। जोकि आत्मघाती फैसला साबित हुआ था और केंद्र में एनडीए को और आंध्र प्रदेश में नायडू को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। साल 2004 में आंध्र प्रदेश की सत्ता मे कांग्रेस की वापसी हुई, जिसकी कमान वाईएस रेड्डी के हाथों में जिन्हें वाईएसआर कहा जाता था। वाईएसआर और चंद्रबाबू नायडू साल 1978 में कांग्रेस के टिकट पर चुनकर एक साथ पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। दोनों ही टी अंजैया की सरकार में जूनियर मिनिस्टर भी बने थे। साल 1984 में जब एनटीआर ने तेलुगू देशम पार्टी बनाई तो नायडू कांग्रेस छोड़कर अपने ससुर की पार्टी में शामिल हो गए और यहीं से उनके और रेड्डी परिवार के बीच आधं प्रदेश की सबसे बड़ी पॉलिटिकल द्वेष का आगाज हुआ।

साल 1999 में जब नायडू की पार्टी तेलुगुदेशम ने लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाई तो वाईएसआर विपक्ष के नेता बने। उस वक्त नायडू काफी पावरफुल थे और केंद्र की वाजपेयी सरकार उनकी सहमति के बिना कोई फैसला लेने की हालत में नहीं थी, लेकिन ये 2004 में ये गेम बदल गया। वाईएसआर आंध्र प्रदेश की मुख्यमंत्री  बन गए और केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार बन गई। साल 2009 में वाएसआर ने नायडू को फिर शिकस्त दी। आंध्र प्रदेश कांग्रेस और केंद्र में फिर से यूपीए की सरकार बनी। उस वक्त ये माना जा रहा था कि नायडू का सियासी जादू अब खत्म होने लगा है, लेकिन साल 2009 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में वाईएसआर की मौत ने इस सूबे की राजनीति को फिर बदल दिया। कांग्रेस ने पहले के रोसैया और फिर किरण रेड्डी की मुख्यमंत्री  बनाया और वाईएस आर के बेटे जगन मोहन रेड्डे कांग्रेस से नाराज हो गए। ऐसा कहा जाता है कि जगनमोहन रेड्डी की राजनीति को शुरू होने से पहले ही खत्म करने के लिए स्टेट कांग्रेस और नायडू ने हाथ मिला लिया। आरोप भ्रष्टाचार के थे और गिरफ्तारी करने वाली एजेंसी वहीं की सीआईडी थी, जिसने अब चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार कर लिया है। बहरहाल 2013-14 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ तेलंगाना एक अलग राज्य बना।

साल 2014 में चंद्रबाबू नायडू फिर से आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री  बने और केंद्र की एनडीए सरकार में भी शामिल हुए, लेकिन इस बार मोदी सरकार पूर्ण बहुमत में थी। लिहाजा नायडू का वो जलवा नहीं था जो वाजपेयी सरकार में हुआ करता था और साल 2018 में नायडू एनडीए से अलग भी हो गए। नायडू को सबसे बड़ा झटका 2019 में लगा, जब जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने नायडू की पार्टी को बुरी तरह से मात देकर सरकार पर कब्जा कर लिया और अब चुनाव से कुछ ही महीने पहले नायडू की गिरफ्तारी ने सूबे के समीकरणों को भी अस्त-व्यस्त कर दिया है। जगन मोहन रेड्डी कई मसलों पर केंद्र सरकार से साथ रहे, लेकिन कभी एनडीए का हिस्सा नहीं बने। वहीं, भाजपा दक्षिण भारत के इस राज्य में नायडू के तौर पर एक संभावित पार्टनर को देख रही थी, लेकिन नायडू को गिरफ्तार करने के दांव ने इस सूबे की राजनीति में उबाल ला दिया है व एनडीए को असमंजस में डाल दिया हैं ।

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