देशभर में विभिन्न प्रदेशों की सात विधान सभा सीटों के परिणामों के कई निहितार्थ निकाले जा सकते है।
क्षेत्रीय दलों ने तीन सीटों पर जीत प्राप्त कर अपने दमखम का परिचय दिया है। कई सीटों पर इंडिया
गठबंधन की पार्टियां एक एक दूसरे से टकरा रही थी। विशेषकर बंगाल और केरल में माकपा और कांग्रेस के
उम्मीदवार आमने सामने थे। यदि यही स्थिति 2024 के लोकसभा चुनावों में हुई तो भविष्य की राजनीति
के संकेतों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। बंगाल में तृणमूल, यूपी में समाजवादी और झारखण्ड
में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने अपनी ताकत का एहसास करा दिया। कांग्रेस को अब इन क्षेत्रीय दलों से
सम्मानजनक तालमेल बैठाना होगा। वहीँ भाजपा को भी दलबदलुओं से सावधान होना पड़ेगा। जनता
दलबदलुओं को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। दल बदलने की वजह से भी मतदाताओं में भाजपा
उम्मीदवार के प्रति नाराजगी देखी गई।
देश के छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए चुनावों में तीन पर भाजपा और चार पर विपक्षी दलों ने
जीत हासिल की है। चुनाव आयोग के मुताबिक, भाजपा ने तीन, कांग्रेस-टीएमसी, समाजवादी पार्टी और
झामुमो ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज कर ली है। उत्तर प्रदेश के घोसी की प्रतिष्टापूर्ण सीट पर सपा ने
भाजपा के दलबदलू उम्मीदवार को भारी मतों से हरा दिया। इससे भाजपा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी की
प्रतिष्ठा को धक्का लगा हैं। उप-चुनाव कई सीटों पर हुए, लेकिन जिस सीट पर जनता और
चुनावी समीक्षकों की निगाह थी वह उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट थी। घोसी के चुनाव
परिणाम को विपक्ष के ‘इंडिया गठबंधन की पहली जीत माना जा रहा है। कांग्रेस ने सपा
उम्मीदवार को समर्थन देते हुए कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। बसपा की तरफ से भी कोई
उम्मीदवार इस चुनाव में नहीं था। धूपगुड़ी विधानसभा उपचुनाव में टीएमसी ने जीत हासिल की है।
यह भाजपा की सीट थी। उत्तराखंड की बागेश्वर सीट से भाजपा उम्मीदवार पार्वती दास 2405 मतों से जीत
गई हैं। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बसंत कुमार को हराया। झारखंड की डुमरी सीट से झामुमो प्रत्याशी बेबी
देवी चुनाव जीत गई हैं। केरल की पुथुपल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चांडी ओमन 37719 वोटों से जीत
गए हैं। वहीँ त्रिपुरा की दोनों सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया है। सात सीटों में से धनपुर,
बागेश्वर और धूपगुड़ी पर पहले बीजेपी का कब्जा था। यूपी और झारखंड की सीटें समाजवादी पार्टी और
झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास थीं। त्रिपुरा की बॉक्सनगर सीट और केरल की पुथुपल्ली सीट सीपीएम और
कांग्रेस के पास थी। त्रिपुरा में वामपंथी दलों की जड़ें आज भी मजबूत हैं। वे यहां लंबे समय तक सत्ता में या
सत्ता के भागीदार रहे हैं। बोक्सा नगर सीट पर सीपीएम 2003 से ही काबिज रही है। ऐसे में इस सीट पर 20
साल बाद भाजपा का परचम लहराना महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। इस हार जीत को सभी पार्टियां अपने
अपने तरीके से भुना रही है। इनमें से बंगाल और केरल की सीट पर इंडिया गठबंधन के दल एक दूसरे के
खिलाफ ताल ठोंक रहे थे। हालाँकि इन उप चुनावों का कोई बहुत ज्यादा निहितार्थ नहीं है।