आचार्य श्री 108 शांतिसागर महाराज के शताब्दी समारोह में शामिल हुए उपराष्ट्रपतिप्राचीन पांडुलिपियों को संरक्षित करने का प्रधानमंत्री का प्रयास सराहनीय: राधाकृष्णन

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हासन। उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कर्नाटक के हासन ज़िले के श्रवणबेलगोला में आचार्य श्री शांतिसागर महाराज की मूर्ति का अनावरण किया और दिगंबर परंपरा के पुनरुद्धार में उनके अमूल्य योगदान की सराहना की। उपराष्ट्रपति रविवार को श्रवणबेलगोला में परम पूज्य आचार्य श्री 108 शांतिसागर महाराज के शताब्दी समारोह में शामिल होने यहां पहुंचे हैं। अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि आचार्य का जीवन जैन धर्म के शाश्वत आदर्शों, अर्थात् अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांतवाद, को प्रतिबिम्बित करता है। उन्होंने कहा कि ये आदर्श आज की दुनिया में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। श्रवणबेलगोला के आध्यात्मिक महत्व का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बाहुबली की प्रतिमा और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के त्याग की विरासत जैन धर्म के उच्च मूल्यों के प्रतीक हैं। उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्षेत्रीय भाषाओं को शास्त्रीय दर्जा देने और ‘ज्ञान भारतम मिशन’ के माध्यम से प्राचीन पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में राज्यपाल थावर चंद गहलोत, केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी, राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा, योजना एवं सांख्यिकी मंत्री डी. सुधाकर तथा श्रवणबेलगोला जैन मठ के बड़ी संख्या में साधु-संत एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। बाद में उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने मांड्या जिले के मेलुकोटे में चेलुवनारायण स्वामी मंदिर का दौरा किया और प्रार्थना की।

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