चौक-चौराहों पर महापुरुषों की लगी प्रतिमाएं उनके कार्यों व बलिदानों को कराती हैं याद

ram
आंदोलनों की गवाह है यह प्रतिमा, नहीं होती साफ-सफाई, केवल फोटो खिंचवाने की रहती है होड
पावटा (हुक्मनामा समाचार)। प्रतिमाएं सम्मान का प्रतीक है, हर चौक चौराहों पर किसी न किसी महापुरुष की लगी प्रतिमा हमको उनके कार्यों और बलिदानों को याद कराती है लेकिन नगर पालिका के स्थानिय कस्बा पावटा मुख्य बाजार सुभाष चौक में लगी नेताजी सुभाष चंद बोस की प्रतिमा की दुर्दशा को देखकर गौरवान्वित होने की बजाय शर्मिंदगी महसूस होती है। शायद अपने यहां इन प्रतिमाओं की दशा को देखकर समाज और देश की खातिर अपना सब कुछ समर्पित करने वाले महापुरुषों की आत्मा भी यह सोचने को मजबूर हो जाए कि आखिर उन लोगों ने किस समाज की कल्पना को जेहन में रखकर लड़ाई लड़ी थी, जबकि नगर पालिका ‘पावटा प्रागपुरा’ नियमित साफ- सफाई का नियम बना महापुरुषों का सम्मान कर सकती है।
नेताजी की प्रतिमा को भी रख रखाव की जरूरत : नगर पालिका क्षेत्र में यौं तो अन्य कई प्रतिमाएं स्थापित है, सबकी सब बदहाल स्थिति में है। पावटा के मुख्य बाजार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित है। सफेद संगमरमर पत्थर की इस प्रतिमा पर इतनी धूल चढ़ी है कि यह मूर्ति अपनी पहचान खो रही है। नेताओं के पोस्टर इस पर चस्पा है। इस प्रतिमा के आसपास पसरी गंदगी, प्रतिमा स्थल की झरझर छत, प्रतिमा स्सथल से सटे फल – फ्रूटस विक्रेताओं के थड़ी ठेला आजाद हिंद सेना के वीरों के सपनों को मुंह चिढ़ाता है। ज्ञात हो कि शासन, प्रशासन के बड़े साहबों के अलावा लोकतंत्र के रहनुमा और अधिकारी इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन इसके बेहतर रखरखाव को लेकर कभी चिंतित नहीं होते है।
फोटो खिंचवाने की रहती है होड़ :- सामाजिक कार्यकर्ता राजेश हाडिया ने बताया की जब कोई त्योहार या पर्व आता है, तो इन प्रतिमाओं की सफाई कराई जाती है। इन जगहों पर कार्यक्रम के दौरान एक-दूसरे को पीछे धकेल महापुरुषों की जयंती पर माला पहनाकर फोटो खिंचवाने की होड़ अनवरत जारी रहती है। हाडिया ने बताया की सैकड़ों सामाजिक संगठन और पार्टियों के साथ ही इन महापुरुषों के नाम और विचारों का ढोल पीटते समाजसेवी लोगों को इस दुर्दशा पर जाने कब मलाल होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *