कोरोना की आहट : फिर याद आये दादी नानी के नुस्खे

ram

देश और दुनिया में लाखों लोगों को अकाल मौत का शिकार बनाने वाली महामारी कोरोना ने नए रूप और
रंग के साथ आमजन को डराने का एक बार फिर प्रयास किया है। कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 की देश में
दस्तक के बाद भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर कहा है कि फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है
लेकिन सतर्कता बरतनी होगी। केंद्र ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से निरंतर निगरानी बनाए
रखने को कहा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में
रेखांकित किया कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लगातार और सहयोगात्मक कार्यों के कारण हम
(कोविड-19 के) मामलों की संख्या कम करने में सक्षम हुए। वहीं, पिछले तीन दिन के भीतर 15 और 17
दिसंबर को कोविड-19 के 300-300 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पिछले 24 घंटे में कोरोना के 235
मामले दर्ज किए गए हैं, जिसके बाद मरीजों की संख्या बढ़कर 1,701 हो गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार
संक्रमण से देश में कुल 5 लोगों की मौत हुई, जिसमें 4 मौत केरल में हुई जबकि उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति ने
कोविड संक्रमण से अपनी जान गंवाई।
कोरोना महामारी की इस नई आहट ने सर्दी के मौसम में दादी नानी के नुस्खों की एक बार फिर याद दिला
दी। महामारी ने एक बार फिर हमें योग, साधना, देशी चिकित्सा और प्रकृति से मित्रता का सन्देश दिया है।
योग, साधना, व्यायाम और हमारी रसोई में मिलने वाले मसालों से उपचार जैसी प्राकृतिक और देशी
चिकित्सा ने हमारी बहुत मदद की है। कोरोना संकट में प्रकृति और ऋषि मुनियों द्वारा अपनायी जाने
वाली देशी चिकित्सा ने हमारा ध्यान खिंचा है। सच तो यह भी है दादी नानी के नुस्खों ने कोरोना बीमारी के
दौरान हमें जीवनदान दिया है। स्वस्थ रखने के लिए नानी-दादी के नुस्खे आज भी महत्वपूर्ण हैं। वे हमारे
रोजमर्रा के जीवन से जुड़े हैं। अगर उनका पालन किया जाए तो बड़ी से बड़ी बीमारी का मुकाबला किया जा
सकता है। सर्दी, जुकाम, खांसी, गले में खराश आम बात है। दादी नानी के नुस्खों ने इनका उपचार भी हमें
बताया है। ये नुस्खे इतने ज्यादा कारगर हैं कि डॉक्टर और मेडिकल साइंस भी उन्हें मानने से मना नहीं
करते हैं। हल्दी वाला दूध हो या नमक मिले गरम पानी के गरारे कोरोना के जुकाम और गले दर्द में दोनों ही
कारगर इलाज है। अदरक को पानी में उबालकर और फिर शहद के साथ खाया जाए तो यह कफ, गले में
खराश और गला खराब होने की दिक्कत से छुटकारा दिला सकती है। अदरक को शहद के साथ खाने से गले
में होने वाली सूजन और जलन में भी राहत मिलती है। इसी भांति अजवायन, लोंग, काली मिर्च, तुलसी
गिलोय, मलेठीयुक्त पान, शहद, दालचीनी आदि के नुस्खे भी संजीवनी साबित हुए है। उल्टा लेटकर

ऑक्सीजन प्राप्त करने के नुस्खे को एलोपेथी की मान्यता मिली है। इन नुस्खों का उपयोग कर लाखो लोग
कोरोना के प्रारंभिक लक्षणों से बाहर निकलने में कामयाब हुए है। यही नहीं इनमें से ज्यादातर नुस्खों का
कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
कोरोना महामारी के बाद पूरे विश्व का ध्यान भारत की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली की ओर आकर्षित हुआ
था। आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेदिक औषधियां अनेक जटिल
रोगों के निदान में कारगर पायी गयी हैं। करोड़ों भारतवासियों ने अपने घरों में रहकर कोरोना का मुकाबला
किया। योग, व्यायाम और दादी नानी की देशी चिकित्सा जिसे हम आयुर्वेदिक प्रणाली भी कह सकते है से
लोगों को बहुत लाभ मिला है इसमें शंका की कोई बात नहीं है।
असल में हमारी बीमारी का इलाज हमारे पास ही होता है। कई बार उसके बारे में जानकारी नहीं होती और
कई बार जानकारी होती है तो हम उस दिशा में प्रयास नहीं करते। कोरोना वायरस हमारे रास्ते को सही
करने का संकेत दे रहा है। वह हमें बता रहा है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना होगा। प्रकृति के बिना हमारा
जीवन संभव नहीं है। सचमुच प्रकृति, पर्यावरण और आयुर्वेद का अद्भुत संगम है। मानव जीवन के लिए
तीनों कारकों के एकाकार होने की आज के समय महती जरूरत है। इससे प्रकृति को जहाँ साफ सुथरा रखा
जा सकता है वहां पर्यावरण भी हमारे अनुकूल होगा जिससे आयुर्वेद को भी संरक्षित रखा जा सकेगा। जो
मनुष्य प्रकृति के जितना अधिक अनुकूल है। स्वास्थ्य की दृष्टि से वह व्यक्ति उतना ही अधिक निरापद
एवं व्याधियों के आक्रमण से दूर होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *