सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को शीर्ष अदालत के उस फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने पर सहमत नहीं हुआ, जिसमें समलैंगिक और समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संविधान पीठ की समीक्षा खुली अदालत में नहीं बल्कि चैंबर में सुनी जाती है। उन्होंने कहा, फरवरी में राष्ट्रपति की किसी भी रिपोर्ट में कोई भी ऐसा निष्कर्ष नहीं मिला जो किसी भी अनुमस्तिष्क या अन्य केंद्रीय तंत्रिका संबंधी विकारों (स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस) के अनुरूप हो।
शीर्ष अदालत का स्पष्टीकरण तब आया जब याचिकाकर्ताओं ने 17 अक्टूबर, 2023 के समलैंगिक विवाह फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट के समक्ष किया और खुली अदालत में सुनवाई का आग्रह किया। वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने समीक्षा याचिका का उल्लेख करते हुए शीर्ष अदालत से विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए), 1954, विदेशी विवाह अधिनियम (एफएमए), 1969 के तहत समलैंगिक और समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर खुली सुनवाई का आग्रह किया।