सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च के दौरान 500 करोड़ रुपये से अधिक के सार्वजनिक व्यय से जुड़े नियमों में ढील दी है।
वित्त मंत्रालय ने इस संदर्भ में पिछले सप्ताह कार्यालय ज्ञापन के जरिये निर्देश जारी किया। ज्ञापन के अनुसार, छूट का मकसद सार्वजनिक व्यय को बढ़ावा देना है। यह छूट व्यय विभाग की तरफ से जारी एकल नोडल एजेंसी (एसएनए)/केंद्रीय नोडल एजेंसी (सीएनए) दिशानिर्देशों के कड़ाई से पालन पर निर्भर है।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘वित्तीय सलाहकार यह सुनिश्चित करने के लिए जारी राशि की निगरानी करेंगे कि किसी भी स्तर पर धन को निष्क्रिय आधार पर न रखा जाए और धन सही समय पर जारी किया जाए।’’
वित्त मंत्रालय के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का पूंजीगत व्यय बजट में तय लक्ष्य का लगभग 52 प्रतिशत यानी 3.79 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
यह पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि में केंद्रीय लोक उपक्रमों के पूंजीगत व्यय से अधिक है। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह आंकड़ा 2.85 लाख करोड़ रुपये या 2022-23 वित्त वर्ष के बजट अनुमान का 43 प्रतिशत था। केंद्रीय लोक उपक्रमों का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2022-23 में 6.62 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था।