कण कण में बसे है राम

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धार्मिक पौराणिक ग्रंथों में चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने जन्म लिया था। इस वर्ष रामनवमी 17 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी। “रमणे कणे कणे इति राम, जो कण-कण में बसे, वही राम है। श्रीराम की सनातन धर्म में अनेकों गाथाएं विद्यमान है। श्रीराम के जीवन की अनुपम कथाएं, महर्षि वाल्मिकी ने बड़े ही सुंदर ढंग से रामायण में प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस रच कर जन-जन के हृदय तक श्रीराम को पहुंचा दिया। राम जन-जन के राम हैं। वह देश और दुनिया के हर मानव के अंदर रचे बसे हैं रामनवमी का पर्व देश में हज़ारों – हज़ार सालों से श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता रहा है। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के पुत्र थे। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान राम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है, जिन्होंने राक्षस राज रावण का सफाया करने के लिए अवतार लिया था। श्री राम अपने निष्कलंक व्यक्तित्व और अतुलनीय सादगी के लिए जाने जाते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि राम नाम की अपार महिमा होती है। भगवान राम के नाम का जाप करने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण किया जा सकता है। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही रामलला के दर्शनों के लिए हर दिन लाखों श्रद्धालु पहुच रहे हैं। चूंकि रामनवमीं के दिन यहां आस्था का सैलाब उमड़ेगा, इस कारण मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शनों की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। ताकि दूर दराज से आनेवाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़े। रामनवमीं पर अयोध्या में कई भव्य आयोजन होंगे। इस दिन राम मंदिर को अलौकिक रूप से सजाया जाएगा। जिसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गई है। ताकि रामनवमीं के दिन रामलला का मंदिर दमक उठे। देशभर में इस दिन श्रद्धापूर्वक हवन, व्रत, उपवास, यज्ञ, दान-पुण्य आदि अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। रामनवमी के दिन धार्मिक स्थलों पर मेला लगता है। साथ ही जगह जगह शोभा यात्रा निकाली जाएगी। भगवान राम के जन्मदिन के साथ-साथ, राम और सीता के विवाह दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस तरह उन्हें कल्याणोत्सव भी कहा जाता है। राम की नगरी अयोध्या में रामनवमी के पर्व को लेकर जबरदस्त तैयारियां चल रही है। रामनवमी आते ही अयोध्या राम मय हो गई है। हमारे देश में रामनवमी को भगवान राम के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय जीवन में पुण्य पर्व माना जाता है। इस दिन भगवान राम के भक्त हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की अपार उमड़ेगी। परंपरा के अनुसार रामनवमी को मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होगा और कई जगह भगवान राम व सीता की झांकिया भी निकाली जाएंगी। मान्यता के अनुसार इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्यलाभअर्जित करते हैं। इस बार पांच शुभ योग में रामनवमी की पूजा होगी। ऐसा संयोग काफी सालों बाद बना है। रामनवमी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है साथ ही आज पूजा आदि के बाद हवन करने का भी विधान है । पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान विष्णु ने राम रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। इसीलिए राम को मर्यादा पुरुषोतम भी कहा जाता है। धार्मिक विद्वानों के अनुसार इस दिन किया गया पूजन अखंड सौभाग्य, समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होगा। भगवान के पूजन के लिए चौकी पर पीला वस्त्र बांधकर पीले चावल 16 जगह रखें। इसके बाद बाद गणेश गौरी का पूजन कर राम दरबार की स्थापना करें। श्रीराम नाम मंत्र का जाप करें।

-डॉ मोनिका ओझा खत्री

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