सोनिया, प्रियंका और कांग्रेस के नेता इस गहरी सोच में डूबे हैं कि आखिर राहुल में क्या कमी रह गई की जनता उसे स्वीकार नहीं कर रही है। कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी खूब पसीना बहाने के बावजूद सियासत में वह मुकाम हासिल नहीं कर पा रहे है जिसके लिए कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर प्रयासरत है। गाँधी – नेहरू परिवार में दो ही ऐसे नेता हुए जिन्होंने हार का स्वाद चखा। एक हार इंदिरा गाँधी के साथ जुडी है। 1977 में इंदिरा गाँधी रायबरेली से समाजवादी नेता राज नारायण से हार गई थी। इस सियासी परिवार के नाम दूसरी हार राहुल गाँधी के नाम है जिन्हें 2019 में समृति ईरानी ने हराकर धमाका कर दिया था, हालाँकि राहुल वायनाड से जीत कर संसद पहुँच गए थे। राहुल पिछले दो दशकों से जनता से जुड़े मुद्दे उठाकर लगातार एक सफल राजनेता की भूमिका में सक्रियता से जुड़े है मगर लाख प्रयासों के बाद भी वे अपनी पार्टी को हार के गर्त में जाने से नहीं रोक पाए है। वे जनता से जुड़े मुद्दे और नारे लगातार उछाल कर मुख्य धारा में बने रहने का प्रयास कर रहे है मगर सफलता अब तक नहीं मिली है। वे हर चुनाव में एक नया जुमला उछालते है मगर ये जनता के गले नहीं उतर पा रहे है। चौकीदार चोर, पनोती और जेब कतरा से लेकर अम्बानी अडानी के मुद्दे फेल हो चुके है। या यों कहे जनता ने नकार दिए। वे मोदी पर निजी हमले करने से बाज नहीं आते मगर जनता की अदालत में हर बार ठुकरा दिए जाते है। राहुल की भारत जोड़ो और न्याय यात्रा भी जनता में कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पायी। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में हाल ही संपन्न विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान फ्लॉप शो साबित हुई। तेलंगाना जीत कर कांग्रेस ने जरूर अपनी इज्जत बचाई है। इसके बावजूद कांग्रेस है कि सुधरने का नाम नहीं ले रही है। राहुल, प्रियंका और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनावों में अपने वही घिसे पिटे आरोप एक बार फिर दोहराये जो एक दशक से देश की जनता नकार रही है। इसके साथ ही नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान का जुमला भी लोगों ने स्वीकार नहीं किया। दूसरी तरफ मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना संघर्ष तेज़ कर दिया है। राहुल गांधी की एक दशक की सियासी यात्रा पर दृष्टिपात करें तो पाएंगे कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने मोदी पर तरह तरह के आरोप लगाए। इससे पूर्व जब दुनिया भर के दिग्गज नेता दिल्ली में आयोजित जी -20 में शामिल होकर जहाँ भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्लोबल लीडर के रूप में खुलकर सराहना कर रहे थे तो वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी विदेशी धरती पर जाकर देश और मोदी के खिलाफ जहर उगल रहे थे । यह वह वक्त था जब पूरी दुनिया की नजर भारत पर थी । ऐसे समय में भी राहुल गांधी भारत को कोसने से बाज नहीं आये । अपनी यूरोप यात्रा के दौरान बेल्जियम पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत के लोकतांत्रित संस्थाओं पर पर चौतरफा हमला हो रहा है और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को दबाने की कोशिश पर यूरोपीय संघ के हलकों में भी चिंता है। राहुल ये दावा करते रहे कि वो नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं। राहुल गाँधी ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में कहा देश के संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है। अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले हो रहे हैं। सरकार दहशत में है और पीएम मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। राहुल गाँधी अपने देश के पीएम नरेंद्र मोदी के बहाने देश के लोकतंत्र पर हमला बोलते तनिक भी नहीं हिचकिचाते । चीन की तरफदारी कर राहुल देश को ही कटघरे में खड़ा करते रहे है । मगर वे यह भूल गए देश की जनता ने नेहरू, इंदिरा और राजीव की भांति मोदी को भी प्रचंड बहुमत के साथ देश का ताज पहनाया है। वे यह भी कहते है भारत एक राष्ट्र नहीं है। जब से कांग्रेस देश की सत्ता से बाहर हुई है तब से उनकी हालत बिन पानी मछली सी हो रही है। धीरे धीरे कांग्रेस लगातार अपना वजूद खोती जा रही है मगर सुधरने का नाम नहीं ले रही है। गौरतलब है राहुल ने देश की सवैंधानिक संस्थाओं यथा चुनाव आयोग, न्यायालय और प्रेस पर भी समय समय पर हमला बोला है । मोदी और भाजपा की आलोचना खूब कीजिये जनाब, मगर देश को बक्श दीजिये। कांग्रेस में यह क्या हो रहा है, अपनी पार्टी को संगठित करने के बजाय देश को तोड़ने वाली बातें कर क्या हासिल करेंगे यह समझ से बाहर है।
-बाल मुकुन्द ओझा