रसोई तक पहुंचा मिलावट का जहर

ram

खाने-पीने की चीजों में हो रही मिलावट से अब मसाले भी अछूते नहीं रहे हैं। सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने के लिए ब्रांडेड से लेकर खुदरा बिकने वाले मसाले में धड़ल्ले से मिलावट का खेल चल रहा है। आम आदमी महंगाई के साथ खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावट खोरी से खासा परेशान रहता है। हमारे बीच यह धारणा पुख्ता बनती जा रही है कि बाजार में मिलने वाली हर चीज में कुछ न कुछ मिलावट जरूर है। लोगों की यह चिंता बेबुनियाद नहीं है। आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है। खाने पीने के पदार्थो में मिलावट कोई नयी समस्या नहीं है। मिलावट और खराब उत्पाद बेचे जाने की खबरें आम हो चुकी हैं। साल-दर-साल इसका दायरा व्यापक होता जा रहा है। देश की दो नामी कंपनियों के मसालों में मिलावट की खबर से हर देशवासी हैरान और परेशान है। सबसे ज्यादा मिलावट मसालों में हो रही है। काली मिर्च में पपीते का बीज, लाल मिर्च में रंग वाला पाउडर और ईंट पीस कर मिला देते हैं। धनिया पाउडर में तरह तरह की मिलावट करते हैं। हल्दी में पीला रंग मिला देते हैं और जीरा में झाड़ू वाला जीरा मिला देते हैं। हांगकांग और सिंगापुर में खाद्य नियामकों ने भारत के दो प्रमुख मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले तत्व को लाल झंडी दिखाई है और उन्हें बजार से वापस करने के आदेश दिए हैं। इस खबर से भारतीय बाजार में सनसनी फेल गई है। सिंगापुर में मसालों पर प्रतिबंध लगने के बाद भारत सरकार ने दोनों कपनियों के मसालों की गुणवत्ता की जांच के आदेश दिए हैं। इन उत्पादों में, एमडीएच के मद्रास करी पाउडर (मद्रास करी के लिए मसाला मिश्रण), एवरेस्ट फिश करी मसाला, एमडीएच सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर और एमडीएच करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर शामिल हैं। केंद्र सरकार ने देश के सभी फूड कमिशनर्स को अलर्ट कर दिया है। इसी के साथ मसालों के नमूने एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आदेश में कहा गया है कि तीन से चार दिनों में देश की सभी मसाला निर्माता इकाइयों से नमूने एकत्र किए जाएंगे। सिर्फ एमडीएच और एवरेस्ट ही नहीं, सभी मसाला निर्माता कंपनियों से नमूने लिए जाएंगे। लैब से लगभग 20 दिनों में रिपोर्ट आएगी। मिलावट का अर्थ है महँगी चीजों में सस्ती चीज का मिलावट। मुनाफाखोरी करने वाले लोग रातोंरात धनवान बनने का सपना देखते हैं। अपना यह सपना साकार करने के लिए वे बिना सोचे-समझे मिलावट का सहारा लेते हैं। सस्ती चीजों का मिश्रण कर सामान को मिलावटी कर महंगे दामों में बेचकर लोगों को न केवल धोखा दिया जाता है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी किया जाता है। मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से प्रतिवर्ष हजारों लोग विभिन्न बीमारियों का शिकार होकर जीवन से हाथ धो बैठते हैं। मिलावट का धंधा हर तरफ देखने को मिल रहा है। दूध बेचने और मिलावट करने वाले से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों तक ने मिलावट के बाजार पर अपना कब्जा कर लिया है। आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है । संपूर्ण देश में मिलावटी खाद्य-पदार्थों की भरमार हो गई है । आजकल नकली दूध, नकली घी, नकली तेल, नकली चायपत्ती आदि सब कुछ धड़ल्ले से बिक रहा है। सच तो यह है अधिक मुनाफा कमाने के लालच में नामी कंपनियों से लेकर खोमचेवालों तक ने उपभोक्ताओं के हितों को ताख पर रख दिया है। अगर कोई इन्हें खाकर बीमार पड़ जाता है तो हालत और भी खराब है, क्योंकि जीवनरक्षक दवाइयाँ भी नकली ही बिक रही हैं । सामान्य तौर पर एक परिवार अपनी आमदनी का लगभग 60 फीसदी भाग खाद्य पदार्थों पर खर्च करता है। खाद्य अपमिश्रण से अंधापन, लकवा तथा टयूमर जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं। सामान्यत रोजमर्रा जिन्दगी में उपभोग करने वाले खाद्य पदार्थों जैसे दूध, छाछ, शहद, हल्दी, मिर्च, पाउडर, धनिया, घीं, खाद्य तेल, चाय-कॉफी, मसाले, मावा, आटा आदि में मिलावट की सम्भावना अधिक है। मिलावट एक संगीन अपराध है। मिलावट पर काबू नहीं पाया गया तो यह ऐसा रोग बनता जा रहा कि समाज को ही निगल जाएगा। मिलावट के आतंक को रोकने के लिए सरकार को जन भागीदारी से सख्त कदम उठाने होंगे।

-बाल मुकुन्द ओझा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *