विश्वास आधारित शासन के लिए आधुनिक कर ढांचा जरूरी: नीति आयोग

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नई दिल्‍ली। नीति आयोग ने स्वैच्छिक अनुपालन, पारदर्शिता और निष्पक्षता सहित विश्वास आधारित शासन के लिए एक आधुनिक कर ढांचा स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया है। आयोग ने आयकर अधिनियम, 2025 में कई सुधारों का प्रस्ताव दिया है, जिसमें छोटे-मोटे उल्लंघनों को गैर-अपराधीकरण करना, अत्यधिक अनिवार्य न्यूनतम सजा को हटाना और कारावास की कुल अवधि को कम करना शामिल है, ताकि भारत के कर प्रशासन को अधिक पूर्वानुमानित और कम दमनकारी बनाया जा सके।

नीति आयोग ने शुक्रवार को जारी अपने कर नीति कार्य पत्र श्रृंखला-II में कहा कि अपराधीकरण को समाप्त करना, दंडों को युक्तिसंगत बनाना और आनुपातिक प्रतिबंधों पर ज़ोर देना, सामूहिक रूप से भारत के आयकर कानून को निष्पक्ष, सुलभ और आधुनिक अनुपालन व्यवस्था के दृष्टिकोण के साथ संरेखित करेगा। आयोग के मुताबिक इसका उद्देश्य बलपूर्वक अनुपालन से हटकर एक ऐसे मॉडल की ओर संक्रमण करना है, जो करदाताओं को सशक्त बनाए, त्रुटि और धोखाधड़ी के बीच अंतर करे और आपराधिक कानून का प्रयोग केवल तभी करे जब महत्वपूर्ण जनहित दांव पर हो। आयोग की ‘भारत के कर रूपांतरण की ओर: अपराध-मुक्त करने और विश्वास-आधारित शासन’ शीर्षक वाले रिपोर्ट के अनुसार आयकर अधिनियम, 2025 के 13 प्रावधानों में 35 कार्यों और चूकों को आपराधिक घोषित किया जाना जारी है। इन सभी अपराधों के लिए कारावास और जुर्माना हो सकता है और इनमें से 25 के लिए अधिनियम में न्यूनतम कारावास की अनिवार्य अवधि निर्धारित की गई है।

नीति आयोग की ओर से इसमें सुझाव दिया गया है कि पहचाने गए 35 आपराधिक अपराधों में से 12 को पूरी तरह से गैर-अपराधी घोषित किया जाना चाहिए और केवल दीवानी या मौद्रिक दंड के माध्यम से निपटाया जाना चाहिए, जिसमें कई प्रशासनिक और तकनीकी चूकें भी शामिल हैं। आयोग ने आगे कहा कि 17 अपराधों में केवल धोखाधड़ी या दुर्भावनापूर्ण इरादे के लिए आपराधिक दायित्व बरकरार रहना चाहिए, जबकि छह मुख्य अपराध, जिनमें जानबूझकर, उच्च-मूल्य और हानिकारक कदाचार (जैसे सुनियोजित कर चोरी या सबूतों का निर्माण) शामिल हैं, आनुपातिक दंड के साथ आपराधिक बने रहना चाहिए।

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