जयपुर: राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति- मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का संवेदनशील, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी सुशासन की दिशा में अहम निर्णय

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जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार आमजन को संवेदनशील, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी सुशासन देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य सेवा के अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही, अभियोजन स्वीकृति एवं 17-ए के विचाराधीन 37 प्रकरणों का निस्तारण करते हुए 55 अधिकारियों के जांच प्रकरणों में कार्यवाही की है। शर्मा ने राज्य कर्मचारियों की अक्षमता, अकर्मण्यता तथा असंतोषजनक कार्य निष्पादन के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए गृह विभाग के 9 पुलिस निरीक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान कर राज्य सेवा से बाहर किया है। उन्होंने कार्मिकों की कार्य-शैली, कार्य-दक्षता, सत्यनिष्ठा, विभागीय जांच कार्यवाही एवं कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन आदि की विभिन्न स्तर पर स्क्रीनिंग करते हुए 9 कार्मिकों के प्रकरणों का उच्च स्तरीय समिति से परीक्षण करवाकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्यवाही की है।मुख्यमंत्री ने नियम विरूद्ध भू-आवंटन के एक गंभीर प्रकरण में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के विरूद्ध अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969, के नियम 8 के तहत कार्यवाही प्रारम्भ किए जाने का अनुमोदन किया है। उन्होंने लंबित प्रकरणों का निस्तारण करते हुए 6 अधिकारियों के विरूद्ध अभियोजन चलाने की मंजूरी तथा राजस्थान प्रशासनिक एवं लेखा सेवा के 2 अधिकारियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण (संषोधन) अधिनियम 2018 की धारा 17-ए में विस्तृत जांच एवं अनुसंधान करने की अनुमति भी प्रदान की। शर्मा ने सेवारत 13 अधिकारियों के विरूद्व सीसीए नियम-16 के तहत विभागीय जांच कार्यवाही में वार्षिक वेतन वृद्धियां संचयी/असंचयी प्रभाव से रोकने का निर्णय लिया है। उन्होंने सेवानिवृत्त अधिकारियों के पुराने प्रकरणों का निस्तारण करते हुए पेंशन नियमों के तहत 5 अधिकारियों की पेंशन रोके जाने का निर्णय किया, इनमें से एक अधिकारी के विरूद्ध भ्रष्टाचार प्रकरण में दोष सिद्धि होने से शत प्रतिशत पेंशन रोकने की सख्त शास्ति अधिरोपित की गई है। साथ ही, सेवानिवृत्त अधिकारियों के विरूद्ध संचालित 9 प्रकरणों में 14 अधिकारियों पर प्रमाणित आरोपों के जांच निष्कर्ष का अनुमोदन भी किया। मुख्यमंत्री ने सीसीए नियम-34 के तहत एक अधिकारी द्वारा प्रस्तुत पुनर्विलोकन याचिका को निरस्त करते हुए दण्ड को यथावत रखा तथा सेवारत अधिकारियों के 3 प्रकरणों में सीसीए नियम-23 के तहत अपील स्वीकार करने एवं 2 अधिकारियों के विरूद्ध अपील आंशिक स्वीकार करने का निर्णय लिया।

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