जयपुर: इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी का 37वाँ वार्षिक सम्मेलन, बच्चों की किडनी बीमारियों पर कॉन्फ्रेंस में हुआ मंथन

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जयपुर। महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी में इंडियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी के सहयोग से आयोजित की जा रही 37वीं वार्षिक कांफ्रेंस में बच्चों की किडनी संबंधित बीमारियों की रोकथाम तथा प्रभावी उपचार पर चिकित्सकों ने मंथन किया। कॉन्फ्रेंस में देश भर के प्रमुख पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी सेंटर्स से भाग लेने आए तीन सौ से अधिक चिकित्सकों ने सम्मिलित स्वर में किडनी रोगों के प्रति जन जागरूकता प्रयासों पर जोर दिया। कॉन्फ्रेंस के उदघाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के प्रथम पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ आर एन श्रीवास्तव ने कहा कि देश में बच्चों की किडनी बीमारियों के उपचार केंद्र आवश्यकता के अनुरूप नहीं हैं। यह आयोजन बच्चे-केंद्रित गुर्दा रोगों के समग्र उपचार और अनुसंधान में नई दिशा प्रदान करेगा। राजस्थान में महात्मा गांधी अस्पताल सहित केवल दो केन्द्रों पर ही बच्चों की हीमो डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध हो रही है। इन सेवाओं का विस्तार होना चाहिए। साथ ही स्कूल स्तर से ही बच्चों में किडनी संबंधित रोगों के लक्षणों की जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। साथ ही बच्चों के अभिभावकों तक भी जानकारियां पहुंचनी चाहिए। जिससे बीमारियों की शुरुआत में ही पहचान है तथा समुचित उपचार किया जा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे यूनिवर्सिटी के एमेरिटस चेयरपर्सन डॉ एम एल स्वर्णकार ने बताया कि महात्मा गांधी अस्पताल में बच्चों की किडनी ट्रांसप्लांट, हीमो डायलिसिस नियमित रूप से किए जा रहे हैं। इसके लिए समर्पित विशेषज्ञों की टीम, वार्ड तथा गहन चिकित्सा के लिए बीस बेड्स लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही मदर एंड चाइल्ड केयर के लिए समर्पित 300 बेड्स की टॉवर भी तैयार की जा रही है जहां बच्चों और महिलाओं की सभी प्रकार की सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं होंगी। कॉन्फ्रेंस आयोजक डॉ यशु सैनी तथा डॉ अमरजीत मेहता ने बताया कि पिछले पंद्रह वर्षों में बच्चों की किडनी समस्याओं की दिशा में अहम प्रयास हुए हैं। इनमें जेनेटिक कारणों की पहचान करना, डायलिसिस सेवाओं का विस्तार प्रमुख है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में डॉ मुक्ता मंधन, डॉ माधुरी कानितकर, डॉ पंकज हरि, डॉ अभिजीत साहा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कॉन्फ्रेंस कोषाध्यक्ष डॉ रूप शर्मा ने बताया कि कनाडा से आए डॉ राहुल, अमेरिका की डॉ अमीषा, इंग्लैंड के डॉ मार्क्स, डॉ अरविंद बग्गा तथा दो दर्जन से अधिक वक्ताओं ने बच्चों की किडनी डिजीज के बारे में अपने अनुभव तथा नई उपचार विधियों और दवाओं का जिक्र किया। कार्यक्रम में प्रो-वाइस चांसलर डॉ. वी. के. कपूर, डॉ सुनीता सत्तावन, डॉ रमेश बैरवा, डॉ सतवीर सिंह, डॉ दिव्या चौधरी सहित बड़ी संख्या में बच्चों के किडनी रोग विशेषज्ञ शामिल हुए।

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