भारत-बोत्सवाना न्यायपूर्ण और टिकाऊ वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं: राष्ट्रपति मुर्मु

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत के विकसित भारत 2047 विजन और अफ्रीका के एजेंडा 2063 के तहत दोनों देश मिलकर एक न्यायपूर्ण, टिकाऊ और समावेशी वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत और बोत्सवाना की साझेदारी लोकतंत्र, मानव गरिमा और समान विकास के साझा मूल्यों पर आधारित है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने गुरुवार को बोत्सवाना की राजधानी गाबोरोन में नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए कहा कि बोत्सवाना लोकतंत्र, सुशासन और प्रभावी नेतृत्व का उदाहरण है, जहां राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग समाज के वंचित वर्गों के उत्थान और सर्वांगीण विकास के लिए किया जाता है। इस अवसर पर उनका स्वागत स्पीकर दिथापेलो एल केओरापेत्से, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता ने किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और बोत्सवाना के बीच सहयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, कृषि, रक्षा, व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में निरंतर मजबूत हुआ है। भारत बोत्सवाना के मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण में अपनी भागीदारी पर गर्व महसूस करता है। पिछले एक दशक में बोत्सवाना के एक हजार से अधिक युवाओं ने भारत में शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय कंपनियां बोत्सवाना के हीरा, ऊर्जा और अवसंरचना क्षेत्रों में सक्रिय हैं और नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल नवाचार, औषधि निर्माण तथा खनन क्षेत्रों में भी व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने दोनों देशों के व्यावसायिक समुदायों से आर्थिक साझेदारी की पूरी क्षमता का उपयोग करने की अपील की।

इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मु ने बोत्सवाना की डायमंड ट्रेडिंग कंपनी का दौरा किया, जहां उनका स्वागत खनिज और ऊर्जा मंत्री बोगोलो केनेवेंडो तथा विदेश मंत्री फेन्यो बुटाले ने किया। इसके बाद उन्होंने थ्री दिकगोसि स्मारक का दौरा कर बोत्सवाना की स्वतंत्रता आंदोलन के तीन जनजातीय नेताओं खामा तृतीय, सेबेले प्रथम और बाथोएन प्रथम को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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